– गैर वित्तीय मांगों पर सरकार से निर्णय करने की मांग
– कहा, संक्रमण से जनता को बचा रहे कोरोना वॉरियर्स
लखनऊ (लाइव भारत 24)। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कोरोना वारियर्स के गैर वित्तीय मांगों पर सरकार से निर्णय करने की मांग की है। प्रदेश के राज्य कर्मचारियों विशेष तौर पर जान की परवाह किए बगैर कार्य करने वाले कोरोना योद्धाओं की उन सभी मांगों पर विचार कर तत्काल निर्णय किए जाने का अनुरोध किया है। जिसमें सरकार को कोई वित्तीय नुकसान की संभावना नहीं है।
वहीं, फार्मेसिस्ट लैब टेक्नीशियन और ऑप्टोमेट्रिस्ट संवर्ग की वेतन विसंगति का प्रकरण वेतन समिति द्वारा संस्तुति कर रिपोर्ट सरकार को केंद्र सरकार के अनुसार करने हेतु दी गई है।
फार्मेसिस्ट संवर्ग में लगभग सभी फार्मेसिस्ट पूर्व से ही ऐसे वेतनमान में पहुंच चुके हैं। जहां प्राथमिक वेतनमान परिवर्तन होने से सरकार पर वित्तीय भार नहीं आएगा। यही स्थिति लैब टेक्नीशियन एवं ऑप्टोमेट्रिस्ट की भी है।
सरकार शासन द्वारा पूर्व में इस पर सहमति व्यक्त की गई थी एक समान अवधि के डिप्लोमा होल्डर्स का वेतन एक समान रखा जाएगा, वेतन समिति भी इस पर राजी थी, लेकिन अभी तक शासन द्वारा निर्णय कर शासनादेश निर्गत नहीं किया गया। वहीं, चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत इलेक्ट्रीशियन कम जनरेटर ऑपरेटर के प्रत्येक जिला व बड़े अस्पतालों में एक पद हैं। जहां 24 घंटे उन्हें कार्य करना होता है। कार्मिकों को एकल पद होने के कारण छुट्टियां नहीं मिल पाती, इसलिए शासन से अनुरोध किया गया था उक्त पदों को बढ़ाते हुए भर्तियां की जाएं व वेतन समिति के अनुसार उच्चीकृत किया जाए।
विभिन्न संभागों में पदोन्नति के पद रिक्त पड़े हुए हैं। फार्मेसिस्ट संवर्ग में विशेष कार्य अधिकारी और संयुक्त निदेशक फार्मेसी के पद कई वर्षों से प्रोन्नत कर नहीं भरे गए। वहीं, अन्य संवर्गों में भी प्रोन्नतियां नहीं हो पा रही हैं जिससे कर्मचारी अपने मूल पद से सेवानिवृत्त हो जा रहे है। विभिन्न संवर्गों के पदों के मानक निर्धारित ना होने से नए चिकित्सालय बनने पर आवश्यक पद सृजित नहीं हो पाते जिससे चिकित्सालयों के संचालन में बहुत समस्याएं आती हैं।
बेसिक हेल्थ वर्कर्स एसोसिएशन की मांग कई बार वार्ताओं और समझौतों के बावजूद लंबित बनी हुई है एक ही पद पर कर्मचारियों के वेतन में भिन्नता है। वहीं, मूल पद एवं पदोन्नत के पदों का वेतन एक समान हो गया है जो नितांत उचित प्रतीत नहीं होता है।
एक्स-रे टेक्निशियन का पदनाम भारत सरकार द्वारा परिवर्तित कर दिया गया है। वार्ता के बावजूद उत्तर प्रदेश में अभी तक परिवर्तन नहीं हो सका। नॉन मेडिकल असिस्टेंट के वेतन विसंगति को केंद्र सरकार की भांति दूर किया गया था लेकिन केंद्रीय समानता के सिद्धांत को नहीं अपनाया गया जिससे कर्मचारियों का बहुत नुकसान हुआ है। परिषद के प्रमुख उपाध्यक्ष सुनील यादव का कहना है कि पदों का सृजन मानक निर्धारण आदि ऐसी समस्याएं हैं जिससे सभी संवर्ग प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही जनता भी प्रभावित होती है क्योंकि मानव संसाधन की कमी से जन सेवा में बाधा पड़ती है।
परिषद के अध्यक्ष सुरेश रावत व महामंत्री अतुल मिश्रा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मांग की है कि पूर्व में हुए समझौतों के अनुसार सभी संवर्गों की मांगों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए निर्णय कर शासनादेश निर्गत कराएं जिससे सरकार और कर्मचारियों में आपसी सौहार्द बना रहे।
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