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मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद विद्युत संकट व कोयला संकट में सुधार

विदेशी कोयला की अनुमति ना दे सरकार, कोल इंडिया से कोयला मंगाने पर लगाए जोर

लखनऊ (लाइवभारत24)। उपभोक्ता परिषद के अनुसार ऊर्जा संकट की दिशा में किए गए प्रयासों से विद्युत और कोयला संकट में कुछ सुधार हुआ है। उपभोक्ता परिषद के मुताबिक अब केवल सरकार को रैक बढ़ाने है। रैक बढ़ने के साथ ही काफी हद तक कोयला संकट दूर होगा। उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर मुख्यमंत्री से विदेशी कोयला खरीद को अनुमति न देने और कोल इण्डिया से कोयला मांगने पर जोर दिया। विद्युत उपभोक्ता परिषद की याचिका पर जहां विदेशी कोयले का पूरा मामला नियामक आयोग में विचाराधीन है। दूसरी ओर सब की नजर अब उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ लगी है कि उत्तर प्रदेश सरकार क्या प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में रुपया 1 प्रति यूनिट बढोतरी की शर्त पर विदेशी कोयला खरीद पर मंजूरी देगी? साल भर में केवल 10 प्रतिसत विदेशी कोयला खरीदने से 11000 करोड से ज्यादा का अतिरिक्त भार आएगा। उपभोक्ता परिषद ने एक बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री से मांग उठाई है कि उत्तर प्रदेश में विदेशी कोयला खरीदने की मंजूरी जनहित में ना दी जाय। क्योंकि जब देश में घरेलू कोयले की उपलब्धता समुचित मात्रा में खदानों में है ऐसे में बिजली दरों में बढोतरी कराने के लिए विदेशी कोयले की खरीद पर प्रतिबंध लगाना जनहित में होगा। उपभोक्ता परिषद ने कहा प्रदेश में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद बिजली संकट में लगातार सुधार हो रहा है। इसी तरह कोल इंडिया द्वारा अनवरत उत्तर प्रदेश को कोयला मिलता रहा तो उत्तर प्रदेश में कोयले का कोई भी संकट नहीं। बशर्ते रेलवे की रैक लगातार उत्तर प्रदेश को मिलती रहे। उत्तर प्रदेश को 15 रैक कोयला रोज प्राप्त होता रहे तो बिजली संकट से प्रदेश मुक्त रहेगा। अवधेश कुमार वर्मा ने कहा विगत दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा दिल्ली में कोयला मंत्री ऊर्जा मंत्री और रेल मंत्री से मुलाकात के बाद लगातार उत्तर प्रदेश में कोयले की उपलब्धता में सुधार हो रहा है। ऐसे में उत्तर प्रदेश में विदेशी कोयला खरीदने की कोई आवश्यकता नहीं है। जहां तक सवाल है केंद्र सरकार द्वारा लगातार उत्तर प्रदेश पर दबाव बनाकर विदेशी कोयला के लिए टेंडर जारी कराने का तो यह सीधे तौर पर विद्युत उपभोक्ताओं के साथ एक बडा अन्याय करने की साजिश की जा रही है। हम प्रदेश के तीन करोड विद्युत उपभोक्ताओं को पूरा भरोसा है कि मुख्यमंत्री की सूझबूझ से कोई भी कोयला संकट होने वाला नहीं। सबसे खास बात कि उत्तर प्रदेश के उत्पादन निगम द्वारा कभी भी विदेशी कोयले पर उत्पादन इकाइयों को नहीं चलाया गया है। ऐसे में विदेशी कोयला खरीद कर उत्पादन इकाइयों को चलवाना रिस्की भी साबित हो सकता है। ऐसे में केंद्र सरकार को उत्तर प्रदेश के मामले में अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए।

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