यह लक्षण आपको बताएंगे आपकी इम्यूनिटी पॉवर

1) स्वाभाविक भूख लगना
2) स्वाभाविक 7 से 8 घंटे की गहरी नींद आना
3) स्वाभाविक पेट साफ होना

Dr.Shikha Gupta

लखनऊ (लाइव भारत 24)। बदलती लाइफ स्टाइल और व्यस्त दिनचर्या के बीच लोगों के आहार-विहार में भी बदलाव आया है। सामान्यत: काफी लंबे समय से आहार का यह कांसेप्ट सामने आया है कि तय समय पर भोजन कर लिया जाए। शरीर की पोषक खुराक को ध्यान में रखते हुए, किंतु इसको अपनाने में लोग धीरे-धीरे स्वाभाविक भूख की अनुभूति को ही भूल गए। हर समय शरीर में भोजन समयानुसार भरा जाने लगा, यह महसूस किए बिना कि निष्कासन सही प्रकार हुआ भी है या नहीं और इस तरह पोषक भोजन भी विषाक्त होने लगा। भोजन करने का सही समय, सही तरीका इत्यादि बातों को दरकिनार कर सिर्फ पेट भरने का काम किया जाने लगा। जबकि सेहत के लिहाज से यह बिल्कुल गलत है। मगर कुछ बातों का ध्यान रखकर खानपान के तरीकों को बदला जा सकता है।

प्राकृतिक चिकित्सक डॉ. शिखा गुप्ता कहती हैं कि मोबाइल के अतिशय प्रयोग ने हमारी दिनचर्या को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। प्रकृति का हर कार्य तय समय पर निर्धारित है। हमारे शरीर के अंग भी प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए कार्य करते हैं और स्वस्थ रहते हैं। जब हम प्रकृति के विपरीत दिन को रात और रात को दिन बनाते हैं तो हमारी नींद सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। साथ ही साथ सारे अंगों की कार्यप्रणाली में भी बाधा पहुंचती है जिससे धीरे-धीरे स्वाभाविक नींद का आना भी व्यक्ति भूल जाता है।

 फाइबर युक्त करें भोजन :

मशीनी युग में अनाज अपना स्वरूप बदलकर महीन हो गया है, उसमें से आवश्यक खुज्जा (फाइबर) निकल गया है। इसलिए अपने भोजन में फाइबर युक्त भोजन को शामिल करें। गेहूँ, जौ, चना, ज्वार, बाजरा जैसे मोटे अनाज, दलिया आदि को भोजन का हिस्सा बनाएं।

जंक फूड से बनाएं दूरी :

आजकल बच्चे ही नहीं बड़े भी जंक फूड के दीवाने हैं। पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि को भोजन का हिस्सा बना लिया है। वक्त-बेवक्त जंक फूड का ऑर्डर दे दिया जाता है। वहीं, खाने में जंक फूड की अधिकता होने से निष्कासन अंग शिथिल हो जाते हैं, उन्हें पर्याप्त खुज्जा यानि फाइबर नहीं मिल पाता और आंतों की (peristaltic) कृमानुकुन्चन गति प्रभावित होती है जिससे मल बड़ी आंत में स्वभाविक रूप से नहीं सरक पाता और उसी में सड़ता रहता है उस पर तरह-तरह के चूर्ण रखकर व्यक्ति उसकी भरपाई करना चाहता हैं। जबकि भोजन को प्राकृतिक अवस्था में खाना एकमात्र सिद्धांत है, तभी उसका स्वतः और पूर्ण निष्कासन सम्भव है। इसलिए पेट को साफ रखना है तो मैदा और जंक फूड से दूरी बनाएं।

मौसमी फल व सब्जियों से करें दोस्ती:

हर मौसम के अनुसार प्रकृति भी हमें फल और सब्जियां देती है जो मौसम के अनुसार उपयुक्त होती हैं। मौसमी फल और सब्जियां खाने से न सिर्फ सेहत ठीक रहती है बल्कि उनसे मिलने वाले प्रोटीन, मिनरल व विटामिन मस्तिष्क के लिये भी फायदेमंद होते हैं।

इसके अलावा यदि आपको स्वाभाविक रूप से नींद आती है, भूख लगती है और पेट साफ होता है तो आप स्वस्थ हैं। और, यदि ऐसा नहीं होता है तो आपको अपनी सेहत के प्रति जागरूक होना चाहिए। इसलिये समय रहते प्रकृति के साथ खुद को जोड़ने का प्रयास करें और अपने इम्यून सिस्टम को मजबूत करें।

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