नई दिल्ली (लाइवभारत24)। अब देश में कोरोना की दूसरी लहर कमजोर पड़ती जा रही है। सोमवार को 1 लाख 95 हजार 685 लोगों में इस संक्रमण की पुष्टि हुई। यह आंकड़ा पिछले 42 दिनों में सबसे कम है। इससे पहले 13 अप्रैल को 1 लाख 85 हजार 306 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। हालांकि, मौत का आंकड़ा सरकार और लोगों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। देश में सोमवार को 3,496 लोगों की कोरोना की वजह से जान गंवानी पड़ी। राहत की बात यह रही कि इस दौरान 3 लाख 26 हजार 671 लोगों ने कोरोना को मात दी। इस तरह एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में 1 लाख 34 हजार 572 की कमी रिकॉर्ड की गई। उत्तर प्रदेश में सोमवार को 3,894 लोग संक्रमित पाए गए। 11,918 लोग ठीक हुए और 153 लोगों की मौत हो गई। अब तक राज्य में 16.73 लाख लोग संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 15.77 लाख ठीक हो चुके हैं, जबकि 19,362 मरीजों ने दम तोड़ दिया। यहां 76,703 मरीजों का इलाज चल रहा है।
कोरोना महामारी आंकड़ों में
बीते 24 घंटे में कुल नए केस आए: 1.95 लाख
बीते 24 घंटे में कुल ठीक हुए: 3.26 लाख
बीते 24 घंटे में कुल मौतें: 3,496
अब तक कुल संक्रमित हो चुके: 2.69 करोड़
अब तक ठीक हुए: 2.40 करोड़
अब तक कुल मौतें: 3.07 लाख
अभी इलाज करा रहे मरीजों की कुल संख्या: 25.81 लाख
19 राज्यों में लॉकडाउन जैसी पाबंदियां
देश के 19 राज्यों में पूर्ण लॉकडाउन जैसी पाबंदियां हैं। इनमें हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, मिजोरम, गोवा, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी शामिल हैं। यहां पिछले लॉकडाउन जैसे ही कड़े प्रतिबंध लगाए गए हैं।
13 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आंशिक लॉकडाउन
देश के 13 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आंशिक लॉकडाउन है। यानी यहां पाबंदियां तो हैं, लेकिन छूट भी है। इनमें पंजाब, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। कमजोर हो रही कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक और राहत भरी खबर है। सरकार के मुताबिक, अब तक ऐसे कोई संकेत नहीं हैं कि कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर गंभीर असर होगा। अब तक कहा जा रहा था कि इससे बच्चे ही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
ब्लैक फंगस पर दिल्ली AIIMS के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना के साथ ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं। ब्लैक फंगस का ट्रीटमेंट लंबे समय तक चलता है। कई बार सर्जरी भी करनी पड़ती है। कई लोग कोरोना पॉजिटिव भी होते हैं। ट्रीटमेंट के दौरान उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है। ऐसे में हॉस्पिटल के सामने चुनौती है कि ऐसे मरीजों के लिए दो वार्ड बनाने पड़ रहे हैं।
डॉ. गुलेरिया ने कहा कि ब्लैक फंगस संक्रामक नहीं है। इसके कुछ लक्षण हैं, जो कोरोना के बाद देखे जाते हैं। यदि लक्षण 4-12 सप्ताह तक देखे जाते हैं, तो इसे ऑन गोइंग सिम्प्टोमेटिक या पोस्ट-एक्यूट कोविड सिंड्रोम कहा जाता है। यदि लक्षण 12 सप्ताह से ज्यादा समय तक दिखाई देते हैं, तो इसे पोस्ट-कोविड सिंड्रोम कहा जाता है।