नई दिल्ली(लाइवभारत24)।  हरियाणा और UP बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का आज 25वां दिन है। सरकार और किसान दोनों की ओर से कोई पहल न होने की वजह से यहां वक्त थमा हुआ है। फिलहाल कोई बड़ी हलचल नहीं है। तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन रोज की तरह चल रहा है।

इस बीच PM नरेंद्र मोदी रविवार को दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज साहिब पहुंचे। यहां उन्होंने मत्था टेका। उनका यहां आना पहले से तय नहीं था। वे अचानक गुरुद्वारा पहुंचे थे। उधर, कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान आज शहीदी दिवस मनाएंगे। इस दौरान धरना स्थल और पूरे पंजाब में शहीद किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। कई कार्यक्रम विशेष होंगे। भारतीय किसान यूनियन के चीफ सेक्रेटरी मांगे राम त्यागी ने यह जानकारी दी। पंजाब से आए वॉलंटियर्स के एक ग्रुप ने सिंघु बॉर्डर पर पगड़ी लंगर शुरू किया है। यहां किसानों को फ्री में पगड़ी बांधी जा रही है। वॉलंटियर्स पग भी अपने साथ लाए हैं। यह भी मुफ्त दी जा रही है। उनका कहना है कि हम लोगों को बता रहे हैं कि पग कैसे बांधी जाती है। पंजाब के एक टैटू आर्टिस्ट ने आंदोलन वाली जगह पर स्टॉल लगाया है। यहां किसानों को फ्री में टैटू बनाए जा रहे हैं। टैटू बना रहे रविंद्र सिंह ने बताया कि इस पहल का मकसद किसानों को मोटिवेट करना है। इससे यह आंदोलन उनके लिए यादगार बन जाएगा। रविंद्र ने बताया कि मैं लुधियाना से आकर किसानों के हाथ पर टैटू बना रहा हूं। यह भी उन्हें समर्थन देने का एक तरीका है। अब तक 30 किसानों ने टैटू बनवाए हैं। इनमें से ज्यादातर ने ट्रैक्टर, फसल, पंजाब का नक्शा और मोटिवेशनल कोट बनवाया है। पंजाब के अलग-अलग अस्पतालों का मेडिकल स्टाफ किसानों की मदद के लिए पहुंच रहा हे। उनका कहना है कि हम यहां किसानों के समर्थन में आए हैं। लुधियाना के एक अस्पताल में नर्स हर्षदीप कौर ने बताया कि अगर कोई बीमार पड़ता है तो हम उसके इलाज के लिए तैयार हैं। कृषि कानूनों के विरोध में राजस्थान में भी 12 दिसंबर से आंदोलन किया जा रहा है। अलवर के शाहजहांपुर खेड़ा हरियाणा बॉर्डर पर 30×15 फीट के टैंट शुरू होकर इसका दायरा अब करीब एक किलोमीटर तक फैल चुका है। राजस्थान में हो रहे आंदोलन में हरियाणा, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के किसान संगठनों के प्रतिनिधि और किसान भी शामिल हुए हैं। उनके लिए टैंट लगाए गए हैं। यहां रात का पारा चार डिग्री सेल्सियस से नीचे जाने लगा है। खेतों में ओस की बूंदें जमने लगी हैं, लेकिन किसान डटे हुए हैं।

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