लखनऊ(लाइवभारत24)। प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों की 27वीं कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्रों को मॉडल के रूप में स्थापित किया जाए। उन्होंने कहा कि किसानों की समस्याओं के निराकरण एवं समाधान के केंद्र के रूप में कृषि विज्ञान केंद्र को विकसित किया जाए। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में देश लगातार कृषि उत्पादन क्षेत्र में किसानों के परिश्रम एवं वैज्ञानिकों की खोज से आगे की ओर बढ़ रहा है। श्री चौधरी ने बताया भारत सरकार के आत्मनिर्भर पैकेज के अंतर्गत किसानों के हितार्थ महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं, जिसके अंतर्गत 10,000 एफपीओ बनाए जाने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने एफपीओ बनाये जाने की दृष्टि से कहा की समस्त कृषि विज्ञान केंद्र 600 किसानों का समूह बनायेें और उनसे 2.2 हजार की शेयर होल्डिंग लेकर अपने अपने क्षेत्रों में क्रियाशील करें। भारत सरकार द्वारा इसके लिए इक्विटी ग्रांट दी जाएगी और उन्हें प्रशिक्षण भी देगी। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि कोविड 19 की विषम परिस्थितियों में भी उत्तर प्रदेश ने देश में रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन किया है। देश की जीडीपी में योगदान देने की दिशा में प्रदेश की भूमिका सकारात्मक बनी है। प्रधानमंत्री के 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज में सबसे अधिक धनराशि की व्यवस्था किसानों, मजदूरों एवं गांव के विकास की दृष्टि से की गई है। उन्होंने बताया कि मनरेगा के अंतर्गत धनराशि 60 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,01 लाख करोड़ रुपये कर दी गई है। इसके अतिरिक्त किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत 2 लाख करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है, जिसके माध्यम से किसानों को कम ब्याज पर आर्थिक रूप से मजबूत कर स्वावलंबी बनाया जा सके। प्रदेश के खाद्य एवं रसद मंत्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह धुन्नी सिंह ने कहा कि किसानों को जीरो बजट एवं जैविक खेती पर विशेष ध्यान देना चाहिए। जैविक खेती से किसानों की लागत में कमी आएगी। उन्होंने बताया कि जैविक खेती से जहां एक ओर भूमि की उत्पादन क्षमता में बढोत्तरी होगी, वहीं दूसरी ओर जैविक उत्पादों की अधिक कीमत प्राप्त होने से किसानों की आय में भी वृद्धि होगी। प्रदेश के कई हिस्सों में किसान जैविक खेती कर रहे हैं और उनकी आमदनी में भी काफी वृद्धि हुई है।