मुंबई (लाइवभारत24)। परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए रिश्वत के आरोपों की CBI जांच की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। परमबीर सिंह ने सीएम उद्धव ठाकरे को हाल ही में एक पत्र लिखा था। इसमें कहा गया था कि असिस्टेंट पुलिस इंस्पेक्टर (API) सचिन वझे को गृह मंत्री अनिल देशमुख का संरक्षण था और उन्होंने वझे से हर महीने 100 करोड़ रुपए जमा करने को कहा था।

परबीर सिंह ने याचिका में कहा है कि 100 करोड़ रुपए कलेक्ट करने के टारगेट वाली बात उन्होंने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को भी बताई थी। लेकिन कुछ दिन बाद ही उनका ट्रांसफर कर दिया गया। उन्होंने अपने ट्रांसफर के आदेश को भी चुनौती दी है। उनका कहना है कि ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अफसर रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट की जांच की जानी चाहिए।

परमबीर का दावा है कि गृह मंत्री देशमुख सचिन वझे के साथ अपने बंगले पर लगातार बैठक कर रहे थे। इसी बैठक के दौरान 100 करोड़ कलेक्शन का टारगेट दिया गया था। उन्होंने देशमुख के बंगले के CCTV फुटेज की जांच करने की मांग भी की है, ताकि सच सबके सामने आ सके।

चिट्ठी में यह भी कहा गया कि अपने गलत कामों को छुपाने के लिए मुझे बलि का बकरा बनाया गया है। परमबीर सिंह ने याचिका में अपने आरोपों से जुड़े कई सबूत भी सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हैं। बताया जा रहा है कि शीर्ष अदालत ने याचिका मंजूर कर ली है। सुप्रीम कोर्ट में उनका पक्ष सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी रखेंगे।
चिट्ठी में परमबीर ने लिखा, ‘आपको बताना चाहता हूं कि महाराष्ट्र सरकार के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वझे को कई बार अपने आधिकारिक बंगले ज्ञानेश्वर में बुलाया और फंड कलेक्ट करने के आदेश दिए। उन्होंने यह पैसे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नाम पर जमा करने के लिए कहा। इस दौरान उनके पर्सनल सेक्रेटरी मिस्टर पलांडे भी वहां पर मौजूद रहते थे। गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वझे को हर महीने 100 करोड़ रुपए जमा करने का टारगेट दिया था।’
परमबीर सिंह ने आगे लिखा, ‘मैंने इस मामले को लेकर डिप्टी चीफ मिनिस्टर अजीत पवार और NCP चीफ शरद पवार को भी ब्रीफ किया है। मेरे साथ जो भी घटित हुआ या गलत हुआ इसकी जानकारी मैंने शरद पवार को भी दी है।

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