लखनऊ(लाइवभारत24)। हर व्यक्ति के जीवन में ‘गुरु’ की अहम भूमिका होती है। गुरु ही एक बच्चे को समझदार इन्सान बनाता है। उसके सुनहरे भविष्य का निर्माण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वहीं, अगर स्कूल, कॉलेज से इतर यदि गुरु की बात की जाये तो एक बच्चे के जीवन में प्रथम गुरु उसकी ‘मां’ होती है, जो उसे समाज में रहने के तौर-तरीकों का ज्ञान देती है। तो, कुछ लोगों के जीवन में पिता, दोस्त, पत्नी, सहयोगी और बॉस कोई भी गुरु हो सकता है। ‘गुरु पूर्णिमा’ पर लाइव भारत 24 टीम के साथ कुछ ऐसे ही युवाओं ने साझा किये अपने अनुभव और बताई जीवन में गुरु की महत्ता…

माँ का दूसरा नाम हो ‘आप’ :

अनन्य शर्मा, संस्थापक द राइटर्स हब फाउंडेशन

मैम मेरा अभिमान हो आप। मुझे आज भी याद है वो दिन जब स्कूल की छुट्टी के बाद आपके घर पढ़ने आता था। भूख इतनी तेज लगती थी कि कुछ पूछिये मत और आप चेहरा देखकर मेरी परेशानी और मेरी भूख को जान जाया करती थी। जैसे हमेशा मेरी माँ जान जाती हैं। उस वक्त आप पहले मुझे खाना खिलाती और फिर मुझे पढ़ाती थीं। हमेशा मेरी बातें सुनना, उसके बाद प्यार से समझाना। स्कूल के एक शैतान बच्चे को आपने सबसे समझदार और प्यार करने वाला इंसान बना दिया। स्कूल में सबको यही लगता था कि ये लड़का ज़िन्दगी में कुछ नहीं कर पायेगा, मगर आपके विश्वास एवं प्यार ने मुझे हर दिन एक बेहतर इंसान के रूप में तराशा है और आज मैं जो भी हूं वह आपकी बदौलत हूं, घर में माता-पिता के बाद आपने मुझे एक समझदार इन्सान बनाया हैं। दुनिया के लिये आप जया पांडेय हैं, पर मेरे लिये आप गुरु से ज़्यादा मेरी माँ समान हैं।

 सीख देने वाला हर व्यक्ति मेरा ‘गुरु’ :

आकृति द्विवेदी

गुरु वेद व्यास के जन्मदिवस को उनकी याद में गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। यह दिन बहुत ही पावन होता है इस दिन हर मनुष्य अपने गुरु की प्रार्थना कर उनके प्रति अपना समर्पण और आभार प्रकट करता है। मैं भी गुरु पूर्णिमा के दिन पहले सत्यनारायण देवता का पूजनकर उन्हें धन्यवाद देती हूँ। फिर अपने गुरुजी एवं माता-पिता को गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाएं देकर उनका आशीर्वाद लेती हूँ। मेरे लिए हर वो व्यक्ति जिससे मुझे जीवन की सीख मिलती है वो मेरे गुरु है और वे सदा पूजनीय हैं।
– आकृति द्विवेदी, स्टूडेंट

मेरी ‘माँ’ ही मेरी ‘गुरु’:

काव्या शर्मा

मेरे लिए गुरु पूर्णिमा की महत्ता मेरी माता से है। मेरे लिए मेरी माँ पूजनीय हैं। उन्होंने सदा ही मेरे हर निर्णय में मेरा साथ दिया है और हमेशा मेरे साथ रही हैं। मेरी रुचि डांस में है और मैं उसी में अपना कैरियर बनाना चाहती हूँ। मेरी इस इच्छा में सदैव मेरी माता साथ रही हैं, मेरी रुचि को उन्होंने समझा और इसमें आगे बढ़ाया। वह मुझे हमेशा प्रोत्साहित करती रही हैं। मेरे लिए मेरी गुरु मेरी माता है इसलिए मैं हर गुरु पूर्णिमा को उनका आशीर्वाद लेकर जीवन में सफलता की ओर बढ़ने का प्रण लेती हूँ।
– काव्या शर्मा, स्टूडेंट

 पेरेंट्स, टीचर, स्प्रिचुअल गुरु

हर्षिता स्लम के वंचित बच्चों के साथ

मेरे लिये तो पहले गुरु मेरे माता-पिता हैं। जिन्होंने मुझे इस काबिल बनाया कि आज मैं समाज की एक जिम्मेदार नागरिक हूं। फिर मेरे टीचर, स्प्रिचुअल गुरु बाबा और और सभी सहयोगी और दोस्त भी मेरे गुरु हैं, जो मुझे हर कदम पर सही रास्ता बताते हैं। आज मैं खादी ग्रामोद्योग के साथ जुड़कर अपना बिजनेस कर रही हूं। साथ समाज के वंचित बच्चों को आगे बढ़ाने में एक छोटा सा योगदान दे रही हूं। गुरु पूर्णिमा पर अपने जीवन के सभी गुरुओं को मैं नमन करती हूं।

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