लखनऊ(लाइवभारत24)। कैंसर का नाम सुनते ही हमारा मन मस्तिष्क एक अनजाने भय से भर जाता है। हमें लगता है कि अब इसका कोई इलाज संभव नही है। लेकिन ऐसे घबराने से कोई लाभ नही होता। हमें कैंसर के बारे में अधिक से अधिक जानकारी होनी चाहिये। उक्त विचार इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, लखनऊ की क्षेत्रीय निदेशक डॉ0 मनोरमा सिंह ने व्यक्त किये। वो आज इग्नु तथा सुपर स्पेसीलिटी कैंसर संस्थान, लखनऊ के संयुक्त तत्वाधान में कैंसर-भ्रम और वास्तविकता विषय पर आयोजित एक ऑनलाईन संगोष्ठी को मुख्य वक्ता के रूप में सम्बोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि हमें दो सी अर्थात् कोरोना और कैंसर से लड़ना ही होगा।
कार्यक्रम के आयोजक संयोजक इग्नु के सहायक क्षेत्रीय निदेशक, डॉ0 कीर्ति विक्रम सिंह ने वेबिनार के औचित्य और उपयोगिता पर प्रकाश डाला। प्रभावशाली संचालन करते हुए उन्होंने कहा कि कैंसर का मतलब सिर्फ मौत नही होता। इसके विषय मे फैली गलत भ्रांति से लड़ना होगा। इसके लिये हमें अपना ज्ञान बढ़ाना होगा। हमारा आत्मबल और जागरूकता ही हमारा बचाव कर सकता है।
डॉ0 हर्षवर्धन, मेडिकल सुपरिन्टेण्डेन्ट, एस.एस.सी.आई.एच., लखनऊ ने कहा कि कैंसर जैसे विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी कराकर इग्नु ने सराहनीय प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि गोष्ठी मे मौजूद विशेषज्ञों के विचारों से प्रतिभागी निश्चित रूप से लाभान्वित होंगे तथा कैंसर के बारे मे फैली विभिन्न भ्रांतियों और भय से दूर किया जा सकेगा। डॉ0 हर्षवर्धन ने आवाह्न किया कि इस प्रकार के आयोजन आगे भी होते रहने चाहिये ताकि कैंसर की विभीषिका से लड़ने मे मदद मिल सके।
इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डॉ0 शालीन कुमार, डायरेक्टर, एस.एस.सी.आई.एच., लखनऊ ने कहा कि कैंसर अनियमित कोशिकाओं की वृद्धि का परिणाम है। उन्होंने कहा सारी गाँठे कैंसर नहीं होती है। उन्होंने कहा कि मस्तिष्क का कैंसर ज्यादा खतरनाक होता है। गला मुँह पेट और फेफड़े का कैंसर ज्यादा देखा जा रहा है।
कैंसर विशेषज्ञ डॉ0 शरद सिंह, एसोयशिएट प्रोफेसर, रेडियेशन ऑनकोलॉजी, एस.एस.सी.आई.एच., लखनऊ ने कैंसर के प्रारम्भिक लक्षणों तथा उनसे बचने के उपायों को बताया। उन्होेंने कहा कि यदि किसी के रक्तसम्बन्धी को स्तन कैंसर का इतिहास रहा है तो उन्हें सतर्क रहना चाहिये। इसके जिए मेमोग्राफी भी कराई जा सकती है।
एस.जी.पी.जी.आई. रेडियोथेरेपी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ0 पुनीता लाल ने कहा कि पता चलते ही कैंसर का इलाज शुरू कर देना चाहिये। बायपसी के बारे में उन्होंने कहा कैंसर का प्रकार जानने के लिये ये जरूरी है। अधूरी सर्जरी कैंसर को बढ़ाती है। साथ ही ये भी स्पष्ट किया कि ये छुआछुत की बीमारी नहीं है।
गोष्ठी को डॉ0 विजेन्द्र कुमार, एसोशिएट प्रोफेसर, न्यूरो-सर्जरी, एसोशिएट प्रोफेसर, एवं डॉ0 प्रियंका सिंह, असिस्टेण्ट प्रोफेसर, गायनकोलॉजिकल ऑनकोलॉजी, एस.एस.सी.आई.एच., लखनऊ ने भी सम्बोधित किया। डॉ0 आयुष लोहिया, असिस्टेण्ट प्रोफेसर, पब्लिक हेल्थ, एस.एस.सी.आई.एच., लखनऊ ने कैंसर से बचाव उसके इलाज आदि के बारे में विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी।
कार्यक्रम का समापन डॉ0 शुबुही कुरेषी, डीन व प्रोफेसर, गायनकोलॉजिकल ऑनकोलॉजी, एस.एस.सी.आई.एच., लखनऊ ने किया उन्होंने कहा कि नियमित चेकअप कराना आवश्यक है। उन्होंने कार्यक्रम का सार्थक तथा निष्कर्ष देने वाला बताया।
स्टेट नर्सिंग के नोडल अधिकारी डॉ0 देवेश त्रिपाठी, एन.एच.एम. ने अपने उद्बोधन में प्रदेश सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के विषय में जानकारी दी एवं सभी अतिथियों का आभार ज्ञापित किया। सभी कार्यक्रमों का संचालन डा0 रूचि कुशवाहा तथा डा0 अंकिता ने किया।
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