नेपितॉ/मांडले (लाइवभारत24)। मांडले में शनिवार को दो बार सेना ने प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग की। इसमें कुछ लोगों के मारे जाने की खबर है। हालांकि, इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। म्यांमार में 1 फरवरी को हुए तख्तालट के बाद हालात बिगड़ते जा रहे हैं। शनिवार को सैन्य तख्तापलट का विरोध कर रहे लोगों पर सेना ने फायरिंग की। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, घटना में कुछ लोगों की मौत हुई है और काफी तादाद में लोग घायल हुए हैं। इसी दौरान, इंटरनेशनल रेड क्रॉस की गाड़ियों को भी निशाना बनाया गया।
अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि शनिवार की फायरिंग में दो प्रदर्शनकारियों की मौत हुई है। हालांकि, म्यांमार की सेना ने न तो फायरिंग की पुष्टि की और न मारे जाने वाले लोगों की।
म्यांमार आर्मी ने तख्तापलट के बाद से ही देश में इंटरनेट ब्लॉक कर दिया है। सेना बेहद शातिर तरीके से इंटरनेट का इस्तेमाल सिर्फ अपने प्रोपेगंडा के लिए कर रही है। सेना ने दो बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की और दोनों ही बार इसकी लाइव स्ट्रीमिंग की गई। इस दौरान इंटरनेट के जरिए दुनिया को यह बताने की कोशिश की गई कि देश में सब कुछ सही चल रहा है।  ‘लास एंजिलिस टाइम्स’ की शनिवार शाम जारी एक रिपोर्ट में बताया गया है कि शनिवार को दो बार फायरिंग हुई। पहली बार मांडले शहर में जबकि दूसरी बार इससे कुछ दूरी पर स्थित एक कस्बे में। मांडले देश का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और यहां ज्यादातर कारोबारी समुदाय रहता है। इन लोगों का भारत और चीन से पुराने कारोबारी रिश्ते हैं। यहां शनिवार को स्थानीय लोगों ने एक चौराहे पर विरोध प्रदर्शन किया। करीब 8 हजार लोग इस प्रदर्शन में मौजूद थे। इसी दौरान पहले तो सेना ने आंसू गैस के गोले छोड़े। इसके कुछ देर बाद फायरिंग की गई। इसके कुछ फुटेज भी सामने आए हैं, हालांकि इनकी पुष्टि नहीं की गई। माना जा रहा है कि सोमवार या मंगलवार को देश के ज्यादातर हिस्से में कर्फ्यू लगाया जा सकता है। इसके संकेत सेना के सूत्रों ने दिए हैं।

म्यांमार की सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जे मिन तुन ने तख्तापलट के बाद मंगलवार को पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- हमारी कोशिश यह है कि देश में जल्द से जल्द नए चुनाव कराए जाएं और जो पार्टी जीते उसे सत्ता सौंप दें। कई बार पूछे जाने के बावजूद मिन ने यह नहीं बताया कि नए चुनाव कब कराए जाएंगे। इतना जरूर कहा कि एक साल के पहले इमरजेंसी नहीं हटाई जाएगी। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि सेना ज्यादा वक्त तक सत्ता में नहीं रहना चाहती। मिन ने कहा- हम यह गारंटी देते हैं कि चुनाव कराए जाएंगे। सेना ने कुछ देर के लिए इंटरनेट खोला और इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लाइव स्ट्रीम किया गया। एक सवाल के जवाब में मिन ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि किसी पार्टी के नेता को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा- सभी नेता अपने घरों में हैं। उनकी सुरक्षा जरूर बढ़ाई गई है। हम यह भी साफ कर देना चाहते हैं कि म्यांमार की विदेश नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।​​​​​​​ बहरहाल, सेना भले ही कुछ भी कह रही हो, लेकिन देश के लोग उसकी बातों पर भरोसा करने तैयार नहीं हैं। यहां लगातार विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दुनिया को डर इस बात का है कि इंटरनेट बंद होने की वजह से लोगों पर सेना के जुल्म बढ़ जाएंगे और इसकी हकीकत बहुत मुश्किल से सामने आ पाएगी।

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