मेट्रो अस्पताल, नोएडा को अपने न्युरो साइंसेस विभाग द्वारा प्रस्तुत किए गए तकनीकी कौशल, सफल उपचार की प्रक्रियाओं और दक्ष रोगी सेवाओं के लिए इस प्रतिष्ठित पुरूस्कार से सम्मानित किया गया।

नोएडा(लाइवभारत24)। विश्व स्ट्रोक संगठन, स्विटजरलैंड के जिनेवा स्थित वैश्विक निकाय ने मेट्रो सेंटर फॉर न्युरोसाइंसेस, मेट्रो अस्पताल, नोएडा को स्ट्रोक के मरीजों की देखभाल के लिए उच्चतम गुणवत्ता की सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए प्लेटिनम पुरूस्कार से सम्मानित किया है। इस प्रतिष्ठित पुरूस्कार से सम्मानित होने वाला यह उत्तर प्रदेश का एकमात्र और भारत का चौथा अस्पताल है।मेट्रो अस्पताल नोएडा के न्युरोसाइंसेस के मेट्रो सेंटर की निदेशक और वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. सोनिया लाल गुप्ता ने स्ट्रोक के प्रभाव की व्याख्या करते हुए कहा, “स्ट्रोक विश्वभर में मृत्यु और विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है और प्रतिवर्ष स्वस्थ्य जीवन के ग्यारह करोड़ साठ लाख वर्ष बर्बाद करने का जिम्मेदार है। व्यक्तियों, परिवारों और समाज पर इसके प्रभाव का अनुमान लगाना संभव नहीं है। इस वर्ष एक करोड़ तीस लाख से अधिक लोग इसके शिकार होंगे और इसके परिणामस्वरूप लगभग पचपन लाख लोग अपनी जान गंवा देंगे। स्ट्रोक के विभिन्न अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रभाव हो सकते हैं, जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि मस्तिष्क का कौनसा भाग प्रभावित हुआ है और कितनी जल्दी उपचार किया गया।”

डॉ. सोनिया ने आगे कहा, “अथेरोस्क्लेरोसिस, स्ट्रोक की चपेट में आने के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है। स्ट्रोक के मामले उम्र बढ़ने के साथ काफी बढ़ जाते हैं। इसके अलावा कईं और कारक भी हैं जो जोखिम बढ़ा देते हैं, उनमें सम्मिलित हैं; तंबाकू का सेवन, शारीरिक निष्क्रियता, अस्वास्थ्यकर आहार, शराब का अत्यधिक सेवन, उच्च रक्तचाप, एट्रियल फैब्रिलेशन, रक्त में लिपिड का उच्च स्तर, मोटापा, पुरूष होना तथा अनुवांशिक और मनोवैज्ञानिक कारक।
स्ट्रोक के कारणों पर चर्चा करते हुए मेट्रो अस्पताल, नोएडा के न्युरोलॉजी के वरिष्ठ सलाहकार, डॉ. कपिल सिंघल, ने कहा, “स्ट्रोक एक ऐसी स्थिति है, जहां मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति बाधित होती है, जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी के कारण मस्तिष्क क्षतिग्रस्त हो जाता है और अपने निर्धारित कार्य नहीं कर पाता है। यह अक्सर मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनी में थक्का जमने के कारण होता है, इस स्थिति को इस्चेमिया/इस्किमिया कहते हैं। यह रक्तस्त्राव के कारण भी हो सकता है, जब एक नलिका के फटने से मस्तिष्क में रक्त लीक हो जाता है। स्ट्रोक से स्थायी क्षति हो सकती है, जिसमें आंशिक पक्षाघात, बोलने और समझने में समस्या होना और याद्दाश्त खराब होना सम्मिलित हैं। मस्तिष्क का कौनसा भाग क्षतिग्रस्त हुआ है और कितना क्षतिग्रस्त हुआ है, स्ट्रोक की गंभीरता निर्धारित करता है; जो न्यूनतम से लेकर भयावह हो सकती है।”डॉ. कपिल ने आगे कहा, “स्ट्रोक पहले ही महामारी के अनुपात तक पहुंच चुका है। वेश्विक स्तर पर 25 साल से अधिक उम्र के प्रत्येक चार में से एक व्यस्क को अपने जीवनकाल में स्ट्रोक होगा। इस वर्ष विश्वभर में एक करोड़ सैंतीस लाख लोगों पहली बार स्ट्रोक की चपेट में आएंगे और इसके परिणामस्वरूप पचपन लाख लोग अपनी जान गंवा देंगे। मौजूदा रूझान बताते हैं कि अगर समय रहते उचित उपचार उपलब्ध न कराया गया तो इसके कारण प्रतिवर्ष मरने वालों का आंकड़ा बढ़कर सढ़सठ लाख हो जाएगा।” ता है।

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