नई दिल्ली (लाइवभारत24)। न्यूज वीक ने (11 सितंबर) अपने आर्टिकल में गलवान को लेकर चौंकाने वाली बातें लिखीं हैं। इस आर्टिकल के मुताबिक, 15 जून को गलवान में हुई झड़प में चीन के 60 से ज्यादा सैनिक मारे गए। दुर्भाग्य से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ही भारतीय क्षेत्र में आक्रामक मूव के आर्किटेक्ट थे, लेकिन उनकी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) इसमें फ्लॉप हो गई। पीएलए से ऐसी अपेक्षा नहीं की जा रही थी। आर्टिकल में कहा गया है कि भारतीय सीमा पर चीन की सेना की विफलता के परिणाम सामने आएंगे। चीनी आर्मी ने शुरुआत में शी जिनपिंग से इस विफलता के बाद फौज में विरोधियों को बाहर करने और वफादारों की भर्ती करने की बात कही है। जाहिर है, बड़े अफसरों पर गाज गिरेगी। सबसे बड़ी बात यह कि विफलता के चलते चीन के आक्रामक शासक जिनपिंग जो कि पार्टी के सेंट्रल मिलिट्री कमीशन के अध्यक्ष भी हैं और इस नाते पीएलए के लीडर भी, वो भारत के जवानों के खिलाफ एक और आक्रामक कदम उठाने के लिए उत्तेजित होंगे।
दरअसल, मई की शुरुआत में ही लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के दक्षिण में चीन की फौजें आगे बढ़ीं। यहां लद्दाख में तीन अलग-अलग इलाकों में भारत-चीन के बीच टेम्परेरी बॉर्डर है। सीमा तय नहीं है और पीएलए भारत की सीमा में घुसती रहती है। खासतौर से 2012 में शी जिनपिंग के पार्टी का जनरल सेक्रेटरी बनने के बाद।
मई में हुई घुसपैठ ने भारत को चौंका दिया था। फाउंडेशन फॉर डिफेंस ऑफ डेमोक्रेसीज के क्लिओ पास्कल ने बताया कि मई के महीने में रूस ने भारत को यह बताया था कि तिब्बत के स्वायत्तशासी क्षेत्र में चीन का लगातार युद्धाभ्यास किसी इलाके में छिपकर आगे बढ़ने की तैयारियां नहीं हैं। लेकिन, 15 जून को चीन ने गलवान में भारत को चौंका दिया। यह सोचा-समझा कदम था और चीन के सैनिकों के साथ झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए।
गलवान में भारत-चीन के बीच हुई झड़प दोनों देशों में 40 साल बाद पहली खतरनाक भिड़ंत थी। विवादित इलाकों में घुसना चीन की आदत है। दूसरी ओर, 1962 की हार से लकवाग्रस्त हो चुकी भारतीय लीडरशिप और जवान सुरक्षात्मक रहते हैं। लेकिन, गलवान में ऐसा नहीं हुआ। यहां चीन के कम से कम 43 सैनिकों की जान गई। पास्कल ने बताया कि यह आंकड़ा 60 के पार हो सकता है। भारतीय जवान बहादुरी से लड़े और चीन खुद को हुए नुकसान को नहीं बताएगा।
अगस्त के आखिर में 50 साल में पहली बार भारत ने आक्रामक रवैया अपनाया। हाल ही में जिन ऊंचाई वाले इलाकों को चीन ने हथिया लिया था, भारत ने उन पर फिर से अपना कब्जा कर लिया। चीन की सेना तब चौंक गई, जब उनकी ऊंचाई वाले इलाकों पर कब्जे की कोशिशों को भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया। चौंके हुए चीनी सैनिकों को वापस लौटना पड़ा।

ज्यादातर दक्षिणी इलाके अब भारत के पास हैं, जो कभी चीन के पास थे। अब चीन की सेना ऐसे इलाकों की तरफ बढ़ सकती है, जहां कोई उनकी रखवाली के लिए नहीं है। लेकिन, युद्ध में ये इलाके कितने काम के होंगे, ये अभी साफ नहीं है। भारत घुसपैठियों को मौका नहीं दे रहा है। पास्कल ने बताते हैं कि आप भारतीय जवानों को ज्यादा आक्रामक या रक्षात्मक तौर पर आक्रामक कह सकते हैं।

1 कमेंट

कोई जवाब दें

कृपया अपनी कमेंट दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें