· वित्तीय साक्षरता का स्तर जानने के लिए किए गए अध्ययन में सामने आए तथ्य, 22% के साथ पटना में सिबिल स्कोर को लेकर सबसे कम जागरूकता, कोलकाता और मुंबई में 25% लोग इस संबंध में हैं जागरूक

· शोध के मुताबिक 76% कर्जदार अपने लोन पर ब्याज की राशि नहीं जानते हैं

· 50% लोग म्यूचुअल फंड के बारे में जागरूक, कोलकाता में सबसे ज्यादा 66%, दिल्ली में 61% और मुंबई में 53% लोगों में म्यूचुअल फंड को लेकर है जागरूकता

· 74% प्रतिभागियों ने अपनी वित्तीय व्यवस्था को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने के लिए वित्तीय साक्षरता का पाठ पढ़ने में दिखाई रुचि

 नई दिल्ली(लाइवभारत24)। मौजूदा महामारी ने अर्थव्यवस्था एवं समाज के हर वर्ग पर गहरा प्रभाव छोड़ा है। नियमित तौर पर घोषित की जा रही नीतियों और नए सुधारों से एक बड़ा वर्ग विभिन्न वित्तीय मामलों को लेकर भ्रम एवं अस्पष्टता का शिकार है। हर राष्ट्र की सफलता में वित्तीय समावेशन की अहम भूमिका होती है और एक समावेशी देश बनाने की दिशा में वित्तीय साक्षरता महत्वपूर्ण कदम है। यूरोप एवं एशिया में कारोबार कर रही अंतरराष्ट्रीय कंज्यूमर फाइनेंस प्रदाता की स्थानीय शाखा होम क्रेडिट इंडिया ने कर्जदारों के बीच वित्तीय साक्षरता का स्तर जानने के लिए 7 शहरों में अध्ययन किया। सर्वेक्षण के दौरान करीब 1000 लोगों का साक्षात्कार लिया गया।

अध्ययन में सामने आया कि 52% कर्जदार सिबिल स्कोर और इसके महत्व के बारे में जानते हैं। सिबिल स्कोर एक ऐसा पैरामीटर है जिसकी मदद से यह पता लग पाता है कि कर्जदार कितने लोन के लिए पात्र है। आश्चर्य की बात है कि कर्ज ले चुके एक बड़े वर्ग को सिबिल स्कोर के बारे में कोई जानकारी नहीं है। 68% लोग नहीं जानते कि उनका सिबिल स्कोर क्या है। पटना में मात्र 22% कर्जदार ही अपने सिबिल स्कोर को लेकर जागरूक है। कोलकाता और मुंबई में 25% लोगों में इस संबंध में जागरूकता पाई गई।

अध्ययन में यह भी सामने आया कि 76% कर्जदार अपने लोन पर ब्याज की राशि के बारे में नहीं जानते हैं। वे केवल हर महीने दी जाने वाली ईएमआई की राशि जानने में रुचि रखते हैं, लेकिन उन्हें अलग से ब्याज की राशि के बारे में जानकारी नहीं होती। दिल्ली में मात्र 17%,जयपुर में 19% और मुंबई में 24% कर्जदारों को अपने लोन पर ब्याज की राशि के बारे में पता है।

ब्याज की गणना के बारे में पूछे जाने पर 7 शहरों में करीब 43% लोगों ने कहा कि उन्हें इस बारे में थोड़ी ही जानकारी है कि लोन पर ब्याज की गणना कैसे होती है। प्रतिभागी अपनी ईएमआई की राशि को लेकर सतर्क एवं जागरूक पाए गए। ब्याज दर और ब्याज की राशि को लेकर जानकारी कम पाई गई।

अध्ययन के बारे में चीफ मार्केटिंग एवं कस्टमर एक्सपीरियंस ऑफिसर श्री मार्को केयरविक ने कहा, ‘किसी भी देश की आर्थिक प्रगति के लिए वित्तीय साक्षरता अहम होती है। वित्तीय साक्षरता के बारे में इस अध्ययन का लक्ष्य यह जानना है कि हमारे ग्राहक अपने वित्तीय प्रबंधन को लेकर कितनी समझ रखते हैं। अध्ययन में सामने आया कि ज्यादातर लोग अपनी वित्तीय व्यवस्था के बारे में ज्यादा समझ विकसित करना चाहते हैं और वित्तीय साक्षरता की कक्षाएं लेने के इच्छुक हैं। इससे हमें अर्थपूर्ण वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम तैयार करने में मदद मिलेगी, जिससे लोगबजटिंग, अच्छा कर्ज बनाम बुरा कर्ज, कर्ज कब लें आदि जैसी पर्सनल फाइनेंस की आधारभूत बातों के बारे में समझ विकसित कर सकेंगे। जिम्मेदार कर्जदाता के तौर पर हम नियमित रूप से अपने ग्राहकों एवं बड़े पैमाने पर समाज में लोगों से संपर्क करते हैं तथा उन्हें वित्तीय प्रबंधन एवं कर्ज लेने से जुड़े महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में शिक्षित करते हैं। हमारे वित्तीय शिक्षा कार्यक्रम ‘पैसे की पाठशाला’ में एक ऐसी व्यवस्था तैयार की गई है, जहां लोगों को अपने जीवन के हर स्तर पर बेहतर तरीके से वित्तीय चुनाव करने में मदद मिलती है। इस कार्यक्रम का लक्ष्य लोगों को जीवन एवं वित्तीय प्रबंधन से जुड़े लक्ष्य निर्धारित करने के लिए प्रोत्साहित करना और उन्हें पैसे के प्रबंधन की आधारभूत बातों की जानकारी देना है, जिससे उनमें वित्तीय जागरूकता बढ़े। हम भारत में वित्तीय समावेशन बढ़ाने की इच्छा रखते हैं।’

अध्ययन में यह भी सामने आया कि 50% प्रतिभागी म्यूचुअल फंड के बारे में जागरूक हैं। कोलकाता में सबसे ज्यादा 66% लोग म्यूचुअल फंड के बारे में जागरूक हैं। दिल्ली में 61%,मुंबई में 53%,पटना में 50%,भोपाल में 43%,हैदराबाद में 41% और जयपुर में मात्र 37% लोगों को म्यूचुअल फंड के बारे में जानकारी है।

95% कर्जदारों ने बताया कि वे अपनी बैंक पासबुक से जुड़ी जानकारियों को समझते हैं। इस मामले में 98% के साथ भोपाल सबसे ऊपर है। जयपुर में 97% और दिल्ली में 96% लोगों को यह जानकारी है।

कम जागरूकता के बीच यह देखने में आया कि 74% प्रतिभागी वित्तीय साक्षरता से जुड़ी कक्षाएं लेने के लिए तैयार हैं, ताकि वे अपनी वित्तीय व्यवस्था को बेहतर तरीके से प्रबंधित कर सकें। आश्चर्यजनक रूप से मात्र 44% प्रतिभागियों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड के बीच फर्क का पता था। नियमित रूप से बैंक की शाखाओं में जाने और पासबुक का प्रयोग करने के कारण 87% लोग सेविंग्स अकाउंट और 80% लोग करंट अकाउंट की जानकारी रखते हैं। अध्ययन में शामिल रही महिलाओं मेंपुरुषों की तुलना में वित्तीय समझ कम देखी गई।

होम क्रेडिट इंडिया 350 शहरों में अपने करीब 31,500 पॉइंट ऑफ सेल (पीओएस) के मजबूत नेटवर्क के साथ सुकूनभरे वित्तीय विकल्पों के जरिये 1.13 करोड़ ग्राहकों को सेवा उपलब्ध करा रही है। कंपनी जिम्मेदारी के साथ कर्ज उपलब्ध कराते हुए देश में कर्ज की पहुंच बढ़ाने एवं वित्तीय समावेशन को विस्तार देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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