कार्यक्रम का आयोजन 15 नवंबर से 7 दिसंबर तक 

सोनीपत की ऋषिहुड यूनिवर्सिटी के साथ साझेदारी में चलाए गए फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम से काफी मदद मिलेगी

नई दिल्ली(लाइवभारत24)। अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने सोमवार को सोनीपत की ऋषिहुड यूनिविर्सिटी के राष्ट्रम स्कूल ऑफ पब्लिक के साथ भारतीय ज्ञान परंपरा के तहत फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) की शुरुआत की। इसका उद्देश्य शैक्षणिक समुदाय के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) की जरूरत, प्रासंगिकता और सारतत्व पर व्यापक परिपेक्ष्य का निर्माण करना था। इसका मकसद मुख्य रूप से देश भर की कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज में नियुक्त शिक्षकों को लाभ पहुंचाना था।

तीन हफ्तों का यह फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) 15 नवंबर से 7 दिसंबर 2021 तकआयोजितकिया जाएगा। इसे दिल्ली यूनिवर्सिटी के सीपीडीएचई (यूजीसी-एचआरडीसी), दिल्ली यूनिवर्सिटी, भारतीय शिक्षण मंडल और एआईसीटीई में शिक्षा मंत्रालय के इंडियन नॉलेज डिविजन(आईकेएस), सीओईआईकेएस, आईआईटी खड्गपुर, आईएनडीआईसीए और एसओए की ओर से भी समर्थन दिया जाएगा।

माननीय केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने इस कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने अपनी उपस्थिति से समारोह की शोभा बढ़ाई और उद्घाटन भाषण दिया। केंद्रीय संसदीय मामलों और संस्कृति मंत्री माननीय श्री अर्जुन राम मेघवाल ने समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया।

माननीय मंत्रियों के अलावा समारोह में एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल सहस्रबुद्धे, पदमविभूषण पुरस्कार से सम्मानित और राज्यसभा की माननीय सदस्य डॉ. सोनल मान सिंह, भारतीय शिक्षण मंडल (बीएसएस) के राष्ट्रीय आयोजन सचिव श्री मुकुलकानिटकर,इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (आईआईएएस) के प्रोफेसरकपिलकपूर, पुडुचेरी की पूर्व उपराज्यपाल डॉ. किरण बेदी, डॉ. अशोक के. महापात्रा (एसओए), भाई कुलतार सिंह (सिख रागी), प्रोफेसर भरत गुप्त (आईजीएनसीए) , श्री चामू कृष्ण शास्त्री(संस्कृत प्रमोशन फाउंडेशन) प्रवरजिका दिव्यानंद (श्री शारदा मठ), डॉ. जगन्नाथ पाटिल (एनएएसी). श्री जे. साई दीपक (सुप्रीम कोर्ट के वकील), डा. विनय चंद्र बीके (इंडिका) और प्रोफेसर वीरेंद्र कुमार तिवारी (आईआईटी केजीपी) मौजूद थे।

एफडपी की लॉन्चिंग पर एआईसीटीई के चेयरमैन प्रोफेसर अनिल डी. सहस्रबुद्धे ने कहा,“अगर हम अपनी शिक्षा नीति में बदलाव नहीं करें तो हमारे लिए अपने बच्चों तक भारतीय ज्ञान व्यवस्था (आईकेएस) के नैतिक मूल्यों को पहुंचाना बहुत मुश्किल हो जाएगा। अगर हम चाहते हैं कि हमारे बच्चे आईकेएस के बारे में जाने और समझें तो उस संबंध में हमारा पहला कदम अध्यापकों को इस बारे में जागरूक बनाना होगा। जब अध्यापकों को आईकेएस के बारे में पता होगा तो वह भी भारतीय शिक्षा व्यवस्था की सराहना करेंगे। इससे टीचरों को भारतीय ज्ञान व्यवस्था के बीज टीचरों में रोपने में मदद मिलेगी। इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए तीन हफ्तों का एफडीपी हमारे लिए बेहद आवश्यक है।“

एफडीपी को एआईसीटीई की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा, जो इस तक फिजिकली पहुंचने के काबिल नहीं होंगे, वह इस तक वर्चुअली पहुंच सकेंगे। फैकल्टी डिवेलपमेंट प्रोग्राम (एफडीपी) में भारतीय शिक्षा प्रणाली के तहत स्वदेशी ढंग से शिक्षा प्रदान करने बौद्धिक क्षमता विकसित करने की अनिवार्यता और नैतिक अवधारणाओं को स्पष्ट करने पर जोर दिया जाएगा। इसमें स्त्रोत, सिद्धात अवधारणाएं और व्यवहार शामिल है। आईकेएस में रोजगार के अवसरों के लिए एक जॉब पोर्टल भी लॉन्च किया जाएगा।

आईकेएस की अहमियत पर जोर देते हुए केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री माननीय डॉ. सरकार ने कहा, “एफडीपी पर इंडियन नॉलेज सिस्टम की सीरीज छात्रों को भारत के समृद्ध इतिहास से अवगत कराएगी। इसके साथ ही छात्र हमारे स्वदेश ज्ञान की परंपरा से भी वाकिफ होंगे, जो हमारे पास हजारों सालों से मौजूद है।“

आत्मनिर्भर भारत के राष्ट्रीय आह्वान और नई शिक्षा नीति2020 को लागू करने की नई पहल के जवाब में एफडीपी का उद्देश्य स्वदेशी ज्ञान के संक्रमण से भारतीय शिक्षा प्रणाली में योगदान देना और उसे समृद्ध करना है। इससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसकी प्रासंगिक झलक उभरेगी।

इस मौके पर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी के अध्यक्ष प्रोफेसर कपिल कपूर ने कहा, “एफडीपी के मध्यम से शिक्षकों को पहले जागरूक करना बेहद जरूरी है कि शिक्षा हमारी समाज और संस्कृति की सेवा तभी कर सकती है, जब वह भारत की ताकतवर ज्ञान परंपराओं और प्रथाओं के अनुसार छात्रो कोदी जाए। नहीं तो जैसा अभी हो रहा है, शिक्षा केवल उपनिवेशवादी मानसिकता के लोगों की धरोहर बनी रहेगी, जिससे स्वेदशी मौलिकता का गला घोंटा जाएगा।“ प्रोफेसर कपूर को शिक्षा और आईकेएस में उनके योगदान के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। एआईसीटीई में शिक्षा मंत्रालय के आईकेएस डिविजन के राष्ट्रीय समन्वयक श्री गंति एस. मूर्ति ने कहा,“आज की दुनिया में यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि भारतीय विचार और ज्ञान प्रणाली के पास विश्व को स्थायी, सामंजस्यपूर्ण और शांतिपूर्ण विश्व के लिए बहुत कुछ है। भावी पीढ़ियों को यह भारतीय तरीका सिखाने के लिए शिक्षकों को भारतीय ज्ञान पद्धति से परिचित होना ही चाहिए। इस तरह के मूलभूत कार्यक्रम भारतीय ज्ञान पद्धति को शिक्षा व्यवस्था में शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।“

इस पृष्ठभूमि में आईकेएस धर्म पर केंद्रित दृष्टिकोण का तरोताजगी से भरपूर सशक्त परिपेक्ष्य पेश करेगा। इसमें दुनिया से संबंध जोड़ने वाले दुनिया के नजरिए की पैरवी की जाएगी कि हमारा संपूर्ण अस्तित्व एक-दूसरे से जुड़ा है और आपस में एक दूसरे पर आश्रित है। इसमें पारिस्थितिकी और अर्थवयवस्था में सामंजस्य स्थापित किया जाएगा।

राष्ट्रम के सहसंस्थापक और डीन शोभित माथुर ने कहा,“आज मानवता की ओर से उठाए गए सबसे बड़े सवालों के जवाब पश्चिम के पास नहीं है। अब भारत में ज्ञान की विरासत को खंगालने का वक्त है। हमें भारतीय ज्ञान पद्धति को कक्षाओं में पहुंचाने की जरूरत है। शिक्षक इस प्रयास में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। मुझे बेहद खुशी है कि राष्ट्रम ने अपने साझीदारों के सहयोग से यह महत्वपूर्ण और समयबद्ध पहल की है।

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