नई दिल्ली (लाइवभारत24)। केंद्र सरकार के नए IT नियमों के खिलाफ वॉट्सऐप कोर्ट पहुंच गया है। तीन महीने पहले जारी की गई गाइडलाइन में वॉट्सऐप और उस जैसी कंपनियों को अपने मैसेजिंग ऐप पर भेजे गए मैसेज के ओरिजिन की जानकारी अपने पास रखनी होगी। सरकार के इसी नियम के खिलाफ कंपनी ने अब दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

इलेक्ट्रानिक्स एंड आईटी मिनिस्ट्री ने भी वॉट्सऐप के आरोपों पर जवाब दिया। मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार राइट टु प्राइवेसी का सम्मान करती है। सरकार का इसे नुकसान पहुंचाने का कोई इरादा नहीं है, जब वॉट्सऐप को किसी खास मैसेज के ओरिजिन का खुलासा करना जरूरी हो। ऐसी जरूरत सिर्फ उन्हीं केस में होती है, जब किसी खास मैसेज पर रोक जरूरी हो या सेक्शुअली एक्सप्लिक्ट कंटेंट जैसे गंभीर अपराधों की जांच और सजा का मसला हो।

मिनिस्ट्री ने अपने बयान में कहा है कि एक ओर वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी को अनिवार्य बनाना चाहता है, जिसमें वह अपने यूजर का डेटा मूल कंपनी फेसबुक के साथ शेयर करना चाहता है। दूसरी ओर वह लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखने और फेक न्यूज पर रोक लगाने के लिए जरूरी गाइडलाइंस को लागू न करने के लिए हर कोशिश करता है।

भारत में चलाए जा रहे कोई भी ऑपरेशन यहां के कानून के दायरे में आते हैं। वॉट्सऐप की ओर से गाइडलाइंस का पालन करने से इनकार करना साफ-साफ इसकी अवहेलना है। एक अहम सोशल मीडिया इंटरमीडियरी के रूप में वॉट्सऐप आईटी एक्ट के प्रावधानों के मुताबिक सुरक्षा चाहता है। यह सही नहीं है। वे इससे बचना चाहते हैं।

उधर, कंपनी का कहना है कि सरकार के इस फैसले से लोगों की प्राइवेसी खत्म हो जाएगी। वॉट्सऐप के प्रवक्ता ने बताया कि मैसेजिंग ऐप से चैट को इस तरह से ट्रेस करना लोगों की निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा। हमारे लिए यह वॉट्सऐप पर भेजे गए सारे मैसेज पर नजर रखने जैसा होगा, जिससे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का कोई औचित्य नहीं बचेगा।

प्रवक्ता के मुताबिक, हम लगातार सिविल सोसायटी और दुनियाभर के विशेषज्ञों के साथ उन पहलुओं का विरोध करते आए हैं, जिससे यूजर की प्राइवेसी को खतरा हो सकता है। इस बीच हम मामले का समाधान निकालने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे।

इस बीच वॉट्सऐप पर मालिकाना हक रखने वाली कंपनी फेसबुक का जवाब आया है। कंपनी ने मंगलवार को कहा कि वह आईटी के नियमों का पालन करेगी। साथ ही कुछ मुद्दों पर सरकार से बातचीत जारी रखेगी। आईटी के नियमों के मुताबिक ऑपरेशनल प्रोसेस लागू करने और एफिशिएंसी बढ़ाने पर काम जारी है। कंपनी इस बात का ध्यान रखेगी कि लोग आजादी से और सुरक्षित तरीके से अपनी बात हमारे प्लेटफॉर्म के जरिए कह सकें।

सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए इसी साल 25 फरवरी को गाइडलाइन जारी की थी और इन्हें लागू करने के लिए 3 महीने का समय दिया था। डेडलाइन मंगलवार यानी 25 मई को खत्म हो गई। वॉट्सऐप, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने अब तक नहीं बताया कि गाइडलाइंस को लागू किया गया या नहीं। ऐसे में सरकार इन पर एक्शन ले सकती है।

सभी सोशल मीडिया भारत में अपने 3 अधिकारियों, चीफ कॉम्प्लायंस अफसर, नोडल कॉन्टैक्ट पर्सन और रेसिडेंट ग्रेवांस अफसर नियुक्त करें। ये भारत में ही रहते हों। इनके कॉन्टैक्ट नंबर ऐप और वेबसाइट पर पब्लिश किए जाएं।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स ये भी बताएं कि शिकायत दर्ज करवाने की व्यवस्था क्या है। अधिकारी शिकायत पर 24 घंटे के भीतर ध्यान दें और 15 दिन के भीतर शिकायत करने वाले को बताएं कि उसकी शिकायत पर एक्शन क्या लिया गया और नहीं लिया गया तो क्यों नहीं लिया गया।
ऑटोमेटेड टूल्स और तकनीक के जरिए ऐसा सिस्टम बनाएं, जिसके जरिए रेप, बाल यौन शोषण के कंटेंट की पहचान करें। इसके अलावा इन पर ऐसी इन्फॉर्मेशन की भी पहचान करें, जिसे पहले प्लेटफॉर्म से हटाया गया हो। इन टूल्स के काम करने का रिव्यू करने और इस पर नजर रखने के लिए भी पर्याप्त स्टाफ हो।
प्लेटफॉर्म एक मंथली रिपोर्ट पब्लिश करें। इसमें महीने में आई शिकायतों, उन पर लिए गए एक्शन की जानकारी हो। जो लिंक और कंटेंट हटाया गया हो, उसकी जानकारी दी गई हो।
अगर प्लेटफॉर्म किसी आपत्तिजनक जानकारी को हटाता है तो उसे पहले इस कंटेंट को बनाने वाले, अपलोड करने वाले या शेयर करने वाले को इसकी जानकारी देनी होगी। इसका कारण भी बताना होगा। यूजर को प्लेटफॉर्म के एक्शन के खिलाफ अपील करने का भी मौका दिया जाए। इन विवादों को निपटाने के मैकेनिज्म पर ग्रेवांस अफसर लगातार नजर रखें।

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