क्षेत्र में महिलाओं और बच्चों को चोरी-डकैतियों का सबसे ज्यादा खतरा
लखनऊ (लाइव भारत 24)। गोदरेज ग्रुप की मशहूर कंपनी, गोदरेज एंड बॉयस के बिजनेस, गोदरेज लॉक्स की ‘हर घर सुरक्षित रिपोर्ट 2020: सेफ्टी इनसाइट्स फ्रॉम इंडिया’ज पुलिस फोर्स‘ ने यह खुलासा किया है कि उत्तर भारत के 68% पुलिसकर्मियों का मानना है कि लॉक डाउन पूरी तरह से हट जाने के बाद क्षेत्र में घरों में डकैती की घटनाएं बढ़ेंगी। इनमें दिल्ली, जयपुर और लखनऊ शहर शामिल हैं। इस रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि 44% पुलिसकर्मियों का मानना है कि उत्तरी क्षेत्र में आधी रात के समय स्वतंत्र घरों को सबसे अधिक खतरा है और साथ ही वाणिज्यिक खंड की तुलना में आवासीय खंडों को अपेक्षतया अधिक खतरे का अनुमान है। हाल के समय में चोरी के मामले बढ़े हैं, चूंकि महामारी के चलते बेरोजगारी दर में वृद्धि और विपरीत आर्थिक प्रभाव के परिणामस्वरूप लोग कमाई के गैरकानूनी साधनों को अपनाने के प्रति प्रवृत्त हुए हैं। इनकॉग्निटो इनसाइट्स द्वारा यह शोध अध्ययन किया गया और गोदरेज लॉक्स के देशव्यापी जनजागरूकता अभियान, हर घर सुरक्षित के अंतर्गत इसे जारी किया गया, ताकि लोगों को घर की सुरक्षा के प्रति सजग किया जा सके।
इस रिपोर्ट में कोविड-19 के बाद देश के विभिन्न क्षेत्रों में अपराध के स्तरों की समग्र तस्वीर प्रस्तुत की गयी है। इसमें आगे बताया गया है कि 77% पुलिसकर्मियों का मानना है कि उत्तरी भारत के लोग नियमित रूप से घर की सुरक्षा के समाधानों पर ध्यान नहीं देते हैं, जिससे उनके घर के लिए खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, 90% पुलिसकर्मी भी इस बात से सहमत हैं कि किसी अनहोनी घटना के घटने के बाद ही लोग घर की सुरक्षा को गंभीरता से लेना शुरू करते हैं। छोटी-मोटी चोरी, वाहन चोरी और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में सेंध जैसे मामले पहले से ही पुलिस के संज्ञान में आते रहे हैं। चिंताजनक रूप से, 81% पुलिसकर्मियों ने पाया है कि लोग अपने घर की सुरक्षा को लेकर पड़ोसियों/चौकीदार/घरेलू सहायकों पर निर्भर होते हैं। यह इस बात का प्रमाण है कि किस तरह से लोग अपनी सुरक्षा की जिम्मेवारी सक्रियतापूर्वक स्वयं न संभालकर अपनी सुरक्षा के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं।
सर्वेक्षण में घर की सुरक्षा के उपाय किये जाने के संबंध में लोगों की लापरवाही को रेखांकित किया गया है। जहां 43 प्रतिशत पुलिसकर्मियों को लगता है कि ताले (ब्रांडेड मेकेनिकल/डिजिटल लॉक्स), घर की सुरक्षा के लिए बेहद ज़रूरी हैं, वहीं इसे अमल में लाने को लेकर विरोधाभास देखने को मिलता है। क्षेत्र में सुरक्षा कैमरों को बेहद जरूरी माना जा रहा है। 85% पुलिसकर्मियों को यह लगता है कि घर की सुरक्षा से जुड़े तकनीकी समाधानों को लेकर जनजागरूकता पैदा किये जाने की सख्त आवश्यकता है।
शोध रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए, गोदरेज लॉक्स के एक्जीक्यूटिव वाइस-प्रेसिडेंट और बिजनेस हेड, श्याम मोटवानी ने बताया, ”हर घर सुरक्षित रिपोर्ट, भारत के होम सिक्योरिटीज कोशियंट की वास्तविक तस्वीर प्रस्तुत करने का प्रयास है। यह रिपोर्ट हमारे भरोसेमंद सुरक्षा संरक्षक, अर्थात पुलिस की राय पर आधारित है। उत्तरी क्षेत्र के कुछ प्रमुख निष्कर्षों से पता चला है कि उत्तरी भारत की 76 प्रतिशत महिलाओं और 74 प्रतिशत बच्चों को घरों में सेंध का खतरा है। इस शोध को कराने का उद्देश्य लोगों को उनके घरों के खतरों को समझने में सहायता करना था और उनसे उनकी अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने की अपील करना था। हमें उम्मीद है कि उत्तरी क्षेत्र हेतु प्राप्त इन निष्कर्षों से लोगों को उनके सेफ्टी कोशियंट को बढ़ाने और घर की सुरक्षा के लिए तकनीकी समाधान अपनाने में मदद मिलेगी।” हर घर सुरक्षित रिपोर्ट 2020 के अंतर्गत, गोदरेज लॉक्स ने भारत के पुलिस अधिकारियों का सर्वेक्षण किया। इसमें घर की सुरक्षा के प्रति लोगों की सोच को जानने के लिए उनके विचार लिये गये और अपराध स्तरों पर कोविड-19 के प्रभाव के बारे में उनकी राय जानी गयी। आगे इस रिपोर्ट में भारतीय घरों की असुरक्षा को रेखांकित किया गया है, और इसमें बताया गया है कि स्वतंत्र घर और अपार्टमेंट्स को डकैतियों का अधिक खतरा होता है। हालांकि, अधिकांश लोग अपने घरों के लिए अपने लॉकिंग सिस्टम्स को बदलते नहीं हैं या अपग्रेड नहीं करते हैं।
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