हाथरस (लाइवभारत24)। हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद देर रात पीड़ित परिवार हाथरस पहुंचा। इस दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में हाथरस केस की सुनवाई हुई थी हाईकोर्ट ने यूपी के डीजीपी, अपर मुख्य सचिव, हाथरस के डीएम, एसपी को तलब किया था हाथरस का पीड़ित परिवार सोमवार रात करीब 11 लखनऊ से वापस अपने घर पहुंच गया। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई के बाद परिवार शाम साढ़े चार बजे निकला था। रास्ते में कड़ी सुरक्षा रही। इधर, गांव में परिवार का पहले से इंतजार कर रहे मीडियाकर्मियों ने घेर लिया। पीड़ित के पिता ने बातचीत में बताया कि कोर्ट में सब अंग्रेजी में बात कर रहे थे। कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है, लेकिन इतना जरूर समझ में आया कि डीएम साहब को डांट पड़ी है। परिवार ने एक बार फिर साफ तौर पर कहा कि जब तक हमें न्याय नहीं मिलेगा, बिटिया की अस्थियां विसर्जित नहीं की जाएंगी। पीड़ित के पिता के मुताबिक, कोर्ट में जज के सामने लगभग एक घंटे तक सुनवाई चली। कोर्ट ने हमसे अंतिम संस्कार को लेकर ही सवाल किया, जिस पर हमने अपनी आपबीती बताई। डीएम साहब ने कोर्ट से कहा कि हमारी मंजूरी ले ली थी, लेकिन हमारे मना करने पर उन्हें डांटा भी गया। इसके बाद सब अधिकारी, जज अंग्रेजी में बात कर रहे थे जो हमें समझ नहीं आया। हमसे जो पूछते, वह हम बताते जाते थे। कोर्ट में डीएम, एसपी समेत कई अधिकारी मौजूद रहे। हमारी वकील (सीमा कुशवाहा) से भी ज्यादा बात नहीं हुई है। पीड़ित के भाई ने भी कोर्ट रूम की बातें बताईं। सीबीआई जांच को लेकर भाई ने कहा- कुछ भी हो, लेकिन इंसाफ मिले। जब तक इंसाफ नहीं मिलेगा तब तक बहन की अस्थियां विसर्जित नहीं करूंगा। एसडीएम अंजली गंगवार ने बताया कि हमने गाड़ियों में सुबह बिस्किट, चिप्स और पानी पर्याप्त मात्रा में रख लिए थे, जिसकी वजह से हमें रास्ते में रुकने की जरूरत नहीं पड़ी। जब हम लखनऊ पहुंचे तो उत्तराखंड भवन में परिवार को लंच भी कराया। इसके बाद हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बाद हम हाथरस के लिए निकले। हमने परिवार की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हर सदस्य के साथ एक सिपाही लगाया था। एस्कॉर्ट और इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी भी शामिल थे।

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