• बिजनोर, मेरठ, बुलन्दशहर और मुज़फ़्फ़रनगर में चले पांच दिवसीय ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन’ अभियान का आज हुआ समापन

लखनऊ। जल्द ही पूरे उत्तर प्रदेश में ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन’ अभियान का आगाज किया जाएगा। इसके अलावा गंगा नदी डॉल्फिन पर मंडरा रहे खतरे से निपटने के लिए डॉल्फिन टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा और स्थानीय समुदायों की सहभागिता को और मजबूत करने के लिए डॉल्फिन मित्र बनाए जाएंगे। यह घोषणा प्रदेश के प्रधान प्रमुख वन्य जीव प्रतिपालक और मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडे ने आज तक चले पांच दिवसीय ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन’ अभियान के समापन समारोह में कहीं।

बिजनोर, मेरठ, बुलन्दशहर और मुज़फ़्फ़रनगर में चले पांच दिवसीय ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन’ अभियान के अंतर्गत इस मुहिम से जुड़े 24 टीम सदस्यों का सम्मान किया गया। इनमें सात प्रभागीय वन अधिकारी, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और डब्‍ल्‍यूआईआई के सदस्य तथा गंगा मित्र शामिल हुए।

समारोह के दौरान प्रदेश के प्रधान प्रमुख वन्य जीव प्रतिपालक और मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडे ने कहा कि इस साल ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन अभियान’ का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव रंजन मिश्रा और सहारनपुर के मंडल आयुक्त संजय कुमार ने किया था। इस अभियान में उत्तर प्रदेश वन विभाग के 7 मंडलों, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया और डब्ल्यूआईआई के प्रतिनिधियों तथा गंगा मित्रों को शामिल किया गया था। इसके अलावा इस अभियान से स्थानीय समुदायों के 600 सदस्य भी जुड़े और 6500 से ज्यादा लोगों ने वर्चुअल माध्यमों से अपनी सहभागिता सुनिश्चित की। करीब एक हफ्ते तक चले गंगा डॉल्फिन सर्वे के दौरान बिजनौर से नरोरा बैराज तक 188 किलोमीटर के प्रवाह क्षेत्र में डॉल्फिन की उत्साहजनक संख्या पाई गई। इसके अलावा संरक्षण संबंधी पहल को मार्गदर्शन देने के मकसद से डॉल्फिन के पर्यावास की स्थिति के विभिन्न पहलुओं के बारे में भी जानकारी मिली।

मेरठ प्रभाग के मुख्य वन संरक्षक एन के जानू ने इस ऑनलाइन कार्यक्रम के उद्घाटन भाषण में कहा कि ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन’ अभियान का मुख्य नतीजा यह भी रहा कि इससे वन विभाग और गंगा मित्रों की विशिष्ट जैव प्रजातियों के सर्वे करने की क्षमता में वृद्धि हुई है। इसके अलावा इस मुहिम से स्थानीय समुदायों को जोड़ने पर भी इस अभियान के दौरान खास जोर रहा।

मेरठ की प्रभागीय वन अधिकारी अदिति शर्मा ने इस अभियान के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि संरक्षण संबंधी पहल में संबंधित समुदायों की सहभागिता बेहद महत्वपूर्ण है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि संरक्षण संबंधी सभी तरह की पहल में समुदायों की सहभागिता जरूर हो। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के अनुपालन में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-इंडिया और उत्तर प्रदेश वन विभाग को एक-दूसरे के साथ और ज्यादा मजबूती के साथ जोड़ना होगा और गंगा नदी में रहने वाली डॉल्फिन के संरक्षण के लिए समुदायों के साथ मिलकर काम करना होगा।

बुलंदशहर के प्रभागीय वन अधिकारी गंगा प्रसाद ने कहा कि हमें समुदायों के साथ जुड़ाव बनाए रखते हुए गंगा डॉल्फिन के महत्व के बारे में उनकी समझ को और बेहतर बनाना होगा। हमें डॉल्फिन का संरक्षण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से समुदायों की मदद के लिए सतत इको टूरिज्म पर भी ध्यान देना चाहिए। वहीं मुजफ्फरनगर के प्रभागीय वन अधिकारी सूरज ने कहा हम गंगा नदी में रहने वाली डॉल्फिन के संरक्षण में भूमिका निभाने के लिए स्थानीय समुदायों को जोड़ने और उन्हें संवेदित करने पर बेहद खुश हैं। हमें उम्मीद है कि ऐसी सहभागिता से गंगा नदी और उसमें रहने वाले जीवो के संरक्षण के प्रयासों को और मजबूती मिलेगी।

इसके अलावा प्रधान प्रमुख वन्य जीव प्रतिपालक और मुख्य वन संरक्षक सुनील पांडे ने कहा कि गंगा में 41 डॉल्फिन की मौजूदगी एक उत्साहजनक संकेत है और अब हमारे पास एक बेसलाइन है, लिहाजा डॉल्फिन के लिए मौजूद तमाम खतरों को स्थानीय समुदायों की मदद से खत्म करने के प्रयासों को और तेज किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन अभियान के तहत वर्ष 2015 में गंगा में 22 डॉल्फिन पाई गई थी। उसके बाद वर्ष 2020 के अभियान के दौरान इस संख्या में और उत्साहजनक तथा दिलचस्प बढ़ोत्‍तरी हुई है। उत्तर प्रदेश भारत का एकमात्र ऐसा राज्य है जहां वर्ष 2012 और 2015 में पूरे राज्य में एक अभियान चलाया गया था। उन्होंने पिछले 5 वर्षों के दौरान मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन अभियान से लगातार जुड़ाव रखने के लिए सात वन प्रभागों को बधाई भी दी।

एपीपीसीएस (इको डेवलपमेंट) संजय श्रीवास्तव ने कहा कि संरक्षण संबंधी पहल को मजबूत करने के लिए हस्तिनापुर वन्य जीव विहार और अपर गंगा नरोरा की प्रबंधन योजनाओं में गंगा रिवर डॉल्फिन संरक्षण के विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए।

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ- इंडिया के सीईओ और महासचिव रवि सिंह ने कहा ‘‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन” अभियान स्थानीय समुदायों की सहभागिता सुनिश्चितकरने के लिहाज से बेहद सफल रहा है। साथ ही यह डॉल्फिन के संरक्षण के प्रति जागरूकता पैदा करने के मामले में भी कामयाब रहा है। भविष्य में प्रोजेक्ट डॉल्फिन के संदेश को दूर-दराज के गांवों, खासकर उत्तर प्रदेश में गंगा तट के नजदीक बसे गांवों तक पहुंचाने में भी इससे बहुत मदद मिलेगी। डॉल्फिन के संरक्षण के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन और फंसी हुई डॉल्फिन के फौरन बचाव के लिए स्थानीय हित धारकों को इस काम में माहिर बनाना, आज के वक्त की सबसे बड़ी जरूरत है। इसके अलावा अनेक ऐसे गांव और स्थानीय समुदाय हैं जो पहले ही इस दिशा में बेहतरीन काम कर रहे हैं लिहाजा उन्हें संरक्षण संबंधी पहल में और आगे लाए जाने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश ने ढंग, निरंतरता और नेतृत्व के हिसाब से मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन अभियान को जिस तरह से आगे बढ़ाया है वह देश के बाकी राज्यों के लिए एक मिसाल हो सकता है। डब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूएफ-इंडिया इस अभियान के विलक्षण नेतृत्व के लिए उत्तर प्रदेश वन विभाग को बधाई देता है।’’

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंडिया गंगा डॉल्फिन पर मंडरा रहे प्रमुख खतरों में से एक यानी कमजोर प्रवाह से निपटने की दिशा में काम कर रहा है। यह उत्तर प्रदेश की जल संसाधन एजेंसी, सी-गंगा, आईआईटी कानपुर, नेशनल ब्यूरो फॉर फिश जेनेटिक रिसोर्सेज और पीपुल साइंस इंस्टीट्यूट के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश की आठ प्रमुख नदियों के पर्यावरणीय प्रवाह का आकलन कर रहा है इनमें से अनेक नदियों में गंगा डॉल्फिन रहती हैं।

इस सेमिनार की अध्यक्षता प्रधान प्रमुख वन्य जीव प्रतिपालक और मुख्य वन संरक्षक श्री सुनील पांडे ने की। इसके अलावा इसके मुख्य वक्ताओं में एपीपीसीएस (इको डेवलपमेंट) श्री संजय श्रीवास्तव, मेरठ जोन के मुख्य वन संरक्षक श्री एनके जानू, डब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूएफ-इंडिया के सीईओ और महासचिव श्री रवि सिंह और राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के डॉक्टर संदीप बेहेरा शामिल रहे। डब्‍ल्‍यूडब्‍ल्‍यूएफ-इंडिया के श्री सुरेश बाबू ने वेबिनार में मॉडरेटर की भूमिका निभाई । इस वेबीनार में माई गंगा माई डॉल्फिन अभियान की परिकल्पना और उसके क्रियान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले 5 जिलों के वन अधिकारियों ने शिरकत की। इनमें मेरठ की डीएफओ सुश्री अदिति शर्मा, संभल के डीएफओ श्री कन्हैया, मुजफ्फरनगर के डीएफओ श्री सूरज, बिजनौर के डीएफओ श्री एम सेम्मारन और बुलंदशहर के डीएफओ श्री गंगा प्रसाद शामिल हैं। ‘मेरी गंगा, मेरी डॉल्फिन’ अभियान के ऑनलाइन समापन समारोह में वन अधिकारियों गंगा मित्रों और गंगा प्रहरियों को इस अभियान में अमूल्य योगदान देने के लिए सम्मानित भी किया गया।

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