चंडीगढ़(लाइवभारत24)। हम आपको बता दें कि महापौर चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मनोज सोनकर ने कांग्रेस समर्थित आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को हराकर जीत हासिल की। मनोज सोनकर को 16 मत मिले जबकि कुलदीप कुमार के पक्ष में 12 मत आए।
भाजपा ने मंगलवार को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में जीत हासिल करते हुए तीन शीर्ष पदों पर कब्जा बरकरार रखा है। भाजपा की इस जोरदार जीत को पहली बार साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिये बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है। चंडीगढ़ भाजपा की इस जीत पर जहां पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कार्यकर्ताओं को बधाई दी है वहीं विपक्षी गठबंधन के नेता इस चुनाव परिणाम को अदालत में चुनौती देने की बात कर रहे हैं।
हम आपको बता दें कि महापौर चुनाव में भाजपा उम्मीदवार मनोज सोनकर ने कांग्रेस समर्थित आम आदमी पार्टी के कुलदीप कुमार को हराकर जीत हासिल की। मनोज सोनकर को 16 मत मिले जबकि कुलदीप कुमार के पक्ष में 12 मत आए। आठ मतों को अवैध घोषित कर दिया गया। इसके अलावा भाजपा के उम्मीदवार कुलजीत संधू वरिष्ठ उप महापौर और राजिंदर शर्मा उप महापौर पद के लिए निर्वाचित घोषित किए गए। हम आपको बता दें कि महापौर पद के लिए परिणाम घोषित होते ही विपक्षी गठबंधन इंडिया के दो दलों के पार्षदों ने चंडीगढ़ नगर निगम सदन में हंगामा किया और अगले चरण यानि वरिष्ठ उप महापौर और उप महापौर के पदों के चुनाव का बहिष्कार किया। विपक्षी पार्षदों ने आरोप लगाया कि चुनाव में मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ की गई। हालांकि भाजपा ने इस आरोप को खारिज कर दिया।

आप के एक पार्षद ने कहा कि पार्टी पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएगी। आप और कांग्रेस ने पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर आरोप लगाया कि उन्होंने गिनती के दौरान मतपत्रों पर कुछ निशान बना दिए, जिससे वे अवैध हो गए। उन्होंने तर्क दिया कि “अमान्य” मतपत्रों ने संतुलन को भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में झुका दिया। वहीं कांग्रेस नेता पवन कुमार बंसल ने आरोप लगाया, “चंडीगढ़ महापौर चुनाव में भाजपा के पार्षद-पीठासीन अधिकारी द्वारा लोकतंत्र की हत्या करने की सोची-समझी साजिश के तहत बेधड़क छेड़छाड़ की आशंका सच साबित हुई है।” उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस-आप एजेंट को मतपत्रों की जांच करने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने आरोप लगाया, “पीठासीन अधिकारी ने आठ मतों को खारिज करने की घोषणा की, भाजपा उम्मीदवार को विजेता घोषित किया और चले गए। भाजपा सदस्य मेज की ओर दौड़े और मतपत्र फाड़ दिये।”

हम आपको बता दें कि चंडीगढ़ नगर निगम में 35 सदस्यीय सदन में भाजपा के 14 पार्षद हैं। पार्टी की चंडीगढ़ से सांसद किरण खेर के पास भी पदेन सदस्य के रूप में मतदान का अधिकार है। आप के 13 और कांग्रेस के सात पार्षद हैं। शिरोमणि अकाली दल का एक पार्षद है। हम आपको यह भी बता दें कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ में होने के बावजूद कांग्रेस और आप पंजाब में लोकसभा चुनाव एक साथ मिलकर लड़ने के इच्छुक नहीं है। लेकिन वे पंजाब और हरियाणा दोनों की राजधानी के रूप में कार्य करने वाले केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में महापौर का चुनाव एक साथ लड़ने पर सहमत हुए। चंडीगढ़ में गठबंधन के हिस्से के रूप में आप ने महापौर पद के लिए चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस ने दो अन्य पदों के लिए अपने उम्मीदवार उतारे थे। हम आपको बता दें कि सदन के पांच साल के कार्यकाल के दौरान हर साल तीन पदों के लिए चुनाव होते हैं। कांग्रेस ने 2022 और 2023 में मतदान में भाग नहीं लिया था, जिससे भाजपा की जीत हुई। महापौर पद का चुनाव गुप्त मतदान के जरिए होता है। इस वर्ष के चुनाव में यह पद अनुसूचित जाति वर्ग के उम्मीदवार के लिए आरक्षित था।

उधर, दिल्ली में आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर ‘धोखा’ देने का आरोप लगाया। केजरीवाल ने दिनदहाड़े की गई कथित “धोखाधड़ी” पर “गंभीर चिंता” जताते हुए कहा कि “यदि ये लोग महापौर चुनाव में इस स्तर तक गिर सकते हैं, तो वे राष्ट्रीय चुनावों में किसी भी हद तक जा सकते हैं।” उन्होंने कहा, “यह बहुत चिंताजनक है।”

हम आपको बता दें कि महापौर चुनाव के लिये सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। अधिकारियों ने कहा कि नगर निगम भवन में चुनाव के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अर्धसैनिक बलों के साथ-साथ लगभग 700 पुलिस कर्मियों को तैनात किया गया था। वैसे मतदान मूल रूप से 18 जनवरी को होना था, लेकिन पीठासीन अधिकारी के बीमार पड़ने के बाद चंडीगढ़ प्रशासन ने इसे छह फरवरी तक के लिए टाल दिया था। प्रशासन ने उस समय भी कहा था कि कानून-व्यवस्था की स्थिति का आकलन करने के बाद चुनाव स्थगित कर दिया गया था। चुनाव टालने के प्रशासन के आदेश पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के पार्षदों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया था। कुलदीप कुमार ने चंडीगढ़ के उपायुक्त के चुनाव टालने के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने 24 जनवरी के अपने आदेश में चंडीगढ़ प्रशासन को 30 जनवरी को सुबह 10 बजे महापौर पद के लिए चुनाव कराने का निर्देश दिया था। अदालत ने चुनाव स्थगित करने के प्रशासन के 18 जनवरी के आदेश को “अनुचित, अन्यायपूर्ण और मनमाना” बताते हुए रद्द कर दिया था। उच्च न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया था कि वोट डालने आने वाले पार्षदों के साथ किसी अन्य राज्य का कोई समर्थक या सुरक्षाकर्मी नहीं होगा। अदालत ने कहा था कि चंडीगढ़ पुलिस पार्षदों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगी। पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया था कि चुनाव प्रक्रिया के दौरान या उसके बाद नगर निकाय परिसर में या उसके आसपास कोई हंगामा या अप्रिय घटना न हो।

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