नई दिल्ली(लाइवभारत24)।  मोदी सरकार ने अगले वित्त वर्ष के लिए सेमीकंडक्टर मिशन, मोबाइल और आईटी हार्डवेयर पीएलआई योजना सहित विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग कार्यक्रमों के लिए 15,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसमें असेंबली, परीक्षण और पैकेजिंग संयंत्रों के लिए 4,203 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन का प्रस्ताव है, जिससे गुजरात में माइक्रोन द्वारा स्थापित संयंत्र, फॉक्सकॉन और एचसीएल के संयुक्त उद्यम द्वारा प्रस्तावित संयंत्र जैसे परियोजनाओं को लाभ होगा।

प्रस्तावित आवंटन में कंपाउंड सेमीकंडक्टर और सेंसर संयंत्र स्थापित करने की परियोजनाएं शामिल हैं। भारत में सेमीकंडक्टर फैब या इलेक्ट्रॉनिक चिप प्लांट स्थापित करने के लिए 1,500 करोड़ रुपये, मोहाली स्थित सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला के लिए 900 करोड़ रुपये, डिजाइन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना के लिए 200 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

कुल मिलाकर सेमीकंडक्टर परियोजनाओं के तहत विभिन्न योजनाओं के लिए 6,903 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। इसके अलावा, सरकार ने मोबाइल उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के आवंटन को 2023-24 के 4,489 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2024-25 में 6,125 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव दिया है।

सरकार ने आईटी हार्डवेयर पीएलआई के लिए केवल 75 करोड़ रुपये के आवंटन का प्रस्ताव दिया है। इस क्षेत्र में पांच सालों में लगभग 17,000 करोड़ रुपये के कुल प्रोत्साहन का वादा किया गया है। सरकार ने सी-डेट का बजट आवंटन 2023-24 के 590 करोड़ रुपये से घटाकर 500 करोड़ रुपये कर दिया है। बजट दस्तावे•ा के अनुसार, दूरसंचार हार्डवेयर पीएलआई के लिए किसी तरह का आवंटन नहीं किया गया है।

स्टार्टअप में निवेश के लिए कर प्रोत्साहन की अवधि एक साल बढ़ी
सरकार ने सॉवरेन वेल्थ या पेंशन फंड द्वारा स्टार्टअप में किए गए निवेश के लिए कर प्रोत्साहन की अवधि को मार्च, 2025 तक बढ़ा दिया है। अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि सरकार ने देश में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकार द्वारा अब तक 1.17 लाख स्टार्टअप को मान्यता दी गई है।

प्रस्ताव पर टिप्पणी करते हुए शार्दुल अमरचंद मंगलदास एंड कंपनी की पार्टनर गौरी पुरी ने कहा कि उम्मीद के मुताबिक सरकार ने नीतिगत संयम बरता है और किसी भी कर प्रस्ताव का एलान नहीं किया गया है। डेलाइट इंडिया की पार्टनर दीपा शेषाद्रि ने कहा कि जिस अभूतपूर्व गति से तकनीक का विकास हो रहा है, उसमें एक अच्छी तरह से परिभाषित कानूनी ढांचा आवश्यक है।

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