नई दिल्ली (लाइवभारत24)। दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का आज 12वां दिन है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल किसानों से मिलने सिंघु बॉर्डर पहुंचे। उन्होंने कहा, ‘किसानों का मुद्दा और संघर्ष जायज है। हम किसानों के संघर्ष में शुरू से ही साथ रहे हैं। केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस ने हमसे 9 स्टेडियमों को जेल बनाने की परमिशन मांगी थी। हम पर खूब दबाव बनाया गया, लेकिन हमने परमिशन नहीं दी। केंद्र सरकार चाहती थी कि किसानों दिल्ली आएं और उन्हें जेल में डाल दें।’उधर, पंजाब के खिलाड़ी और कलाकारों ने ऐलान किया है कि वे किसानों के समर्थन में आज अवॉर्ड वापसी करेंगे।
किसान पहले ही कह चुके हैं कि 8 दिसंबर यानी मंगलवार को भारत बंद करेंगे। इसके समर्थन में कांग्रेस समेत 20 सियासी दल और 10 ट्रेड यूनियंस उतर आए हैं। विपक्षी पार्टियों के नेताओं ने 9 दिसंबर को राष्ट्रपति से मिलने के लिए समय मांगा है। बसपा प्रमुख मायावती ने भी आज किसान आंदोलन को समर्थन का ऐलान किया है। उधर, किसान नेता बलदेव सिंह निहालगढ़ ने बताया कि मंगलवार को बंद सुबह से शाम तक और चक्का जाम दोपहर 3 बजे तक रहेगा। एम्बुलेंस और शादियों वाली गाड़ियां आ-जा सकेंगी।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव किसानों को समर्थन देने कन्नौज जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें लखनऊ में ही रोक दिया। अखिलेश अपने समर्थकों के साथ वहीं धरने पर बैठ गए।
नोएडा से दिल्ली जाने के लिए चिल्ला बॉर्डर से एंट्री बंद है। ट्रैफिक पुलिस ने कहा है कि दिल्ली आने के लिए नोएडा लिंक रोड की बजाय DND का इस्तेमाल करें।
NH-24 पर गाजीपुर बॉर्डर बंद है। गाजियाबाद से दिल्ली आने वालों को NH-24 की बजाय अप्सरा, भोपरा या DND के रास्ते आने की सलाह दी गई है। किसानों और सरकार के बीच हुई 5 दौर की बातचीत के बाद भी कोई रास्ता नहीं निकल सका है। अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के कई बॉर्डर पर किसान डेरा डाले हुए हैं। 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान भी कर चुके हैं। उनका अगला टारगेट बदरपुर बॉर्डर को बंद करने का है। इसे लेकर पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां भी हरकत में आ चुकी हैं। पुलिस भी अपने स्तर पर किसानों की स्ट्रैटजी पता लगाने की कोशिश में लगी है। हरियाणा के लोग दिन रात किसानों की सेवा में लगे हुए हैं। आंदोलन में आई महिलाएं और किसानों के लिए दिल्ली बॉर्डर के साथ लगते हरियाणा के कई गांवों के लोगों ने अपने दरवाजे खोल रखे हैं। उन्होंने पंजाब की महिलाओं ने अपने घर में रहने, सोने, नहाने के लिए हर सुविधा दे रखी है। कुछ महिलाओं ने तो यहां तक कहा कि हरियाणा में उन्हें ऐसा सम्मान मिल रहा है जैसे ससुराल में दामाद को दिया जाता है। रहने खाने से लेकर पहनने को कपड़े तक दे रहे हैं। आंदोलन में बच्चों और महिलाओं से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं। आंदोलन में अपनी भूमिका पर बात करने के लिए महिलाएं मोबाइल ऐप के जरिए मीटिंग करती हैं। करीब 70 साल के एक बुजुर्ग कहते हैं कि पंजाब बड़ा भाई और हरियाणा छोटा है, दोनों साथ हैं तो सबक सिखा ही देंगे। एक बुजुर्ग ने कहा, जोश के साथ होश जरूरी है। ये भविष्य की लड़ाई है, सब्र से लड़ी जाएगी। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने रविवार को कहा, ‘मैं नहीं मानता असली किसान, जो अपने खेतों में काम कर रहे हैं, वे इस बारे में चिंतित हैं। कुछ राजनीतिक लोग आग में घी डाल रहे हैं। मुझे नहीं लगता कानून वापस लिए जाने चाहिए। जरूरत पड़ी तो इनमें कुछ संशोधन हो सकते हैं।’

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