लखनऊ(लाइवभारत24)। प्रदेश कांग्रेस ने भारी बारिश के चलते आयी बाढ़ से हुये नुकसान और प्रदेश सरकार पर बाढ़-रोकथाम के प्रति उदासीनता का आरोप लगाते हुये कहा कि बारिश के चलते उत्तर प्रदेश की कई नदियों में जल स्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया। कई तटबंध टूटने के कगार पर। सैकड़ो गांव जलमग्न हो गये है, हजारो एकड़ फसले बर्बाद हो गयी है। मवेशी संकट में है। लेकिन सरकार ने अभी तक बाढ़ की रोकथाम के लिये कोई ठोस एक्शन प्लान नही बनाया। उन्होंने कहा कि *76 बंधे अति संवेदनशील हैं*। बाढ़ स्थायी संचालन समिति की बैठक में *3000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव सिंचाई विभाग ने रखा लेकिन योगी सरकार ने मात्र 1300 करोड़ रुपया की स्वीकृति किया। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि यह सरकार की असंवेदनशील रैवया का परिणाम है कि पिछले तीन सालों में सबसे अधिक बंधे टूटे हैं। चरसरी, एपी बंधा कुशीनगर, बाराबंकी के बंधे टूटे हुए हैं। जारी प्रेस नोट में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कोरोना के कहर के बीच बाढ़ का संकट गहराता जा रहा है। लगातार बारिश होने से पूरा प्रदेश बाढ़ की चपेट में है। जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। गोरखपुर,बस्ती, महराजगंज, कुशीनगर, बहराइच, गोण्डा, बाराबंकी, बनारस व फैजाबाद जिलों के सैकड़ो गांव जलमग्न हो गये है। किसानों की हजारो एकड़ की फसले बर्बाद हो गयी है। मवेशियों को चारा का संकट है। बाढ़ में फंसे लोगो के लिये आवागमन की कोई सुविधा नही मिल पायी है। पीड़ित परिवार भोजन की समस्या से जूझ रहे है। सरकार ने अभी तक कही भी खाद्यान्न वितरित नही किया। उन्होंने आगे कहा कि बूढ़ी गंडक, मवने नाले, घाघरा, सरयू तथा राप्ती नदी में बने कई तटबंध पहले से ही जर्जर अवस्था मे है। बाढ़ का संकट बढ़ने से बाराबंकी में सरसवां तटबंध, कुशीनगर का अमवा खास सहित कई तटबंध टूटने के कगार पर है। *उन्होंने खुद ही अपनी विधानसभा तमकुहीराज के जर्जर तटबंधों की मरम्मत के लिये विधानसभा में मांग उठायी लेकिन सरकार ने अभी तक सुध नही लिया। क्या सरकार भीषण बाढ़-संकट का इंतजार कर रही है?

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