मुंबई (लाइव भारत24)। बॉलीवुड इंडस्ट्री में टीवी की दुनिया से कदम रखने वाले एक्टर इंदर कुमार का साल 2017 में कार्डियक अरेस्ट के चलते निधन हो गया था। इन्होंने फिल्म ‘मासूम’ (1990) से बॉलीवुड इंडस्ट्री में डेब्यू किया था। लेकिन इन्हें ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ सीरियल के मिहीर के नाम से ज्यादा जाना-पहचाना गया था। बिना किसी सपोर्ट के इन्होंने कई शानदार फिल्में की और फैन्स को साबित किया कि वह एक अच्छे परफॉर्मर हैं। हाल ही में इंदर की पत्नी ने एक किस्सा साझा किया, जिसमें उन्होंने बताया कि इंदर किस तरह फिल्म इंडस्ट्री में नेपोटिज्म का शिकार हुए थे। पोस्ट में पल्लवी लिखती हैं, ‘आजकल हर कोई नेपोटिज्म पर बात कर रहा है। नेपोटिज्म, सुशांत सिंह राजपूत की तरह ही मेरे पति दिवंगत इंदर कुमार ने भी बिना सपोर्ट के इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई थी। 90 के दशक में वह अपने करियर के पीक पर थे। दम तोड़ने से पहले मुझे याद है वह इंडस्ट्री के दो बड़े लोगों से मिलने के लिए गए थे, क्योंकि वह काम की तलाश कर रहे थे।’
पल्लवी आगे लिखती हैं कि इंदर, करण जौहर के पास गए, मैं भी उनके साथ थी। सभी चीजें मेरे सामने हुईं। करण जौहर ने पहले तो हमें दो घंटे बाहर इंतजार कराया इसके बाद उनकी मैनेजर गरीमा बाहर आईं और कहा कि करण बिजी हैं। हमने फिर भी उनका इंतजार किया और जब वह बाहर आए तो उन्होंने कहा कि इंदर तुम गरीमा के टच में रहना, अभी तुम्हारे लिए कोई काम नहीं है। और इंदर ने उनकी बात सुनी। इसके 15 दिन बाद इंदर ने फोन करके गरीमा से पूछा तो फिर से वही जवाब मिला कि काम नहीं है। इसके बाद इंदर को ब्लॉक कर दिया गया।
पल्लवी शाहरुख खान के बारे में भी सेम यही चीज बताती हैं और कहती हैं कि जब इंदर ‘जीरो’ फिल्म के सेट पर शाहरुख से मिलने गए तो उन्होंने भी इंदर को वही जवाब दिया जो करण ने दिया था। उन्होंने भी अपनी मैनेजर से कॉन्टैक्ट करने के लिए कहा। शाहरुख की मैनेजर पूजा से फोन कर पूछा तो उन्होंने भी इंदर को यही कहा कि काम नहीं है।
पल्लवी कहती हैं कि बॉलीवुड में अपनी जगह बनाना इसलिए मुश्किल होता है क्योंकि टैलेंटेड एक्टर्स को काम मिलता ही नहीं है। बड़े एक्टर्स उनसे डरते हैं कि कहीं वे उनकी जगह न ले लें। नेपोटिज्म पर रोक लगनी चाहिए और सरकार को इसके खिलाफ सख्त एक्शन लेने चाहिए।

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