4 हजार नक्शे अंग्रेजी में छपवा रहा है नेपाल
काठमांडू(लाइवभारत24)। अपने देश का संशोधित नक्शा नेपाल सरकार संयुक्त राष्ट्र, गूगल, भारत और अन्य अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजने की तैयारी में है। इसके लिए 4 हजार नक्शे अंग्रेजी में छपवाए जा रहे हैं। नेपाल ने अपने नए राजनीतिक नक्शे को मई में मंजूरी दी थी। इसमें तिब्बत, चीन और नेपाल से सटी सीमा पर स्थित भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधूरा को नेपाल का हिस्सा बताया गया है।
भूमि प्रबंधन मंत्री पद्मा आर्यल ने बताया कि अगस्त के दूसरे हफ्ते तक यह नक्शा अंतरराष्ट्रीय समुदाय तक पहुंचा दिया जाएगा। मेजरमेंट डिपार्टमेंट के सूचना अधिकारी दामोदर ढकाल ने बताया कि देश के भीतर बांटने के लिए 25 हजार नक्शे पहले ही प्रिंट किए जा चुके हैं। लोकल यूनिट्स, राज्य और अन्य पब्लिक ऑफिस में ये फ्री में बांटे जाएंगे। आम लोग इसे 50 रुपए में खरीद सकेंगे। भारत ने 8 मई को लिपुलेख-धाराचूला मार्ग का उद्घाटन किया था। नेपाल ने इस पर आपत्ति जताई थी। उसका दावा है कि महाकाली नदी के पूर्व का पूरा इलाका नेपाल की सीमा में आता है। जवाब में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि लिपुलेख हमारे सीमा क्षेत्र में आता है और लिपुलेख मार्ग से पहले भी मानसरोवर यात्रा होती रही है। हमने अब सिर्फ इसी रास्ते पर निर्माण कर तीर्थयात्रियों, स्थानीय लोगों और कारोबारियों के लिए आवाजाही आसान बनाई है।
भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा 2 नवम्बर 2019 को जारी किया था। इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग ने सर्वेक्षण विभाग के साथ मिलकर तैयार किया है। इसमें कालापानी, लिंपियाधूरा और लिपुलेख इलाके को भारतीय क्षेत्र में बताया गया है। नेपाल ने तब भी इस पर ऐतराज जताया था। इसके बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने सीमा से किसी प्रकार की छेड़छाड़ से इनकार किया था। विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नए नक्शे में नेपाल से सटी सीमा में बदलाव नहीं है। हमारा नक्शा भारत के संप्रभु क्षेत्र को दर्शाता है।
नेपाल और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच 1816 में एंग्लो-नेपाल युद्ध के बाद सुगौली समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे। इसमें काली नदी को भारत और नेपाल की पश्चिमी सीमा के तौर पर दिखाया गया है। इसी के आधार पर नेपाल लिपुलेख और अन्य तीन क्षेत्र अपने अधिकार क्षेत्र में होने का दावा करता है। हालांकि, दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।