नई दिल्ली। पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उससे संबद्ध देशों ने कच्चे तेल के उत्पादन में करीब एक करोड़ बैरल प्रतिदिन की कटौती को जुलाई अंत तक एक महीने के लिए और बढ़ा दिया है। ओपेक के इस फैसले के बाद कच्चे तेल की कीमतों में 20 साल की सबसे बड़ी तेजी आई है। सऊदी अरब ने कम से कम दो दशकों में कच्चे तेल के निर्यात के लिए कीमतों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी की है। ओपेक उत्पादकों द्वारा उत्पादन में ऐतिहासिक कटौती के बाद तेल बाजार को मजबूत करने की अपनी रणनीति पर दोगुना कर दिया।

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, प्राइस लिस्ट के अनुसार सबसे बड़ा प्रोड्यूसर सऊदी अरामको जुलाई में एशिया में महंगे तेल की सप्लाई करेगा। सऊदी अरब द्वारा की गई ये सबसे ज्यादा बढ़ोतरी रूस के साथ प्राइस वार के दौरान घटी कीमतों के अंतर को मिटा देगा। तेल की कीमतों में तेजी उछाल से पता चलता है कि अप्रैल में कीमतें निगेटिव होने के बाद सऊदी अरब अपने सभी टूल्स का उपयोग ऑयल मार्केट के उछाल के लिए कर रहा है।

सऊदी अरब द्वारा कीमतों में बढ़ोतरी के बाद मिडिल ईस्ट में अन्य तेल उत्पादकों द्वारा मूल्यों में इजाफा की जा सकती है। सऊदी अरब ने मार्च में रूस के साथ जारी प्राइस वार की वजह से तेल की कीमतें में 30 साल की सबसे बड़ी कटौती कर दी थी। सऊदी अरब ने यह कदम कोरोना महामारी के चलते तेल की मांग में कमी को देखते रूस के साथ उत्पादन कटौती के बढ़ाए जाने पर सहमत नहीं होने पर उठाया था।

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