नईदिल्ली (लाइव भारत24)। प्रधानमंत्री  मोदी ने राजकोट में ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) की आधारशिला वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए रखी। मोदी ने कहा कि 2020 ने हमें सिखाया कि स्वास्थ्य ही संपदा है। यह पूरा साल चुनौतियों भरा रहा। कोरोना वैक्सीन की तैयारी अब आखिरी फेज में है। नया साल इलाज की उम्मीद लेकर आ रहा है। नए साल में हम दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सिनेशन प्रोग्राम चलाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने पहली बार कहा कि अब दवाई भी और कड़ाई भी…यानी कोरोना की दवा आने पर भी लापरवाह नहीं होना है।

मोदी ने कहा कि 2020 को नई हेल्थ फैसिलिटी के साथ विदाई देना चुनौतियों को दर्शाता रहा है। ये साल दुनिया में अभूतपूर्व चुनौतियों को दिखाता है। इस साल साबित हुआ कि स्वास्थ्य से बड़ा कुछ भी नहीं। स्वास्थ्य पर जब चोट होती है तो जीवन ही नहीं, पूरा सामाजिक दायरा उसकी लपेट में आ जाता है। साल का अंतिम दिन डॉक्टर, दवा दुकानों में काम करने वाले, स्वास्थ्यकर्मियों को याद करने का है, जो अपने जीवन को लगातार दांव पर लगातार दूसरों के लिए काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश उन साथियों, वैज्ञानिकों, कर्मचारियों को भी बार-बार याद कर रहा है जो कोरोना को देखते हुए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में जुटे रहे। आज का दिन उन सबकी सराहना का है जिन्होंने गरीब तक सभी सुविधाएं पहुंचाने का काम किया। समाज की संगठित ताकत, उसकी संवेदनशीलता का ही नतीजा है कि गरीब को भी किसी ने रात में भूखा नहीं सोने दिया। मुश्किल भरे साल ने दिखाया कि एकजुटता से बड़ी से बड़ी मुश्किल हल की जा सकती है।

भारत में 1 करोड़ लोग इस बीमारी से लड़कर जीत चुके हैं। दुनिया के देशों से भारत का रिकॉर्ड कहीं बेहतर रहा। 2020 में संक्रमण की निराशा थी, चारों तरफ सवालिया निशान थे, यह सब साल की पहचान बन गए। 2021 इलाज की आशा लेकर आ रहा है। भारत में वैक्सीन की हर जरूरी तैयारी चल रही है। वैक्सीन हर घर तक पहुंचे, इसकी कोशिशें अंतिम चरण में हैं। मुझे विश्वास है कि बीते साल हमने संक्रमण रोकने के लिए जिस तरह प्रयास किए, टीकाकरण के लिए भी पूरा देश आगे बढ़ेगा।जिस तरह से गुजरात में इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है, उससे राज्य को कोरोना से निपटने में आसानी हुई है। हमने देखा है कि जहां बड़ा अस्पताल होता है, वहां एक शहर ही बस जाता है। बीते 6 साल में इलाज को लेकर जिस स्केल पर काम हुआ है, उसका लाभ गुजरात को भी मिल रहा है। आजादी के इतने दशकों के बाद भी केवल 6 एम्स बन पाए। अटल सरकार ने 2003 में 6 नए एम्स बनवाए। हम 10 नए एम्स बनाने पर काम शुरू कर चुके हैं।

2014 से पहले हमारा हेल्थ सेक्टर अलग-अलग अप्रोच के साथ काम कर रहा था। गांवों में न के बराबर सुविधाएं थीं। हमने प्रिवेंटिव केयर पर जोर दिया। गरीब के इलाज का खर्च कम किया, डॉक्टरों की संख्या भी बढ़ाई। दूरदराज के इलाकों में हेल्थ और वेलनेस सेंटर बनाने पर काम चल रहा है। 5 हजार तो गुजरात में ही हैं। इस योजना से गरीबों को 5 लाख तक मुफ्त इलाज मिला।

आयुष्मान भारत योजना से गरीबों के 30 हजार करोड़ रुपए बचे। कैंसर, हार्ट-किडनी की समस्या हो, इनका इलाज गरीबों को अच्छे अस्पतालों में मुफ्त मिला। देश में 7 हजार जनऔषधि केंद्र गरीबों को दवाएं मुफ्त मुहैया करा रहे हैं। यहां दवाएं 90% तक सस्ती होती हैं। साढ़े तीन लाख से ज्यादा मरीज रोज जनऔषधि केंद्र का लाभ ले रहे हैं। इससे हर साल गरीबों के 3600 करोड़ रुपए बच रहे हैं।

कुछ के मन में सवाल उठ सकता है कि सरकार इस पर जोर क्यों दे रही है? दरअसल, हममें से ज्यादातर उसी पृष्ठभूमि से निकले लोग हैं। गरीब को गंभीर बीमारी होती है तो वह सोचता है कि इसका इलाज कराए ही नहीं। गंभीर बीमारी होने पर वह पूजा-पाठ जैसे रास्ते पर चला जाता है। वजह एक ही होती है- उसके पास इलाज के पैसे नहीं होते। आयुष्मान भारत योजना ने बीमारी को लेकर लोगों का नजरिया ही बदल दिया।

आज हेल्थ और वेलनेस को लेकर गंभीरता आई है। ये शहरों ही नहीं, सुदूर गांवों में भी हुआ है। शौचालय के लिए भी लोग जागरुक हुए हैं। रसोई में गैस पहुंचने से बहू-बेटियों की सोच में पॉजिटिविटी आई और हेल्थ बेहतर हुई। देश में माताओं की मृत्यु दर में काफी कमी देखी गई है। इम्पैक्ट के साथ इम्प्लीमेंटेशन भी अहम है। प्रक्रिया में सुधार करना जरूरी होता है। हेल्थ सेक्टर में बड़ा बदलाव ये आया कि स्वास्थ्य योजनाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ी।

जरूरी यह है कि हर 3 लोकसभा क्षेत्रों के बीच एम्स हो। बीते सालों में एम्स में 24 हजार सीटें और बढ़ाई गई हैं। 2020 हेल्थ चैलेंजेज का साल था तो 2021 हेल्थ सॉल्यूशन का साल होगा। आज हम देख रहे हैं कि बीमारियां ग्लोबलाइज हो रही हैं। समय है कि हेल्थ सॉल्यूशन भी ग्लोबलाइज हों। अब अलग-थलग रहकर काम करने का वक्त नहीं है। सबको मिलकर काम करना होगा। भारत ने ये करके दिखाया है। हम दुनिया के साथ आगे बढ़े, कलेक्टिव एफर्ट्स में वैल्यू एडिशन किया और मानवता को केंद्र में रखा।

दो गज की दूरी, मास्क और सैनिटाइजेशन में ढील नहीं देनी। नया साल सबके लिए मंगलमय हो। पहले कहता था कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। अब कहता हूं कि दवाई भी और कड़ाई भी। यही 2021 का मंत्र है। देश में अफवाहों का बाजार जरा तेज रहता है। जब वैक्सिनेशन हो तो भी ये काम चलेगा। कई काल्पनिक झूठ फैलाए जा सकते हैं। मेरा लोगों से आग्रह है कि कोरोना यानी अनजान दुश्मन के खिलाफ लड़ाई है। आने वाले दिनों में देश में स्वास्थ्य का जो अभियान चलेगा, उसमें पूरी मदद करें। वैक्सिनेशन की सूचना पूरे देश को पहले से मिलेगी।

राजकोट AIIMS के लिए सरकार ने 201 एकड़ जमीन की मंजूरी दी है। इसे बनाने में 1195 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है। 2022 के मध्य तक इसके पूरे होने की उम्मीद है। 750 बेड वाले AIIMS में 30 बेड वाला आयुष ब्लॉक भी होगा।

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