लखनऊ(लाइवभारत24)। कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पर प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने आज श्रमिक भाइयों के साथ महापंचायत करके उनके दु:ख दर्द को जाना। पंचायत में श्रमिक भाइयों को संबोधित करते हुए प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि मौजूदा सरकार ने एक भी मजदूर को रोजगार नहीं दिया है बल्कि मजदूर गरीब विरोधी योगी सरकार मजदूरों को धोखा देने का काम कर रही है ।वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री का आत्मनिर्भर यूपी रोजगार अभियान के तहत अन्य प्रदेशो से लौटे मजदूरों को नया रोजगार देने की बात करना झूठ और फरेब का पुलिंदा बताया। उन्होंने कहा कि पीएम और सीएम ने एक भी मजदूरों को उनकी योग्यता में इजाफा करते हुए कोई नया सम्मानित प्रतिष्ठित रोजगार नहीं दिलाया। अजय कुमार लल्लू ने आगे कहा कि भैंस पालना, लौकी सहजन बेचना, राजमिस्त्री को गाँव में ही काम मिलना जैसे काम लोग पहले से करते आ रहे हैं। यह कौन सी उपलब्धि है जो सरकार गिना रही है? प्रदेश का मजदूर चाहता था कि उसकी निजी स्किल को किसी संगठित उद्योग धंधे में लगाया जाए। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष पंकज मलिक ने योगी पर हमला बोलते हुए कहा कि प्रदेश के मजदूरों के साथ धोखा और नौटंकी भाजपा सरकार कर रही है। पंकज मलिक ने आगे कहा कि योगी और उनके नौकरशाह पहले से लिखी स्क्रिप्ट लेकर कई दिनों से गरीब मजदूरों के साथ रिहर्सल कर रहे थे। रोजी खो चुके मजदूर के साथ इससे भद्दा मजाक क्या होगा? मौजूदा सरकार गरीब और श्रमिक विरोधी है। मजदूर पंचायत में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के समक्ष बात रखते हुए एक श्रमिक भाई फफककर कर रोते हुए बोला लॉकडाउन में मेरे बीवी बच्चे भिखारियों की तरह इधर उधर से भोजन मांगकर खाने को मजबूर हुए। मैं खुद साढ़े तीन महीने गुडगाँव में बड़ी कठिनाई में वक्त काटा। घर वालो का फोन से हालचाल लेना भी नहीं हो सका। पैसे के अभाव में वो फोन तक नहीं चार्ज करवा सके।एक अन्य मजदूर ने अपनी व्यथा कहते हुए बताया कि मार्च से अब तक उसको कोई काम नहीं मिला। परिवार भुखमरी की कगार पर है। कोई सरकारी एजेंसी उनकी झुग्गी झोपडी में उनका हाल सुनने या राशन देनें नहीं आई। न ही सरकार की तरफ उनको कोई आर्थिक मदद की गयी। 1000 रुपये की बात सरासर झूठी है। पेंटिंग के पेशे से जुड़े मजदूर ने बताया कि लोग अभी भी कोरोना के भय से काम देने को तैयार नहीं है। मजदूर पंचायत में बोलते हुए एक अन्य मजदूर ने अपनी व्यथाकथा कहते हुए बताया कि लॉकडाउन पीरियड में सरकारी गल्ले वाले ने सिर्फ प्रतियूनिट के हिसाब से 5 किलो चावल ही उपलब्ध कराया। उसके पास रहने को कोई घर नहीं है। महामारी के दौरान टीबी के चलते उसने अपने छोटे भाई को भी खोया। जिसका इलाज भी न हो सका। मजदूर पंचायत में कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के सामने अपनी पीड़ा दंश और दु:ख दर्द को साझा करते अन्य श्रमिक भाइयों ने सीधे तौर पर सरकार के दावों को, उनके आंकड़ो को फरेब और झूठ का पुलिंदा बताया। सरकार की तरफ से कोई ट्रेनिंग उनको नहीं दी गयी है न ही कोई आर्थिक मदद उनके खाते तक आई है। उन्होंने बताया अब उनके लिए पेट पालना बेहद मुश्किल हो रहा है। जीवनयापन के नाम पर साइकिल पर सब्जी बेचकर या रिक्शा चलाकर पेट पल रहे है। ऐसे कठिन वक्त में पुलिस की वसूली से भी बेहद त्रस्त हैं।