वर्तमान में भारत में पीने के पानी की स्थिति इतनी खराब है कि 122 देशों में से गुणवत्ता के हिसाब से यह 120 वें स्थान पर है, जबकि 75 प्रतिशत घरों के परिसर में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है: नीति आयोग
नई दिल्ली(लाइवभारत24)। पानी हमारे जीवन के लिए सबसे जरूरी तरल पदार्थ है, इसलिए शरीर में पानी का सामान्य स्तर बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत जरूरी है। लेकिन उतना ही महत्वपूर्ण है स्वच्छ और साफ पानी का सेवन, क्योंकि प्रदूषित और गंदे पानी का सेवन आपको बीमार बनाकर मृत्यु का कारण बन सकता है।
हमारे देश के शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित पीने के पानी की उपलब्धता एक बहुत बड़ा संकट है, क्योंकि यहां रहने वाले 10 करोड़ से भी अधिक लोग खराब गुणवत्ता वाला पानी पीने को मजबूर हैं। ऐसा अनुमान है कि 2050 तक भारत की आधी जनसंख्या शहरों में रहने लगेगी और ऐसे में उसे पीने के पानी की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ेगा। नीति आयोग के अनुसार, वर्तमान में भारत में पीने के पानी की स्थिति इतनी खराब है कि 122 देशों में से गुणवत्ता के हिसाब से यह 120 वें स्थान पर है, जबकि 75 प्रतिशत घरों के परिसर में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है।
यही नहीं, शहरी भारत में रहने वाले लाखों लोगों के पास पीने के पानी की गुणवत्ता मापने के लिए कोई यंत्र या व्यवस्था नहीं है। ऐसे में हमारे देश के शहरों में रहने वाली कुल आबादी को दोहरे संकट का सामना करना पड़ रहा है, एक तो उन्हें पीने का स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है, दूसरा उनके पास अशुद्ध पानी को शुद्ध करने की सुविधा नहीं है। क्योंकि पानी को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल होने वाले वाटर प्युरिफायर और आरओ काफी मंहगे हैं।
पद्म श्री, डॉ. चंद्रकांत एस. पांडव, ग्लोबल पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट, भूतपूर्व विभागाध्यक्ष, कम्युनिटी मेडिसीन, एम्स, नई दिल्ली, अध्यक्ष, आईसीसीआईडीडी कहते हैं, “हमारे देश में पानी की आपूर्ति के दो प्रमुख स्त्रोत हैं; नदियां और भूमिगत जल। हालांकि, औद्योगिकरण और प्रदूषण के कारण नदियां सिकुड़ रही हैं, और भूमिगत जल के दोहन ने भू जल स्तर को काफी कम कर दिया है। इस स्थिति में, जल संकट एक गंभीर खतरे के रूप में उभर रहा है। हालांकि, शहरों में जो जल वितरण व्यवस्था है, उसमें पानी को शुद्ध करने के बाद ही आपूर्ति की जाती है। लेकिन जो लोग निजी स्त्रोतों जैसे कुओं, भमिगत जल (पंप आदि से प्राप्त करना) आदि पर निर्भर हैं, पानी की शुद्धता की पूरी जिम्मेदारी उनपर है।“
कभी-कभी स्थानीय स्वास्थ्य विभाग नियमित अंतराल पर पानी में बैक्टीरिया या नाइट्रेट की जांच करने में सहायता कर सकता है, लेकिन जो लोग निजी स्त्रोत से पीने के पानी की व्यवस्था कर रहे हैं, पानी की शुद्धता का ध्यान रखना, पूरी तरह से उनकी ही जिम्मेदारी है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि ‘अपने पानी की गुणवत्ता को जानें’।
डॉ. पांडव कहते हैं, “पीने का पानी शुद्ध होना बहुत जरूरी है, क्योंकि अशुद्ध पानी बहुत असुरक्षित होता है। प्रदूषित पानी के सेवन से कई स्वास्थ्य समस्याएं होने की आशंका होती है। कई प्रदूषक तो प्रकृति में ही मौजूद होते हैं, जिनमें बैक्टीरिया, वायरस, यूरेनियम, रेडियम, नाइट्रेट, आर्सेनिक, क्रोमियम और फ्लोराइड सम्मिलित हैं। भूमिगत जल की तुलना में नदियों, तलाबों, झरनों और झीलों का पानी अधिक प्रदूषित होता है, इसलिए इसे शुद्ध करना ज्यादा जरूरी है।“
पानी को शुद्ध करने के तरीकों के बारे में बताते हुए, डॉ. पाडंव कहते हैं, “पानी को उबालकर, छानकर, रसायन मिलाकर शुद्ध करना पारंपरिक तरीके हैं, लेकिन आजकल वाटर प्युरिफायर और रिवर्स ऑस्मोसिस (आरओ) का प्रचलन सबसे अधिक है। आरओ को पानी को शुद्ध करने के सबसे प्रभावी विकल्पों में से एक माना जाता है, और विश्वभर में पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए इसका सबसे अधिक इस्तेमाल होता है। इसे आमतौर पर घरों में पीने के पानी को शुद्ध करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आरओ में पानी को बलपूर्वक एक डेंस मैम्ब्रेन फिल्टर (फिल्टर की घनी झिल्ली) से गुजारा जाता है, इस भित्ती से पानी तो निकल जाता है, लेकिन अशुद्धियां जैसे लवण, विषैले रसायन, जैव प्रदूषक, कीटाणुनाशी और सुक्ष्मजीव रूक/बच जाते हैं।“
आरओ प्रक्रिया के कई लाभ हैं, जैसे यह इको-फ्रेंडली है, इसमें पानी को शुद्ध करने के लिए रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है और यह पानी के स्वाद व गंध को बदले बिना प्रभावी रूप से अशुद्धियों को दूर कर देता है। हालांकि, आरओ से प्राप्त पानी से उपयोगी मिनरल भी निकल जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए जरूरी हैं।
शुद्ध पानी का सेवन बहुत जरूरी है। इसलिए, अपने घर की पाइपलाइनों का रखरखाव करें, वाटर कूलर और वाटर टैंक को साफ रखें। संक्रमण से बचने के लिए आरओ फिल्टर को थोड़े-थोड़े दिनों में साफ करते रहें। नियमित अंतराल पर अपने पानी की शुद्धता की जांच कराएं।