लखनऊ (लाइवभारत24)। आजकल योग की प्राथमिकता है ये सोचकर अच्छा लगता है किन्तु, दुःख की बात है कि रोग फिर भी बढ़ते जा रहे है। अष्टांग योग के अनुसार योग के आठ सोपान हैं, यम, नियम, आसन,प्राणायाम, प्रत्याहार,ध्यान, धारणा ,समाधि। हमें यह सीखना पड़ेगा कब किस सोपान को ज्यादा महत्व देना है । किंतु हमेशा ही हम आसन और प्राणायाम को महत्व देते है। यम को पुनः सत्य,अहिंसा ,अस्तेय,अपरिग्रह, ब्रम्हचर्य 5 भागों में बांटा गया है । इन पर कार्य करने की आवश्यकता है । नियम को भी 5 भागों में शौच,संतोष,तप, स्वाध्याय और ईश्वर की उपासना बांटा गया है । योग में आसन को ही प्रायः संपूर्ण योग की संज्ञा दी जाती है कुछ हद तक शारीरिक स्वास्थ्य को इसका लाभ मिलता दिखता है किंतु पूर्ण लाभ के लिए नियम में शौच को प्राथमिकता देनी होगी जिसको हम आज बॉडी डिटॉक्सिफिकेशन के नाम से जानते है किन्तु इसको पहली प्राथमिकता बनाना होगा तभी आसन का पूर्ण लाभ मिलेगा और आसनों से नुकसान होने की संभावना भी काम होगी।अब बात करते है प्राणायाम की। प्राणायाम में भी विचारों का आदान प्रदान होना चाहिए, बिना ध्यान देते हुए प्राणायाम करने से शरीर पर विपरीत प्रभाव देखने को मिलता है। स्वांस को अंदर और बाहर जाता देखें, महसूस करे और सुझाव के साथ करें,स्वास लेते समय साकात्मक ऊर्जा अंदर आ रही है ऐसा बोले और ऐसा ही महसूस करे ।इसी प्रकार स्वांस को बाहर निकालते समय बोले नकारात्मक ऊर्जा,नकारात्मक विचार बाहर जा रहे है।