वाराणसी (लाइवभारत24)। ज्ञानवापी मामले में मंगलवार को वाराणसी कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया। सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर अजय मिश्रा को उनके पद से हटा दिया है। उन पर स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने आरोप लगाया था कि वे कमीशन की कार्यवाही में असहयोग कर रहे हैं, साथ ही उन्होंने प्राइवेट कैमरामैन रखा और लगातार मीडिया को बाइट देते रहे। यह कानूनन गलत है।
अदालत ने कहा कि कोर्ट कमिश्नर की जिम्मेदारी अहम होती है। अदालत ने स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह के प्रार्थना पत्र पर ही एडवोकेट कमिश्नर अजय मिश्रा को हटाया है। अब विशाल सिंह कोर्ट कमिश्नर रहेंगे। उधर, अदालत ने कोर्ट में कमीशन की रिपोर्ट दाखिल करने के लिए 2 दिन का वक्त दिया है। अब रिपोर्ट 19 मई को दाखिल हो सकती है।
इसी क्रम में डीजीसी सिविल और वादी पक्ष की महिलाओं के दो अन्य प्रार्थना पत्र पर सुनवाई कल यानी 18 मई को होगी। इनमें मस्जिद की कुछ दीवारें गिराकर वीडियोग्राफी कराने और वजूखाने के आसपास एरिया को सील करने की कार्रवाई की मांग है।
ज्ञानवापी प्रकरण में हटाए गए एडवोकेट कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा ने पूरे प्रकरण में सफाई दी है। उन्होंने कहा, ‘मैंने विश्वास किया मुझे धोखा मिला। उसमें भला मैं क्या कर सकता हूं। मैंने फोटोग्राफर को रखा, उसने धोखा दिया। एडवोकेट विशाल सिंह से ऐसी उम्मीद नही थी। विशाल सिंह की शिकायत पर हटाया गया हूं। न्यायालय ने जो उचित समझा वह किया है। बाकी, विशाल सिंह का हृदय जानेगा। सर्वे की कार्रवाई को लेकर मैं संतुष्ट हूं।’
ज्ञानवापी परिसर की सर्वे रिपोर्ट आज सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में पेश नहीं हो सकी। अभी तक रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। इसके पीछे की वजह 15 घंटे की वीडियोग्राफी और करीब 1500 फोटो बताई जा रही है। यह डेटा इतना ज्यादा है कि इसकी फाइल अभी नहीं बनाई जा सकी है। इसके लिए दो और दिन मांगे गए। स्पेशल एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह ने सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर और समय मांगा। इस पर कोर्ट ने 2 दिन का समय दे दिया।
ज्ञानवापी मामले में UP सरकार की ओर से वाराणसी कोर्ट में अर्जी दाखिल की गई है। DGC सिविल महेंद्र प्रसाद पांडेय ने सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर की अदालत में एप्लिकेशन दिया है। इसमें तीन मांगें की गई हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद स्थित जिस 3 फीट गहरे मानव निर्मित तालाब को सीज किया गया है। उसके चारों तरफ पाइप लाइन और नल हैं। उस नल का उपयोग नमाजी वजू के लिए करते हैं। तालाब परिसर सील होने के कारण नमाजियों के वजू के लिए बाहर व्यवस्था की जाए। ज्ञानवापी के सील हुए क्षेत्र में शौचालय भी हैं। उनका उपयोग नमाजी करते हैं। अब उन्हें वहां नहीं जाने दिया जा रहा है। ऐसे में उनकी व्यवस्था की जाए। सील किए गए तालाब में कुछ मछलियां भी हैं। ऐसे में उन्हें खाने की चीजें नहीं मिल पा रही हैं। उन मछलियों को अब कहीं और पानी में छोड़ा जाए।
हिंदू पक्ष की तरफ से एक बार फिर ज्ञानवापी में सर्वे की मांग की गई है। इसके लिए मंगलवार को कोर्ट में नई एप्लिकेशन दी गई है। ज्ञानवापी परिसर की कुछ दीवारों को गिराकर सर्वे कराने की मांग की गई है। यह एप्लिकेशन रेखा पाठक, मंजू व्यास और सीता साहू की ओर से दी गई है। इसके साथ ही मलबे की सफाई की भी मांग की गई है।
ज्ञानवापी के पिछले हिस्से की तस्वीर है। इसकी बनावट की भी सर्वे टीम ने वीडियोग्राफी की है।
ज्ञानवापी सर्वे मामले में हिंदू सेना नाम के संगठन ने सोमवार को एक अर्जी दाखिल की। उनकी मांग है कि अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की याचिका को जुर्माने के साथ खारिज की जाए। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की है।
सर्वे के आखिरी दिन 16 मई को वीडियोग्राफी प्रक्रिया पूरी हुई थी। याचिकाकर्ता रेखा सहित 5 महिलाओं के वकील विष्णु जैन ने वजूखाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया। इसके बाद उस जगह को सील कर दिया गया। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने हिंदू पक्ष के दावे का खंडन करते हुए उसे फव्वारा बताया है। मुस्लिम पक्ष ने यह भी कहा है कि वह जिला अदालत के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।
15 मई को परिसर के 80% हिस्से का और सर्वे पूरा हुआ। इस दिन भी 4 घंटे सर्वे हुआ था। ज्ञानवापी परिसर के ऊपरी बने हुए कमरों, गुंबद, छत और दीवारों की वीडियोग्राफी कराई गई थी। इसके अलावा, दरवाजों की नक्काशी की भी हाई लेंस वाले कैमरे से पिक्चर ली गई थी। पूरी खबर क्लिक कर पढ़ें
सर्वे के पहले दिन यानी 14 मई को ज्ञानवापी परिसर के 50% हिस्से की वीडियोग्राफी हुई। उस दिन 4 घंटे के सर्वे के दौरान 4 तहखानों को खोला गया था। तहखानों की साफ-सफाई कराई। इसके बाद टीम ने उसकी वीडियोग्राफी करवाई। दीवारों की नक्काशी चेक की।