16.5 C
New York
Wednesday, 15th \ October 2025, 02:27:51 AM

Buy now

spot_img

किसानों को प्रदर्शन का हक, लेकिन नहीं कर सकते दिल्ली जाम : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली (लाइवभारत24)। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 22वां दिन है। किसानों को सड़कों से हटाने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की बेंच में आज फिर सुनवाई हो रही है।  चीफ जस्टिस ने कहा कि किसान हिंसा को बढ़ावा नहीं दे सकते। न ही किसी शहर को ब्लॉक कर सकते हैं। दिल्ली को जाम करने से लोगों को भूखा रहना पड़ सकता है। आपका मकसद बातचीत से पूरा हो सकता है, सिर्फ धरने पर बैठने से काम नहीं चलेगा। चीफ जस्टिस ने कहा किविरोध प्रदर्शन तब तक संवैधानिक है, जब तक कि इससे संपत्ति को नुकसान नहीं हो या किसी की जान को खतरा नहीं हो। केंद्र और किसानों को बात करनी चाहिए। हम इसमें मदद कर सकते हैं। हम निष्पक्ष और स्वतंत्र कमेटी बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसके सामने दोनों पक्ष अपनी बात रख सकें।

चीफ जस्टिस ने कहा कमेटी में पी साईनाथ, भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों को बतौर सदस्य शामिल किया जा सकता है। कमेटी जो रिपोर्ट दे, उसे मानना चाहिए। तब तक प्रदर्शन जारी रख सकते हैं। चीफ जस्टिस ने कहा हम भी भारतीय हैं, किसानों की स्थिति समझते हैं और उनके लिए सिम्पथेटिक भी हैं। किसानों को सिर्फ विरोध का तरीका बदलना है। हम भरोसा देते हैं कि आपका केस चलता रहेगा और इधर हम कमेटी बनाने पर विचार कर रहे हैं।

अटॉर्नी जनरल  ने कहा प्रदर्शनकारी मास्क नहीं पहनते, वे भीड़ में बैठते हैं। कोरोना के चलते हमें चिंता है। प्रदर्शनकारी गांवों में जाकर संक्रमण फैलाएंगे। किसान दूसरे के अधिकारों का हनन नहीं कर सकते।

चीफ जस्टिस ने कहा  हम कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के अधिकार को समझते हैं और इसे दबाने का सवाल ही नहीं उठता। हम सिर्फ इस बात पर विचार कर सकते हैं कि आंदोलन की वजह से किसी की जान नहीं जाए।

चीफ जस्टिस ने कहा हम केंद्र से पूछेंगे कि अभी प्रदर्शन किस तरह चल रहा है। साथ ही कहेंगे कि इसके तरीके में थोड़ा बदलाव करवाया जाए, ताकि लोगों की आवाजाही नहीं रुके।

टिकरी बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल 37 साल के जयसिंह को हार्ट अटैक आने से गुरुवार को मौत हो गई। वे बठिंडा के तुंगवाली गांव के रहने वाले थे। आंदोलन में शामिल लोगों में से अब तक 7 की अलग-अलग वजहों से मौत हो चुकी है।
भारतीय किसान यूनियन (दोआबा) के नेता एम एस राय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का नोटिस नहीं मिला है। जब मिलेगा, तब सभी किसान संगठन चर्चा कर आगे का फैसला लेंगे।
छोटे कारोबारियों के हितों के लिए काम करने वाले कन्फेडरेडशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल को चिट्ठी लिखी है। उसका कहना है कि किसानों के मुद्द पर सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाने के लिए कहा है, उसमें भी CAIT को भी शामिल किया जाए।
उत्तर प्रदेश की 18 खाप पंचायतों ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। ये खापें आज दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन में शामिल होकर महापंचायत करेंगी। महापंचायत को लेकर खुफिया विभाग अलर्ट है। बालियान खाप के चौधरी नरेश टिकैत ने कहा है कि अब तक दिल्ली में 26 जनवरी को नकली झांकियां निकाली जाती थीं, लेकिन इस बार किसानों की असली झांकी भी परेड में शामिल होगी। अगर सरकार कृषि कानून वापस नहीं लेती तो आने वाले चुनाव में भाजपा को बड़ा नुकसान होगा।

गाजीपुर बॉर्डर पर आंदोलन में शामिल एक किसान ने कहा कि कड़ाके की ठंड के बावजूद हम यहां डटे हैं। मांगे पूरी होने तक यहां से नहीं हटेंगे, भले ही बारिश आ जाए। दूसरे किसान ने कहा कि अलाव और कंबलों के सहारे सर्दी से बचाव कर रहे हैं। यहां सभी सुविधाएं बेहतर हैं, बस वॉशरूम गंदे हैं।

65 साल के संत बाबा राम सिंह सिंघु बॉर्डर पर किसानों के धरने में शामिल थे। बुधवार को उन्हें मंच पर पाठ करना था, इसलिए मंच के पास ही खड़े थे। दोपहर 2.30 बजे उन्होंने अपने ड्राइवर और साथी को कुछ दूर भेजा और अचानक खुद को गोली मार ली। उनका सुसाइड नोट भी मिला है, जिसमें लिखा है- मेरा यह कदम किसानों के हक और सरकारी जुल्म के खिलाफ है। किसानों का दर्द देखकर दुखी हूं।

Related Articles

कोई जवाब दें

कृपया अपनी कमेंट दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Stay Connected

0फॉलोवरफॉलो करें
0सब्सक्राइबर्ससब्सक्राइब करें
- Advertisement -spot_img

Latest Articles

error: Content is protected !!