जानकारी के बाद भी चयन के अधिकार पर लगाम लगाता है यह कानून

 एयरपोर्ट, होटल, रेस्टोरेंट में धूम्रपान के लिए निर्धारित जगह को प्रतिबंधित करने के फैसले को 82 प्रतिशत
लोगों ने उत्पीड़न और मानसिक अत्याचार जैसा माना
 87 प्रतिशत यूजर्स का मानना है कि खुली सिगरेट की बिक्री पर पाबंदी लोगों को ज्यादा सिगरेट पीने के
लिए मजबूर करेगी
 55 प्रतिशत प्रतिभागियों ने माना कि इन-स्टोर ब्रांडिंग पर प्रतिबंध से अवैध सिगरेट को बढ़ावा मिलेगा,
क्योंकि इससे वैध एवं अवैध सिगरेट के बीच का अंतर मिट जाएगा
 बहुत सारे कदम यूजर्स को धूम्रपान से तंबाकू के अन्य उत्पादों की ओर जाने के लिए मजबूर करेंगे

नई दिल्ली (लाइवभारत24)। असहाय लोगों की समस्याओं का समाधान निकालने की दिशा में कार्यरत एनजीओ प्रहार (पब्लिक रेस्पॉन्स अगेंस्ट हेल्पलेसनेस एंड एक्शन फॉर रिड्रेसल) ने आज तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करने वालों के बीच अपनी तरह के पहले यूजर सर्वे के नतीजे जारी किए। यह सर्वे प्रस्तावित सीओटीपीए संशोधन विधेयक 2020 के प्रभाव को जानने केलिए किया गया था। सर्वे में 14 शहरों दिल्ली एनसीआर, जयपुर, लखनऊ, रांची, कोलकाता, गुवाहाटी, मुंबई, नागपुर, वडोदरा, भोपाल, चेन्नई, बेंगलुरु, विजयवाड़ा और हैदराबाद के 1986 लोगों को शामिल किया गया था।अध्ययन की जरूरत बताते हुए प्रहार के प्रेसिडेंट एवं राष्ट्रीय संयोजक श्री अभय राज मिश्रा ने कहा, ‘यह एक स्थापित सिद्धांत है कि बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करने वाला कोई भी कानून लाने से पहले प्रभावित लोगों की राय ली जानी चाहिए। हालांकि सीओटीपीए संशोधन विधेयक 2020 के नियमों को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में तंबाकू उत्पादों के वास्तविक उपभोक्ताओं से कोई राय नहीं ली गई। अन्य समूहों की तरह उपभोक्ताओं का कोईसंगठन नहीं होता। इसीलिए प्रहार ने यूजर्स की राय जुटाने और नीति निर्माताओं के समक्ष रखने की
जिम्मेदारी ली।’

अहम बातें

 87 प्रतिशत लोगों ने खुली सिगरेट की बिक्री पररोक के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया
 57 प्रतिशत लोग खुली सिगरेट खरीदते हैं, क्योंकि इससे वे कम धूम्रपान करते हैं
 55 प्रतिशत का मानना है कि तंबाकू उत्पादों की इन-स्टोर ब्रांडिंग पर रोक जानकारीपूर्ण चयन के
उनके मूलभूत अधिकारों को नियंत्रित करेगी।’

 25 प्रतिशत उपभोक्ताओं का मानना है कि इन-स्टोर ब्रांडिंग पर रोक से कुछ रिटेलर ज्यादा मार्जिन वाले
उत्पाद बेचने के लिए प्रोत्साहित होंगे
 78 प्रतिशत लोग तंबाकू उपभोग की न्यूनतम उम्र 18 से 21 साल करने के समर्थन में नहीं हैं
 82 प्रतिशत लोग धूम्रपान के लिए निर्धारित जगहों पर प्रतिबंध के पक्ष में नहीं
 धूम्रपान के लिए निर्धारित जगहों पर रोक के कदम
से 51 प्रतिशत उपभोक्ता तंबाकू के अन्य प्रकार के इस्तेमाल के लिए मजबूर होंगे।

उन्होंने आगे कहा, ‘वास्तविक यूजर्स के बीच किए गए अपनी तरह के इस पहले अध्ययन में इन प्रस्तावित संशोधनों
से गहरा असंतोष सामने आया। उपभोक्ताओं का मानना है कि प्रस्तावित संशोधन उनके अधिकारों और जानकारी
बाद उनके चयन के अधिकार का हनन करते हैं और कुछ मामलों में तो ये उत्पीड़न और उपभोक्ता पर मानसिक
अत्याचार जैसे भी हैं। सीओटीपीए 2020 के प्रस्तावित संशोधन अपने आप में भी अनिर्णय वाले हैं, क्योंकि इनसे
तंबाकू का प्रयोग कम करने का लक्ष्य पूरा नहीं होता, बल्कि इनसे बाजार की संरचना प्रभावित होगी और अवैध एवं
कम गुणवत्ता वाले उत्पादों की उपस्थिति बढ़ेगी। तंबाकू उत्पादों का प्रयोग रोकने के लिए हमें सख्त नीतिगत नियमों
की नहीं, जागरूकता कार्यक्रमों की जरूरत है।’
सर्वेक्षण में पाया गया कि 87 प्रतिशत प्रतिभागी खुली सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित करने के पक्ष में नहीं हैं। उनका
मानना है कि तंबाकू उपभोग रोकने के लक्ष्य के साथ लिए गए इस फैसले से असल में धूम्रपान करने वाले सिगरेट का
पूरा पैकेट खरीदने के लिए बाध्य होंगे, जिससे उनके पास हर समय सिगरेट की ज्यादा मात्रा उपलब्ध रहेगी, जो
अंतत: उपभोग को बढ़ावा देगी। सर्वेक्षण के मुताबिक, 57 प्रतिशत उपभोक्ता खुली सिगरेट खरीदते हैं, क्योंकि इससे
उन्हें कम धूम्रपान में मदद मिलती है, वहीं मात्र 19 प्रतिशत इसलिए खुली सिगरेट लेते हैं, क्योंकि यह सस्ता पड़ता
है। केवल 7 प्रतिशत को ऐसा लगता है कि खुली सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित होने से वे कम धूम्रपान करेंगे।
76 प्रतिशत लोग बिक्री के स्थान पर तंबाकू उत्पादों की ब्रांडिंग रोकने के कदम के पक्ष में नहीं हैं। 55 प्रतिशत को
लगता है कि इससे जानकारीपूर्ण चयन के उनके मौलिक अधिकार का हनन होगा, क्योंकि ब्रांडिंग से उन्हें अपने द्वारा
खरीदे जा रहे उत्पाद की वैधता पता चलती है। यह इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि बाजार में अवैध और तस्करी वो
उत्पादों की भरमार है। 25 प्रतिशत उपभोक्ताओं को लगता है कि इससे कुछ रिटेलर ऐसे उत्पाद बेचने के लिए
प्रोत्साहित होंगे, जिसमें उन्हें ज्यादा मार्जिन मिलेगा।
तंबाकू उत्पादों के प्रयोग के लिए न्यूनतम आयु को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के कदम का 78 प्रतिशत लोगों ने
विरोध किया। उनका कहना है कि भारत के संविधान के तहत वयस्क होने की उम्र 18 साल है, जो उन्हें शादी से
लेकर मतदान तक के आरे में फैसले लेने का अधिकार देती है। तंबाकू से जुड़ा फैसला इससे अलग नहीं है। 37 प्रतिश
प्रतिभागियों का मानना है कि तंबाकू का उपभोग करना या नहीं करना उनका अपना फैसला है। करीब 8 प्रतिशत
लोगों का मानना है कि इस प्रतिबंध से 21 साल से कम उम्र के युवा अज्ञात स्रोतों से अवैध सिगरेट खरीदने के लिए
आकर्षित होंगे। होटलों, रेस्टोरेंट और घरेलू हवाई अड्डों पर धूम्रपान के लिए निर्धारित जगह बनाने पर प्रतिबंध के प्रस्ताव को भी बहुत कम लोगों का समर्थन मिला। 82 प्रतिशत लोगों ने इस प्रावधान का समर्थन नहीं किया। उपभोक्ताओं की राय है कि इस कम से धूम्रपान करने वालों का उत्पीड़न होगा और धूम्रपान करने वाले कानून के द्वारा मानसिक प्रताड़ना का शिकार होंगे। 51 प्रतिशत उपभोक्ताओं का कहना है कि कोई रास्ता नहीं बचा तो वे कहीं बाहर जाते समय तंबाकू के अन्य प्रकार जैसे बिना धुएं वाले उत्पाद अपनाने को मजबूर होंगे, जिससे उन्हें कम गुणवत्ता वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन करना पड़ेगा। केवल 13 प्रतिशत ने कहा कि ऐसी स्थिति में वे कहीं बाहर निकलने पर धूम्रपान नहीं करेंगे।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी कमेंट दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें