डॉ. मनीष वैश्य, ब्रेन ट्युमर सर्जरी एंड ट्रीटमेंट, इंडिया-ब्रेन एंड स्पाइन पीपीएल सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस

लखनऊ (लाइवभारत24)। पूरा विश्व एक साल से भी अधिक समय से एक अभूतपूर्व स्वास्थ्य संकट से जूझ रहा है। सरकारों, अस्पतालों और लोगों का पूरा फोकस कोविड-19 पर ही है, यह बहुत जरूरी भी है कि इस स्वास्थ्य संकट से निपटने के लिए सभी जरूरी प्रयास किए जाएं। लेकिन ऐसा भी नहीं होना चाहिए कि आपको कोई और स्वास्थ्य समस्या हो तो आप उसकी अनदेखी करें। कईं बीमारियां इतनी गंभीर होती हैं कि समय रहते उनका उपचार न कराया जाए तो घातक हो सकता है। इन्हीं में से एक है, न्युरो से संबंधित समस्याएं। अगर इनका समय रहते उपचार न कराया जाए तो गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं और विकलांगता के साथ जान जाने का खतरा बढ़ सकता है,
विशेषज्ञ
डॉ. मनीष वैश्य, ब्रेन ट्युमर सर्जरी एंड ट्रीटमेंट, इंडिया-ब्रेन एंड स्पाइन पीपीएल
सर्वाइकल स्पॉन्डोलाइटिस
ब्रेन ट्युमर
कभी-कभी सिरदर्द हो तो कोई बात नहीं, लेकिन अगर आपको लगातार कईं दिनों से सिरदर्द हो रहा हो, रात में तेज सिरदर्द होने से नींद खुल रही हो, चक्कर आ रहे हों, सिरदर्द के साथ जी मचलाने और उल्टी होने की समस्या हो रही हो तो समझिए की आपके मस्तिष्क में प्रेशर बढ़ रहा है। मस्तिष्क मंी प्रेशर बढ़ने का कारण ब्रेन ट्युमर हो सकता है। अगर आप पिछले कुछ दिनों से इस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डायग्नोसिस कराएं।
स्पाइनल कार्ड ट्युमर
स्पाइनल कार्ड ट्युमर, स्पाइनल कार्ड में विकसित हो सकता है या शरीर के किसी अन्य भाग से यहां पहुंच सकता है। कईं दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं भी इसके विकसित होने का कारण बन सकती हैं। ट्युमर के कारण कमर में तेज दर्द हो सकता है, दर्द पूरे शरीर में फैल सकता है। हाथ और पैर सुन्न हो सकते हैं और इनमें कमजोरी आ सकती है। शरीर का कुछ भाग भी लकवाग्रस्त हो सकता है। इसके उपचार के लिए सर्जरी, रेडिएशन थेरेपी या कीमोथेरेपी की जरूरत पड़ सकती है।
स्पाइनल स्ट्रोक
जब स्पाइल कार्ड की ओर रक्त का प्रवाह बाधित होता है तो उसे स्पाइनल स्ट्रोक कहते हैं। स्पाइल कार्ड को ठीक प्रकार से काम करने के लिए पर्याप्त मात्रा में रक्त का सप्लाय होना जरूरी है। जब रक्त का प्रवाह कट ऑफ हो जाता है, स्पाइनल कार्ड को ऑक्सीजन और पोषक तत्व नहीं मिल पाते है, जिससे उतकों को नुकसान पहुंचता है और वो क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। इसके कारण स्पाइनल कार्ड से गुजरने वाले संदेश (नर्व इम्पल्स) ब्लॉक हो सकते हैं।
सेरिब्रल/ ब्रेन एन्युरिज़्म
मस्तिष्क की रक्त नलिकाओं का गुब्बारे की तरह फूल जाना ब्रेन एन्युरिज़्म है। जब यह फट जाती हैं तो मस्तिष्क में रक्तस्त्राव हो सकता है, जिसे हेमरेजिक स्ट्रोक कहते हैं। इसका तुरंत उपचार जरूरी है, क्योंकि यह जीवन के लिए घातक हो सकता है। हालांकि, अधिकतर मामलों में यह रक्त नलिकाएं फटती नहीं हैं। लेकिन इनका तुरंत उपचार करा लेना चाहिए, ताकि भविष्य में इनके फटने के खतरे को कम किया जा सके। अत्यधिक तेज सिरदर्द, जी मचलाना, उल्टी होना, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता इसके प्रारंभिक लक्षण हैं।

स्पाइनल कार्ड इंजुरी
जब हमारी स्पाइनल कार्ड का कोई हिस्सा या इसके सिरे पर पाई जाने वाली तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो इसकी शक्ति, संवेदना और कार्यप्रणाली में स्थायी रूप से बदलाव आ जाता है। कोई दुर्घटना, खेलकूद संबंधी गतिविधियां, शराब का सेवन और कैंसर, अर्थराइटिस, ऑस्टोपोरोसिस तथा स्पाइनल कार्ड की सूजन आदि स्पाइनल कार्ड इंजुरी का कारण बन सकती है।
उपचार कराने में देरी से बढ़ सकता है खतरा
मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र, हमारे शरीर का एक बहुत ही आवश्यक और संवेदनशील भाग है, जब इनके साथ कोई समस्या होती है तो जीवन के लिए खतरा बढ़ जाता है। अगर स्पाइनल कार्ड और ब्रेन ट्युमर का विकास बहुत धीमा है तो आप उपचार कराने के लिए थोड़ा समय ले सकते हैं। लेकिन ट्युमर हाई ग्रेड है तो तुरंत उपचार की आवश्यकता पड़ेगी, उपचार कराने में देरी घातक हो सकती है। लेकिन, समय पर डायग्नोसिस और उपचार करा लिया जाए तो ठीक होने की संभावना काफी बढ़ जाती है।
अगर चोट के कारण स्पाइनल कार्ड पर दबाव बढ़ रहा है, तो इस दबाव को सर्जरी के द्वारा दूर किया जाता है। उचित समय पर सर्जरी करा ली जाए तो स्पाइनल कार्ड को क्षतिग्रस्त होने से बचा सकते हैं। मिनिमली इनवेसिव सर्जरी (एमईएस) तकनीक ने सर्जरी को बहुत आसान बना दिया है, इसमें छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं और सामान्यता आधे घंटे से भी कम समय लगता है।
इस प्रकार की सर्जरी में पारंपरिक सर्जरी की तुलना में परेशानियां कम होती हैं और अस्पताल में ज्यादा रूकने की जरूरत नहीं होती है।
इंतजार न करें कोविड-19 के खत्म होने का
हमारे देश में कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर से अधिक गंभीर है, ऐसे में आप दूसरी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के उपचार के लिए इस महामारी के खत्म होने का इंतज़ार न करें। अस्पतालों में कोविड-19 के संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। यहां कोविड पॉजिटिव और कोविड नेगेटिव के लिए अलग-अलग वार्ड बना दिए गए हैं। किसी भी स्वास्थ्य समस्या के लिए भर्ती होने वाले मरीजों का कोविड टेस्ट किया जाता है। कोविड पॉजिटिव को अलग रखा जाता है, और नेगेटिन को सामान्य मरीजों के साथ रख जाता है।
कोविड-19 के दौर में सर्जरियां तो वैसे ही हो रही हैं, जैसे होती हैं, लेकिन संक्रमण से बचाव के लिए कुछ बातों का विशेषतौर पर ध्यान रखा जा रहा है।
• मेडिकल टीम के प्रत्येक सदस्य, मरीज और केयरटेकर को मॉस्क पहनना अनिवार्य है।
• मेडिकल टीम के लिए मॉस्क के अलावा पीपीई और दूसरे सुरक्षात्मक चीजों का इस्तेमाल करना आवश्यक है।
• सर्जरी से पहले मरीज का कोविड-19 टेस्टिंग की जाती है, ताकि दूसरे लोगों में इसे फैलने से रोका जा सके।
• सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है।
• मरीज के लिए अस्पताल में एक से अधिक केयर टेकर को रूकने की अनुमति नहीं है।
• अधिकतर अस्पतालों में विजिटर्स के आने पर पूरी तरह रोक लगाई जा रही है।

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