लखनऊ (लाइवभारत24)। विश्व में आज अधिकतर लोग किसी न किसी समस्या से ग्रस्त हैं। शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, भावनात्मक परिस्थितियों में उलझे हुए हैं। इन सब परेशानियों से मुक्ति पाने का एकमात्र रास्ता है आनापानसति ध्यान, जो मानव को सुख, शांति, प्रेम और परमानंद की उच्चतम स्थिति तक ले जाता है। ये बातें पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटी मूवमेंट (पीएसएसएम) की सीनियर मास्टर दीप्ति नादेला ने कहीं।
सोमवार को इन्दिरानगर, रवींद्रपल्ली स्थित एमएलए गेस्ट हाउस में आयोजित आनापानसति ध्यान शिविर कार्यक्रम के दौरान वह लोगों को ध्यान करने के तरीके और फाय्दों के बारे में बता रहीं थीं। उन्होंने कहा कि ध्यान स्वयं से स्वयं तक की यात्रा है। इसके बाद व्यक्ति अपने निजी जीवन में बहुत सी समस्याओं से उबरने लगता है। ध्यान और विज्ञान दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। ध्यान करने से एकाग्रता बढ़ती है। शारीरिक व मानसिक विकार दूर होते हैं। साथ ही सही-गलत का भेद पता भी पता चलता है। ध्यान और ज्ञान प्राप्त करने के बाद ही व्यक्ति बुद्धत्व को प्राप्त करता है। हम सब में भगवान निवास करते हैं बस जरूरत है, अपने भीतर झांकने की और खुद से जुडऩे की। यह सिर्फ ध्यान से ही संभव है। इस मौके पर संस्था के सीनियर मास्टर राम नादेला, पीएमसी तेलगु के निदेशक आनंद, अलका अरोड़ा, डा. सोनिया आहूजा, आदित्य, कुसुम भारतीय, कीर्ति श्रीवास्तव, आदेश द्विवेदी व अन्य ध्यानी शामिल रहे।
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