नई दिल्ली (लाइवभारत24)। देश के सबसे बड़े शाखा रहित बैंकिंग नेटवर्क पेनियरबाई के मुताबिक देशभर में आज भी ज्यादातर महिलाएं नकदी में लेनदेन करना पसंद करती हैं। 65 प्रतिशत से अधिक महिला महिला ग्राहकों ने इसे अपना सबसे पसंदीदा भुगतान तरीका माना है, इसके बाद आधार पे का नंबर आता है। हाल ही पेनियरबाई ने महिलाओं के वित्तीय लेनदेन के बारे में एक विस्तृत विश्लेषण किया है। ‘वूमैन्स डिजिटल इंडिपेंडेंस इन्डेक्स’ शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में देशभर में रिटेल आउटलेट्स पर महिलाओं के वित्तीय लेनदेन के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है। कंपनी ने देश में 3,500 से अधिक रिटेल स्टोर के बीच किए गए सर्वेक्षण के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें रिटेल आउटलेट में महिला उपभोक्ताओं के वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में शामिल 75 प्रतिशत से अधिक खुदरा विक्रेताओं ने उल्लेख किया कि 31 से 40 वर्ष के आयु वर्ग की महिलाएं डिजिटल रूप से सबसे अधिक निपुण थीं। इस आयु वर्ग की महिलाओं ने उनके स्टोर्स पर 58 प्रतिशत से अधिक वित्तीय लेनदेन डिजिटल रूप से किया। इसके तुरंत बाद 20-30 वर्ष के आयु वर्ग का नंबर आता है। विशेष रूप से शहरी और मेट्रो केंद्रों में लगभग 25 प्रतिशत महिला उपभोक्ता 20-30 वर्ष के आयु वर्ग की थीं।

हालांकि वित्तीय लेनदेन के लिए नकदी आज भी सबसे पसंदीदा तरीका है, फिर भी विभिन्न आयु वर्ग की 5-15 प्रतिशत महिलाएं आधार पे, यूपीआई और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल कर रही हैं। रिटेल टच पाॅइंट्स पर ज्यादातर महिला उपभोक्ताओं द्वारा नकद निकासी, मोबाइल रिचार्ज और बिल भुगतान- इन तीन शीर्ष सेवाओं का इस्तेमाल किया जात है। शहरी और मेट्रो केंद्रों पर धन प्रेषण संबंधी सेवाओं का भी खूब इस्तेमाल किया जाता है। लेनदेन मुख्य रूप से 31-40 वर्ष (45 प्रतिशत) और 20-30 वर्ष (25 प्रतिशत) वाले उम्र वर्ग की युवा कामकाजी महिलाओं द्वारा किया जाता था।

टीयर थ्री और ग्रामीण क्षेत्रों द्वारा बड़े पैमाने पर संचालित विदड्राॅल बाजार में ज्यादातर लेनदेन 31-40 वर्ष (65 प्रतिशत) के आयु वर्ग की महिलाओं द्वारा किए गए। टियर थ्री और ग्रामीण बाजारों में लगभग 78 प्राितशत महिलाओं ने नकद निकासी का लाभ उठाया। कुल मिलाकर 1000-2500 रुपए के बीच की रकम देश भर में महिलाओं के लिए निकासी की सबसे पसंदीदा रेंज थी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 76 फीसदी से अधिक महिलाओं ने अपना बैंक खाता स्वयं संचालित किया है, लेकिन वे मुख्य रूप से नकद निकासी और नकद जमा के उद्देश्य से ही ऐसा करती हैं। हालांकि अधिक विकसित सेवाओं जैसे कि बीमा (5 फीसदी से कम) और बचत खाता (12 फीसदी से कम) की पैठ तुलनात्मक रूप से बहुत कम थी। दिलचस्प बात यह है कि 20 प्रतिशत से अधिक महिलाओं ने स्वीकार किया कि उनके बैंक खाते को उनकी बजाय उनके पति संचालित करते हैं।

रिपोर्ट के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए पेनियरबाई के फाउंडर, एमडी और सीईओ आनंदकुमार बजाज ने कहा, ‘‘हमारा देश डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है। यह खुशी की बात है कि देश में खुदरा स्टोरों में वित्तीय सेवाओं के डिजिटल लेनदेन में 20-40 वर्ष की आयु वर्ग की युवा महिलाओं के योगदान को देखा जा सकता है। असिस्टेड से सेल्फ-सर्विस मोड की इस यात्रा में ईको-सिस्टम में दृढ़ता की आवश्यकता होती है। आधार पे और यूपीआई क्यूआर की सेवाओं के साथ देश की महिलाओं द्वारा डिजिटल लेनदेन को अपनाते हुए देखना और एक व्यापक बदलाव को संभव बनाने में मदद करना बहुत अच्छा अनुभव है। जब युवा पीढ़ी डिजिटल वित्तीय लेनदेन शुरू करती है, यह उनके जीवन को सरल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है और यह कदम विकास के लिए एक ठोस आधार तैयार करने में उनकी मदद करेगा।’

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