लखनऊ(लाइवभारत24)। उत्तर प्रदेश में OBC की 18 पिछड़ी जातियों को SC कैटेगरी में शामिल करने की राजनीति अभी जारी है। ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि यूपी की सत्ताधारी पार्टी भाजपा 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका फायदा लेने की तैयारी में है। इसके लिए बड़ी रणनीति तैयार हो रही है।

कहा जा रहा है कि यूपी की योगी सरकार जल्‍द ही इन 18 OBC जातियों को SC का दर्जा दिलाएगी। अगले मानसून सत्र में विधानसभा के दोनों सदनों से प्रस्‍ताव पास कराकर केंद्र सरकार को भेजने की तैयारी भी है। अब सवाल उठता है कि पिछले 17 सालों से चल रहे इस मामले को यूपी सरकार कैसे हल करेगी। कैसे OBC की इन पिछड़ी जातियों को SC में शामिल कराएगी?
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा उत्तराखंड की तर्ज पर यूपी में 13% आबादी वाली इन जातियों पर बड़ा दांव चलने की तैयारी में है। क्योंकि, इन जातियों को 50 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सीधा असर है। इस मुद्दे पर लंबे समय से कानूनी लड़ाई लड़ रहे दलित-शोषित वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष संतराम प्रजापति का कहना है कि उत्तराखंड में शिल्पकार जाति समूह को अनुसूचित जाति वर्ग का आरक्षण दिया गया।

इसके लिए तत्कालीन उत्तराखंड सरकार ने 16 दिसंबर, 2013 को अनुसूचित संविधान आदेश 1950 को ही री-सर्कुलेट किया। उसी जाति समूह में केवट भी है। वहां आज भी उसी आधार पर प्रमाणपत्र बन रहे हैं। कोई तकनीकी पेंच भी नहीं फंसा।

आसान विकल्प है कि संविधान आदेश-1950 का अनुपालन कराने के लिए स्पष्टीकरण के साथ अधिसूचना जारी करे।
नए सिरे से जातियों को अनुसूचित करने जैसे शब्दों का प्रयोग न हो। इन जातियों को मूल जाति के रूप में अनुसूचित जाति में शामिल किया जा सकता है।
ये तस्वीर सीएम की उस बैठक की, जिसमें उन्होंने OBC कैटेगरी की नौकरियों में प्रतिनिधित्व के बारे पूछा था।
ये तस्वीर सीएम की उस बैठक की, जिसमें उन्होंने OBC कैटेगरी की नौकरियों में प्रतिनिधित्व के बारे पूछा था।
माना जा रहा है कि राज्य सरकार इसके लिए विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में इन जातियों को आरक्षण देने का प्रस्ताव पास कर सकती है। जिसे संसद के दोनों सदनों से पारित करने के लिए केंद्र को भेजा जाएगा। इसके साथ ही एक विकल्प ये भी है कि रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त मझवार और भर की जातियों को ठीक से परिभाषित करके सभी राज्यों को उनकी सभी उपजातियों को एससी के दायरे में शामिल करने के लिए अधिसूचित कर दिया जाए। कारण यह कि मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में ये जातियां अनुसूचित जाति की श्रेणी में पहले से हैं।
यूपी में भाजपा सरकार इन दो विकल्पों पर विचार कर रही है। इसीलिए सरकार ने हाईकोर्ट में काउंटर एफिडेविट दाखिल नहीं किया था। सरकार ने जानबूझ कर ऐसा किया ताकि नोटिफिकेशन रद्द हो जाए। आगे की कार्रवाई में कोई कानूनी अड़चन न रहे। अगर मामला कोर्ट में लंबित होता तो फिर सरकार को इंतजार करना पड़ता। यूपी सरकार इस मसले को 2024 लोकसभा चुनाव से पहले सुलझाना चाहती है।
यूपी में OBCकी 18 जातियों को लगभग 13 प्रतिशत वोट है। इसी वोट बैंक के लिए पिछले 17 सालों के इन्हें SC कैटेगरी में शामिल करवाने की लड़ाई लड़ी जी रहा है। अब आपको बताते है कि किस दल ने अपने सियासी फायदे के लिए कब, क्या-क्या किया?
OBC की 18 जातियों को SC में शामिल कराने की ये कोशिश पिछले 17 सालों से चल रही है। सबसे पहले साल 2005 में तब के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सरकार ने इस मामले में अधिसूचना जारी की थी। तब 17 OBC जातियों को SC में शामिल करने की अधिसूचना जारी हुई थी, लेकिन उस समय भी कोर्ट ने मुलायम सरकार के फैसले पर रोक लगा दी थी।
मायावती ने भी सत्ता में आने के बाद इस दिशा में प्रयास किया। दलित आरक्षण कोटा 21 से बढ़ाकर 25% करने का प्रस्ताव रखा था।
मायावती ने भी सत्ता में आने के बाद इस दिशा में प्रयास किया। दलित आरक्षण कोटा 21 से बढ़ाकर 25% करने का प्रस्ताव रखा था।
यूपी में 2007 में चुनाव हुए। मुलायम सत्ता से बाहर हो गए। मायावती के हाथ में प्रदेश की कमान आई। दलित राजनीति का चेहरा मायावती को OBC जातियों को एससी में डाले जाने का फैसला मंजूर नहीं था। उन्होंने इस फैसले को खारिज कर दिया। केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कहा कि OBC श्रेणी की 17 जातियों को हम एससी कैटेगरी में डालने को तैयार हैं, लेकिन दलितों के आरक्षण का कोटा 21 से बढ़ाकर 25% कर दिया जाए। यह आरक्षण का पूरा स्ट्रक्चर बदलने का प्रस्ताव था। ऐसे में मामला अटक गया।
अखिलेश यादव ने कलेक्टरों को आदेश दिया था कि ओबीसी को एससी कैटेगरी में सर्टिफिकेट दिया जाए।
अखिलेश यादव ने कलेक्टरों को आदेश दिया था कि ओबीसी को एससी कैटेगरी में सर्टिफिकेट दिया जाए।
इसी को आगे बढ़ाते हुए पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी सरकार के आखिरी दिनों में 22 दिसंबर 2016 को 18 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल किए जाने की अधिसूचना जारी की थी। अखिलेश सरकार की तरफ से सभी जिले के कलेक्टरों को आदेश भी जारी कर दिया गया था कि इन जातियों के सभी लोगों को OBC की बजाय SC का सर्टिफिकेट दिया जाए। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 24 जनवरी 2017 को इस अधिसूचना पर रोक लगा दी।
सीएम योगी हाईकोर्ट के आदेश के बाद नए सिरे से मंथन कर रहे हैं। 2024 चुनाव से पहले इस दिशा में ठोस काम होने हैं।
सीएम योगी हाईकोर्ट के आदेश के बाद नए सिरे से मंथन कर रहे हैं। 2024 चुनाव से पहले इस दिशा में ठोस काम होने हैं।
चौथी बार मौजूदा सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2019 में अधिसूचना जारी की। इस बार 31 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी है। हालांकि अब एक बार फिर योगी सरकार इसे नए सीरे से इसे अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है। इसकी बड़ी वजह है 2024 में होने वाला लोकसभा चुनाव। पार्टी को लगता है कि इन 18 OBC जातियों को एससी में शामिल करवा कर इसका फायदा पूर्वांचल में उठा सकते है।
पूर्वांचल में निषाद, मल्लाह, राजभर आदि जातियों की कई जिलों में इतनी आबदी है कि चुनाव में कुछ सीटों पर निर्णायक साबित हो। इसे देखते हुए भी भाजपा निषाद पार्टी, अपना दल एस को साथ लिए है और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी को फिर साथ रखना चाहती है। यदि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने इन 18 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का आरक्षण दिला दिया तो पूर्वांचल में भाजपा को बड़ा फायदा मिल सकता है।

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