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बकरीद में छूट पर केरल को सुप्रीम कोर्ट की फटकार

नई दिल्ली (लाइवभारत24)। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल सरकार के बकरीद पर नियमों में ढील देने के फैसले पर सख्त टिप्पणी की और शाम तक जवाब दाखिल करने को कहा। जस्टिस आरएफ नरीमन की बेंच ने कहा कि ऐसे समय जब राज्य में मेडिकल इमरजेंसी है, नियमों में छूट देने का सरकार का फैसला हैरान करने वाला है। राज्य सरकार लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रही है। ऐसा लग रहा है कि इस गंभीर समय में सरकार लोगों को मौत के मुंह में धकलने की तैयारी कर रही है। इस मामले में बीकेडी नामबीर ने वकील प्रीति सिंह के माध्यम से याचिका लगाई है। बता दें कि केरल सरकार ने बकरीद पर 18 से 20 जुलाई तक कोरोना नियमों में छूट देने का फैसला किया था। केरल में इस समय कोरोना के मामलों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी देखी जा रही है।

बीते 24 घंटे में यहां 13,956 नए मरीजों की पहचान हुई है। रविवार को राज्यों में आए कोरोना केस के मामलों में केरल टॉप पर है। बीते दिन यहां संक्रमण से 81 मरीजों की मौत हुई।

कांवड़ यात्रा पर SC ने UP सरकार को नोटिस दिया था
14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने कांवड़ यात्रा को इजाजत दिए जाने के योगी सरकार के फैसले पर स्वत: संज्ञान लिया था। जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई के दौरान कहा था कि हमने परेशान करने वाली खबर पढ़ी है कि UP सरकार कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे रही है। बेंच ने कहा था 25 जुलाई से कांवड़ यात्रा की शुरूआत होनी है। ऐसे में इस अहम मुद्दे पर जल्द सुनवाई जरूरी है। हालांकि, सोमवार को इस मामले को खत्म कर दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि यूपी सरकार ने यात्रा रद्द करने का फैसला लिया है, इसलिए केस खत्म किया जा रहा है।

कांवड़ यात्रा का सबसे बड़ा आयोजन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों में होता है। हरियाणा और दिल्ली से भी कांवड़ यात्री UP होते हुए हरिद्वार पहुंचते हैं। यहां गंगा जल लेकर फिर अपने अपने क्षेत्र के मंदिरों में जलाभिषेक करते हैं।
UP सरकार के फैसले से केंद्र सहमत नहीं
इससे पहले यूपी सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट में दूसरी सुनवाई 16 जुलाई को हुई थी। इस दिन UP सरकार और केंद्र दोनों ने कोर्ट में जवाब दाखिल किया था, हालांकि दोनों के जवाब में अंतर था। केंद्र सरकार ने कहा था कि हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ियों का अपने इलाके के मंदिर तक आना कोरोना के लिहाज से उचित नहीं। बेहतर हो कि टैंकर के जरिए गंगाजल जगह-जगह उपलब्ध करवाया जाए। वहीं, UP सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि सांकेतिक रूप से कावड़ यात्रा चलाई जाएगी।
कोर्ट ने योगी सरकार को कांवड़ यात्रा की इजाजत दिए जाने पर फिर से विचार करने के लिए कहा था। कोर्ट ने UP सरकार से कहा था कि सरकार को सोचना चाहिए कि यात्रा की अनुमति देनी है या नहीं। हम सब भारत के नागरिक हैं। अनुच्छेद 21 के तहत सबको जीवन का मौलिक अधिकार है। हमको बताया गया की राज्य में सभी प्रकार के धार्मिक आयोजन पर रोक है। इसमें कावड़ यात्रा भी आती है।

उत्तराखंड सरकार ने पहले ही रद्द की कांवड़ यात्रा
उत्तराखंड सरकार पहले ही कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने का निर्णय ले चुकी है। 13 जुलाई की शाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि कोरोना के चलते हमने इस साल कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला किया है। कोरोना संक्रमण के चलते पिछले साल भी कांवड़ यात्रा नहीं हो सकी थी।

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