लखनऊ (लाइवभारत24)। सीएम योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने मंगलवार को बड़ा फैसला किया है। सीएम योगी के नेतृत्व में हुई कैबिनेट बैठक में यूपी कामगार और श्रमिक सेवायोजन एवं रोजगार आयोग के गठन को मंजूरी दे दी गई है। जिससे प्रदेश के श्रमिकों की आर्थिक एवं सामाजिक सुरक्षा पहले से ज्यादा सुदृढ़ होगी। इस फैसले से प्रदेश के अंदर ही श्रमिकों एवं कामगारों को कौशल विकास कर रोजगार का सुलभ अवसर उपलब्ध होगा, वहीं प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी गति मिलेगी। कामगारों एवं श्रमिकों के सामाजिक एवं आर्थिक सुरक्षा के साथ उनके सर्वांगीण विकास में इस आयोग की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। कामगार और श्रमिक आयोग का मकसद निजी और गैरसरकारी क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर श्रमिकों और कामगारों को उनके हुनर के अनुसार अधिकाधिक रोजगार मुहैया कराना और रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन की वजह से तमाम गतिविधियां ठप हो गयीं। इसका सबसे अधिक असर श्रमिकों और कामगारों पर पड़ा। सर्वाधिक आबादी होने के नाते इनमें सर्वाधिक सं या उप्र के श्रमिकों की थी, यह प्रदेश के लिए सबसे बड़ी चुनौती भी थी। मु यमंत्री योगी की पहल पर इस वर्ग के तात्कालिक हित के लिए कई कदम 1000 रुपये का भरण पोषण भत्ता, राशन किट, मनरेगा के तहत अधिकाधिक श्रम दिवसों का सृजन और दक्षता के अनुसार औद्योगिक इकाईयों में समायोजन आदि उठाए गये। उच्चस्तरीय प्रशासकीय संस्था के अध्यक्ष मु यमंत्री या उनके द्वारा नामित कोई कैबिनेट मंत्री होगा। श्रम एवं सेवा योजन विभाग के मंत्री संयोजक, मंत्री औद्योगिक विकास एवं मंत्री सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और निर्यात प्रोत्साहन ब्यूरो उपाध्यक्ष होंगे। अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त सदस्य सचिव होंगे, इसके अलावा कृषि, ग्रा य विकास मंत्री, कृषि उत्पादन आयुक्त, अपर मु य सचिव, प्रमुख सचिव श्रम एवं सेवायोजन मु यमंत्री की ओर से नामित औद्योगिक एवं श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधि, उनकी ओर से ही नामित उद्योगों के विकास एवं श्रमिकों के हित में रुचि रखने वाले पांच जनप्रतिनिधि और विशेष आमंत्री इसके सदस्य होंगे।
श्रमिकों और इकाईयों के बीच फैसिलेटर की भूमिका में होगा आयोग
यह आयोग श्रमिकों और उद्योगों के बीच कड़ी का काम करेगा। इस क्रम में वह मांग के अनुसार संबंधित इकाईयों को दक्ष श्रमिक मुहैया कराएगा, साथ ही इंडस्ट्री की मांग के अनुसार दक्षता बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोग चलाएगा। प्रशिक्षण का यह अवसर औद्योगिक इकाईयों में अप्ररेंटिसशिप के रूप में भी मिलेगा। अन्य राज्यों और देशों से श्रमिकों की जो मांग होगी उसमें भी आयोग फैसिलेटर की भूमिका निभाएगा। किसी भी जगह समायोजित होने वाले श्रमिक को न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं जिसमें आवास, सामाजिक सुरक्षा, बीमा आदि भी आयोग मुहैया कराएगा। सेवायोजन विभाग की मदद से आयोग प्रदेश के सभी श्रमिकों की दक्षता का डाटा एकत्र करेगा ताकि किसी औद्योगिक इकाई को उसकी मांग के अनुसार ऐसे श्रमिकों को समायोजित किया जा सके।
क्रियान्वयन पर अमल के लिए होगा बोर्ड
अपने मकसद के अनुसार आयोग काम करे इसकी निगरानी के लिए औद्योगिक विकास आयुक्त की अध्यक्षता में एक बोर्ड या कार्यपरिषद भी गठित होगी। इसमें एपीसी सह अध्यक्ष, प्रमुख सचिव अपर मु य सचिव आईआईडीसी, कृषि विभाग, पंचायती राज, लोक निर्माण, सिंचाई, नगर विकास, ग्रा य विकास, एमएसएमई, उद्योग एवं खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास सदस्य और समाज कल्याण श्रम एवं सेवायोजन सदस्य सचिव होंगे। आयोग और राज्य स्तरीय बोर्ड की मंशा के अनुसार काम हो रहा है, उसकी निगरानी के लिए सभी जिलों में डीएम की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समिति भी होगी। इसमें मु य विकास अधिकारी अपाध्यक्ष, जिला रोजगार सहायता अधिकारी, नोडल अधिकारी सदस्य होंगे। इसके अलावा परियोजना निदेशक ग्रा य विकास, अपर मु य अधिकारी पंचायत, जिला उद्यान अधिकारी, उप निदेशक कृषि, उपायुक्त उद्योग, उपायुक्त एनआरएलएम, परियोजना निदेशक सूडा, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक, अपर उप सहायक श्रमायुक्त जिला स्तरीय श्रम प्रवर्तन अधिकारी इसके सदस्य होंगे। आयोग की बैठक हर माह होगी। इसी क्रम में बोर्ड की बैठक हर 15 दिन में और जिला स्तरीय समिति की बैठक ह ते में एक बार होगी। डीएम हर बैठक की रिपोर्ट से प्रदेश स्तरीय बोर्ड को अवगत कराएगा।
सेना में शहीद के परिवार को दी जा रही अनुग्रह आर्थिक सहायता को बढ़ाकर 50 लाख किये जाने का निर्णय
सीएम योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में उत्तर प्रदेश के मूल निवासी, केन्द्रीय अर्ध्य सैन्यबलों, प्रदेशों के अर्ध्य सैन्यबलों तथा भारतीय सेना के तीनों अंगो के शहीद, जिनका परिवार उत्तर प्रदेश में निवास कर रहा हो, के परिवार को दी जा रही 25 लाख की अनुग्रह आर्थिक सहायता को बढ़ाकर 50 लाख रुपये किये जाने का निर्णय लिया है। इस निर्णय के अन्तर्गत यदि शहीद विवाहित है तथा उसके माता पिता में से एक या दोनों जीवित हैं, तो शहीद की पत्नी एवं बच्चों को 35 लाख तथा माता पिता अथवा उनमें से जीवित को 15 लाख रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी। शहीद के विवाहित होने तथा माता पिता में से किसी एक के भी जीवित नहीं होने की स्थिति में शहीद की पत्नी को कुल 50 लाख रुपये की धनराशि प्रदान की जाएगी। शहीद के अविवाहित होने की स्थिति में शहीद के परिवार हेतु उसके माता पिता अथवा उनमें से जीवित को कुल 50 लाख की धनराशि दी जाएगी। धनराशि वितरण की निर्धारित सीमाओं में विशेष परिस्थितियों में आवश्यकतानुसार छूट दी जा सकती है। किन्तु निर्धारित सीमाओं में किसी प्रकार की छूट से पूर्व गृह विभाग से उच्चादेश प्राप्त करना आवश्यक होगा। यह निर्णय 01 अप्रैल 2020 से प्रभावी होगा। इस फैसले से केन्द्रीय अर्ध्य सैन्यबलों, प्रदेशों के अद्र्ध सैन्यबलों तथा भारतीय सेना के तीनों अंगो के अधिकारियों, कर्मचारियों के मनोबल पर अनुकूल प्रभाव पड़ेगा तथा शहीद के परिवार को मजबूत एवं प्रभावी संबल प्राप्त होगा।
Good initiative