लखनऊ (लाइवभारत24)। ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (एआईजीएफ), जो भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का अलाभकारी शीर्ष निकाय है, ने ”ऑनलाइन गेमिंग इज अ लाइफ स्किल” (ऑनलाइन गेमिंग जीवन कौशल है) शीर्षक युक्त रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में यह जानने की कोशिश की गयी कि गेमर्स ने किन कौशलों को ‘जीवन कौशल’ माना, गेमर्स ने किस तरह से इन कौशलों को हासिल किया, क्या उन्हें इस तरह का कौशल प्रभावी ढंग से कार्यस्थल पर सीखने को मिला, और इनमें से किन कौशलों को गेमिंग के जरिए सीखा जा सकता है। रिपोर्ट में पाया गया कि लखनऊ के 99 प्रतिशत गेमर्स ने अपने मोबाइल फोन्स पर ऑनलाइन गेम्स खेले। शहर के 71 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने माना कि ऑनलाइन गेमिंग, और जीतने के सर्वोत्तम तरीके का नियमित रूप से आकलन करने से उन्हें मजबूत विश्लेषणात्मक कौशल विकसित करने में मदद मिली है। आगे, 64 प्रतिशत इस बात से सहमत थे कि ऑफिस में दिन भर काम करते हुए जितने व्यावहारिक जीवन कौशल सीखे जा सकते हैं, उतने जीवन कौशल ऑनलाइन स्पोर्ट्स एवं गेम्स के जरिए भी सीखे जा सकते हैं। कुल मिलाकर, रिपोर्ट से पता चला है कि 76 प्रतिशत गेमर्स का मानना था कि नियमित रूप से गेम जीतने के सर्वोत्तम तरीके का आकलन करके, वे मजबूत विश्लेषणात्मक कौशल विकसित कर सकते हैं। उनमें से आधे से अधिक (57 प्रतिशत) ने महसूस किया कि एक व्यक्ति ऑनलाइन गेम के माध्यम से व्यावहारिक जीवन कौशल को उसी तरह से सुधार सकता है जैसे वे पूरे दिन कार्यस्थल पर करते हैं – 57 प्रतिशत पुरुष और 56 प्रतिशत महिलाएं इस भावना से सहमत हैं। रिपोर्ट में आवश्यक जीवन कौशलों का भी खुलासा किया गया जिन्हें ऑनलाइन गेमर्स ने गेमिंग के लिए महत्वपूर्ण माना – रिफ्लेक्सेज (65 प्रतिशत), और रणनीति और तर्कशक्ति (68 प्रतिशत) को शीर्ष दो कौशल माना गया, इसके बाद दृढ़ संकल्प (53 प्रतिशत) और जोखिम/रिटर्न (52 प्रतिशत) को समझना; 46 प्रतिशत ने स्मरण शक्ति को महत्वपूर्ण बताया। रिपोर्ट के अनुसार, गेमर्स ने अपने वास्तविक जीवन के कार्य संबंधों की तुलना में अपने ऑनलाइन गेमिंग टीम के साथियों के प्रति अधिक अनुकूल रवैया प्रदर्शित किया। 56 प्रतिशत गेमर्स ने कहा कि वे अपने सहकर्मियों (51 प्रतिशत ) की तुलना में अपने गेमिंग टीम के साथियों के साथ ईमानदार होने की अधिक संभावना रखते हैं। जनरेशन जेड (5 प्रतिशत) बनाम 45 वर्ष (2 प्रतिशत) से ऊपर के लोगों के बीच अंतर अधिक स्पष्ट था। यह नॉर्टन द्वारा किए गए एक अध्ययन से मेल खाती है। नॉर्टन अध्ययन में कहा गया है कि 81 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि ऑनलाइन मल्टीप्लेयर गेम ने उनके टीमवर्क कौशल में सुधार किया है, जबकि 71 प्रतिशत ने महसूस किया कि गेमिंग ने उनकी संज्ञानात्मक क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद की है। लगभग हर चार में से एक गेमर सोचता है कि ऑनलाइन गेम खेलना एक व्यावहारिक पेशा है और यह वर्तमान समय में उद्योग में बदलाव को परिलक्षित करता है। पिछले साल के लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग के दौर में, गेमिंग के अपने शौक को पूर्णकालिक कैरियर में बदलने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। आज एक पेशेवर गेमर जो ई स्पोर्ट्स कंपनी के साथ साइन अप है वह कहीं भी लगभग 5,000 – 45,000 प्रतिमाह कमा सकता है। एक लोकप्रिय मोबाइल गेम का 2019 के भारतीय सीरीज में क्षेत्रीय फाइनलिस्ट टीम को 4,50,000 रूपये जीतते हुए देखा गया। इन परिणाम के बारे में बताते हुए ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन के सीईओ, रोलैंड लैंडर्स ने कहा, “ किसी के भी जीवन में प्रगति के लिए आलोचनात्मक सोच, रचनात्मक सोच, निर्णय लेने और समस्या-समाधान जैसे विविध कौशल बहुत जरूरी हैं। इस शोध के द्वारा हमें यह समझ विकसित करने में मदद मिली है कि क्या उपभोक्ताओं को सही मायने में मोबाइल गेमिंग के महत्व का अहसास है? हमारे शोध ने यह निष्कर्ष निकालने में मदद की है कि गेमिंग सहयोग करने और जुड़े रहने या व्यस्त रहने का एक तरीका है और एक ऐसा क्षेत्र बनने जा रहा है और जहां लोग अपना कैरियर बनाना चाहते हैं।अगरकर सेंटर फॉर एक्सिलेंस (एसईई) की फाउंडर फातेमा अगरकर ने कहा, “क्योंकि इस प्रकार के एड्यूटेनमेंट का विकास हुआ है, गेमिंग याददाश्त, विश्लेषणात्मक क्षमता, एकाग्रता और अन्य जटिल संज्ञानात्मक कौशल के अभ्यास का एक स्रोत बन सकता है। वास्तव में, शिक्षा के क्षेत्र में मिश्रित शिक्षण प्रारूप के लिए पाठ योजना बनाने के साथ साथ मूल्यांकन के लिए भी बहुतों के द्वारा गेमिंग का प्रयोग किया जाता है। क्योंकि संज्ञानात्मक और विश्लेषणात्मक कौशल की बारीक सामंजस्य द्वारा प्रतिक्रिया समय को कम करने और स्थानिक क्षमता को बढ़ावा देने के कारण लगातार इसकी ख्याति बढ़ रही है, यह महसूस किया गया है कि गेमर समस्या का हल निकालने में बेहतर रूप से तैयार होते हैं क्योंकि उनके पास क्षण भर में निर्णय लेने की क्षमता होती है।”रिपोर्ट में यह पाया गया है कि (33 प्रतिशत मर्दों की तुलना में) 51 प्रतिशत महिलाओं का मानना है कि ‘याद्दाश्त’ और ‘त्वरित प्रतिक्रिया’ जैसी शारीरिक और मानसिक कौशल ऑनलाइन गेमर के लिए जरूरी हैं । (49 प्रतिशत महिलाओं की तुलना में) दो तिहाई से ज्यादा (67 प्रतिशत ) पुरूष यह मानते हैं कि रणनीति, तर्क, जोखिम और फायदे की समझ और दृढ़ संकल्प जैसे संज्ञानात्मक कौशल ऑनलाइन गेमर के लिए जरूरी शर्तें हैं।
Informative news