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तालिबान राज में फिर से हो सकते हैं 9/11 जैसे आतंकी हमले: ब्रिटिश खुफिया एजेंसी

नई दिल्ली (लाइवभारत24)। अफगानिस्तान की सत्ता में तालिबानियों के आने के बाद से दुनिया में 9/11 जैसे आतंकी हमलों का खतरा बढ़ जाएगा, ब्रिटेन के खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने चेतावनी दी है। MI5 के डायरेक्टर जनरल कैन मैकेलम ने बीबीसी से खास बातचीत में कहा कि तालिबान के आने के बाद सबसे ज्यादा खतरा ब्रिटेन को हो सकता है। क्योंकि अब नाटो की सेना भी अफगानिस्तान से जा चुकी है। मैकेलम के मुताबिक, 9/11 के 20 साल बाद ब्रिटेन में आतंकी हमले ज्यादा बढ़े हैं। फर्क इतना है कि अब छोटे स्तर पर ऐसे हमले होते दिख जाते हैं। लेकिन चाकू और बंदूक के दम पर दहशतगर्द आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। मैकेलम ने बताया कि अमेरिका में आतंकी हमलों के बाद अल कायदा के दहशतगर्द अफगानिस्तान में सुकून से घूम रहे थे। वे एक बार फिर से खड़े हो सकते हैं। तालिबान को अपने दावों के मुताबिक ऐसे संगठनों को रोकना होगा। अफगानिस्तान के 6 पड़ोसी देशों- चीन, ईरान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान और पाकिस्तान ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। अफगानिस्तान के टोलो न्यूज ने बताया, ‘ इन देशों ने तालिबानी नेताओं से एक समावेशी सरकार बनाने और ISIS, अल कायदा जैसे आतंकी संगठनों को पैर जमाने की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया गया है।

तालिबान ने अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह के बड़े भाई रोहुल्लाह सालेह की हत्या कर दी है। तालिबान सूत्रों ने दावा किया कि रोहुल्लाह सालेह को पंजशीर घाटी में ही मौत के घाट उतार दिया गया। सूत्रों ने बताया कि रोहुल्लाह को तालिबानियों ने यातनाएं देने के बाद हत्या कर दी। तालिबानियों ने सालेह को पहले कोड़ों और बिजली के तार से पीटा, उसके बाद गला काट दिया। बाद में तड़पते सालेह पर दनादन गोलियां बरसा दीं।

बताया जा रहा है कि रोहुल्लाह सालेह पंजशीर से काबुल जाने की फिराक में थे। तालिबानियों को इसकी खबर लग गई। उन्होंने सालेह को घेरकर बंदी बना लिया और उनकी बेरहमी से मार दिया। हालंकि, खुद अमरुल्लाह सालेह ने अब तक इस मामले पर कोई बयान नहीं दिया है।
न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को रोहुल्लाह अजीजी के भतीजे इबादुल्ला सालेह ने बताया कि उन्होंने मेरे चाचा को मार डाला। तालिबानियों ने गुरुवार को ही उन्हें मार दिया था। हमने जब उनका शव मांगा तो तालिबानियों ने देने से इनकार कर दिया। तालिबानियों ने कहा कि हम उसे दफनाने नहीं देंगे। उसका शरीर सड़ जाना चाहिए। तालिबान सूचना सेवा अलेमाराह के मुताबिक, पंजशीर में लड़ाई के दौरान रोहुल्लाह सालेह मारा गया था।

15 अगस्त को काबुल पर तालिबानी कब्जे के बाद राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए। इसके बाद उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने खुद को राष्ट्रपति घोषित कर दिया। साथ ही उन्होंने पंजशीर के लड़ाकों के साथ मिलकर नेशनल रेजिस्टेंस फोर्स के बैनर तले तालिबान के खिलाफ विद्रोह का बिगुल फूंक दिया।
तालिबान ने कुछ दिनों पहले पंजशीर पर जीत का दावा किया था। उन्होंने पाकिस्तानी वायुसेना के समर्थन से पंजशीर के दो बड़े नेताओं को मार दिया था। तालिबान ने नॉर्दर्न अलायंस के कमांडरों और विद्रोहियों के प्रवक्‍ता फहीम दश्‍ती और पंजशीर के शेर कहे जाने वाले जनरल अहमद शाह मसूद के भतीजे जनरल वदूद की हत्या कर दी थी।

तालिबान ने पंजशीर के उस जगह की तस्वीर भी जारी की है जहां से कुछ दिनों पहले पूर्व राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह ने वीडियो जारी किया था। अमरुल्लाह सालेह ने तब एक वीडियो जारी कर तालिबान के दावों का खंडन करते हुए कहा था कि वे पंजशीर में ही मौजूद हैं और मरते दम तक यही रहेंगे।
अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन थम नहीं रहे हैं। ऐसे में विरोध को दबाने के लिए तालिबान दरिंदगी दिखा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि शांति से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तालिबान हिंसक तरीके अपना रहा है, उन्हें हथियारों और कोड़ों से पीटा जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के मुताबिक तालिबानी क्रूरता के शिकार 4 लोग अब तक दम तोड़ चुके हैं।

संयुक्त राष्ट्र की राजदूत देबोराह लेयॉन्स ने ये भी कहा है कि अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र के स्टाफ को तालिबान प्रताड़ित कर रहा है और उन्हें डरा-धमका रहा है। अगर स्टाफ को अपनी जान जाने का डर होगा तो वे अफगानिस्तान की जनता के लिए जरूरी काम नहीं कर पाएंगे।
अफगानिस्तान के पूर्व उप-राष्ट्रपति अब्दुल राशिद दोस्तम के काबुल स्थित महल पर तालिबान ने कब्जा कर लिया है। यहां 150 तालिबानी तमाम सुख-सुविधाओं के साथ रह रहे हैं। उनका कहना है कि दोस्तम पिशाच थे, जिन्होंने अफगानी जनता के खून से यह घर बनाया था। अफगानिस्तान की जनता के पास खाने को कुछ नहीं था और दोस्तम ने महल बना लिया।
काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों के हटने और तालिबान के कब्जे के बाद पहली इंटरनेशनल फ्लाइट ने गुरुवार को उड़ान भरी। कतर एयरवेज की इस फ्लाइट से 200 लोगों को कतर की राजधानी दोहा पहुंचाया गया। इन लोगों में अमेरिकी भी शामिल थे। बता दें 31 अगस्त को अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट तालिबान के हवाले कर दिया था। इसके बाद काबुल एयरपोर्ट से उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन अब फिर से शुरू कर दी गई हैं।

अफगानिस्तान में अपने अधिकारों और नई सरकार में अपनी भागीदारी के लिए तालिबान से लड़ रहीं महिलाओं का प्रदर्शन तेज हो गया है। महिलाओं का प्रदर्शन काबुल से बढ़कर उत्तर-पूर्वी प्रांत बदख्शां पहुंच गया है। वहां भी कई महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं। इस बीच तालिबान ने महिलाओं को लेकर बेतुका बयान दिया है। तालिबानी प्रवक्ता सैयद जकीरूल्लाह हाशमी ने कहा- ‘एक महिला मंत्री नहीं बन सकती है। महिलाओं के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है। उन्हें बच्चे पैदा करना चाहिए। उनका यही काम है। महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान की सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं।’
तालिबान ने गुरुवार को पंजशीर की राजधानी बाजारख में उत्पात मचाते हुए अफगानिस्तान के हीरो अहमद शाह मसूद के मकबरे में तोड़फोड़ कर दी। बता दें गुरुवार को ही मसूद की 20वीं बरसी थी। अमेरिका में 9/11 हमले के ठीक दो दिन पहले यानी 9 सितंबर 2001 को अलकायदा ने मसूद की हत्या की थी।
अमेरिका को मजबूरी में अपने विमान अफगानिस्तान में छोड़ने पड़े हैं, लेकिन अमेरिकी सैनिक इन विमानों को निष्क्रिय कर गए हैं। ऐसे में तालिबानी इन विमानों को उड़ा तो नहीं पा रहे, लेकिन उन पर झूला झूलते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ है, हालांकि इसकी लोकेशन पता नहीं चल पाई है।
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में सामाजिक व्यवस्थाएं और अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतरने का खतरा बना हुआ है। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र की राजदूत देबोराह लेयॉन्स ने दुनिया से अपील की है कि तालिबान से जुड़ी चिंताओं के बावजूद अफगानिस्तान में पैसे का फ्लो बनाए रखें नहीं तो पहले से ही गरीब इस के हालात बेकाबू हो सकते हैं। अफगानिस्तान इस वक्त करंसी की वैल्यू में गिरावट, खाने-पीने की चीजों, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी इजाफा और प्राइवेट बैंकों में नकदी की कमी जैसे संकटों का सामना कर रहा है। यहां तक कि संस्थाओं के पास स्टाफ का वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। UN ने कहा है कि इन हालातों में इकोनॉमी को चलाने के लिए कुछ महीने का वक्त दिया जाना चाहिए।

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