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जस्टिस धूलिया, जस्टिस पारदीवाला ने सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीशों के तौर पर ली शपथ

नयी दिल्ली (लाइवभारत24)। गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सुधांशु धूलिया और गुजरात हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस जमशेद बी. पारदीवाला ने सोमवार को यहां सुप्रीमकोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। इसके साथ ही सुप्रीमकोर्ट में एक बार फिर न्यायाधीशों की संख्या 34 हो गई है, जो शीर्ष अदालत में न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या है। भारत के चीफ जस्टिस एन. वी. रमण ने शीर्ष अदालत के अतिरिक्त भवन परिसर के नवनिर्मित सभागार में एक समारोह के दौरान जस्टिस धूलिया और जस्टिस पारदीवाला को पद की शपथ दिलाई। सुप्रीमकोर्ट के सदस्यों की नियुक्ति की प्रक्रिया से वाकिफ सूत्रों ने बताया कि जस्टिस पारदीवाला दो साल से अधिक समय तक प्रधान न्यायाधीश के रूप में काम करेंगे। उत्तराखंड से पदोन्नत होने वाले दूसरे न्यायाधीश जस्टिस धूलिया राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित फिल्म निर्देशक और अभिनेता तिग्मांशु धूलिया के भाई हैं। उनका कार्यकाल तीन साल से थोड़ा अधिक होगा। प्रधान न्यायाधीश ने दो और न्यायाधीशों की नियुक्ति के साथ अब तक शीर्ष अदालत के 11 न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाकर इतिहास रच दिया है। जस्टिस पारदीवाला शीर्ष अदालत की शोभा बढ़ाने वाले पारसी समुदाय के चौथे और जस्टिस एस अब्दुल नजीर के बाद, उच्च न्यायालय के, अल्पसंख्यक समुदाय के पहले न्यायाधीश होंगे, जिन्हें पिछले पांच वर्षों में पदोन्नत किया गया है। जस्टिस नजीर को फरवरी 2017 में सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था।
10 अगस्त, 1960 को जन्मे जस्टिस धूलिया उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के सुदूरवर्ती गांव मदनपुर के रहने वाले हैं। उन्होंने 1986 में इलाहाबाद हाईकोर्ट से वकालत शुरू की थी। सैनिक स्कूल, लखनऊ के पूर्व छात्र जस्टिस धूलिया ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक और विधि स्नातक की पढ़ाई की। जस्टिस धूलिया उत्तराखंड उच्च न्यायालय में पहले मुख्य स्थायी वकील थे और बाद में अतिरिक्त महाधिवक्ता बने। वह नवंबर 2008 में उसी उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए थे। बाद में वह 10 जनवरी, 2021 को असम, मिजोरम, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बने। 12 अगस्त 1965 को जन्में जस्टिस पारदीवाला ने 1990 में गुजरात उच्च न्यायालय में वकालत शुरू की थी। प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण इस साल 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। वह पिछले साल अगस्त से अब तक रिकॉर्ड 11 नामों की सर्वसम्मति से सिफारिश करने के लिए पांच-न्यायाधीशों के कॉलेजियम में आम सहमति बनाने में सफल रहे हैं। 17 नवंबर, 2019 को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत को एक भी न्यायाधीश नहीं मिला था। प्रधान न्यायाधीश रमण के पदभार संभालने के समय यहां नौ रिक्तियां थीं और उच्च न्यायालयों में लगभग 600 रिक्तियां थीं। वर्ष 1950 में शीर्ष अदालत की स्थापना के बाद से 2022 ऐसा दूसरा वर्ष होने जा रहा है, जिसमें तीन अलग-अलग प्रधान न्यायाधीश कुछ ही महीने तक पद पर रहेंगे।

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