लखनऊ। टैम्पो-टैक्सी एवं ऑटोरिक्शा संयुक्त मोर्चा,लखनऊ के प्रतिनिधिमंडल द्वारा  जिलाधिकारी लखनऊ  सूर्यपाल गंगवार व   सम्भागीय परिवहन अधिकारी  संजय तिवारी से मिलकर *लखनऊ जनपद में ई-रिक्शा के पंजीयन पर अविलम्ब रोक लगाने एवं ई-ऑटो की संख्या निर्धारित किये जाने का मांगपत्र सौपा* इसके अतिरिक्त श्रीमान प्रमुख सचिव परिवहन उ.प्र. शासन,  परिवहन आयुक्त उत्तर प्रदेश श्रीमान पुलिस आयुक्त लखनऊ पुलिस कमिश्ननरेट,मंडलायुक्त महोदया लखनऊ मंडल,श्रीमान नगर आयुक्त नगर निगम,   उपाध्यक्ष लखनऊ विकास प्राधिकरण, मुख्य अभियंता PWD मध्य क्षेत्र लखनऊ को भी स्पीड पोस्ट के माध्यम से मांगपत्र भेजा हैं।   जिलाधिकारी व संभागीय परिवहन अधिकारी को अवगत कराया कि लखनऊ जनपद की लगभग 50 लाख की आबादी के सापेक्ष 55000 ई-रिक्शा, 8500 ई-ऑटो के अलावा लगभग 42000 नगर बसे, Cng ऑटो/टैम्पो, चौपहिया टैक्सी व बाइक टैक्सी आदि सवारी वाहन भी संचालित हो रहे है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार के राजपत्र संख्या- 2125, दिनाँक- 30/08/2016 द्वारा ई-कार्ट और ई-रिक्शा की बनाई गई नीति में परमिट से मुक्त रखा गया है। इसी वजह से लखनऊ में 55000 से अधिक ई-रिक्शा व 8500 ई-ऑटो पंजीकृत हो जाने के बावजूद धड़ल्ले से ई-रिक्शा/ई-ऑटो का पंजीकरण लगातार जारी है। अपनी भारी संख्या के कारण ई-रिक्शा लखनऊ जनपद में यातायात जाम और अतिक्रमण का मुख्य कारण बन गए है। लखनऊ की सड़कें भी इतने अधिक ई-रिक्शा का भार ढो पाने में सक्षम नही है। लखनऊ जनपद में ई-रिक्शा के कारण यातायात कराह रहा है।अगर अविलम्ब ई-रिक्शा के पंजीकरण पर रोक और ई-ऑटो की संख्या निर्धारित नही की गई तो लखनऊ जनपद का यातायात पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा। संबंधित अधिकारी चाहे तो mv act 1988
की धारा 115 के साथ पठित उ.प्र. मोटर यान नियमावली 1998 के नियम 178 के तहत किसी भी वाहन का क्षेत्र विशेष में यातायात जाम का प्रमुख कारण बनने पर संचालन प्रतिबंधित या फिर पंजीयन पर अस्थायी रोक लगा सकते है इसके बाद राज्य सरकार से अनुमति लेकर नोटिफिकेशन कर पूरी तरह संचालन प्रतिबंधित या फिर पंजीयन पर रोक लागू कर सकते है। ऑटो/टेम्पो यूनियनों,सामाजिक व विभिन्न व्यापारी संगठनों और तमाम नागरिकों की लगातार मांग के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी इस दिशा में लापरवाह बने हुए है जैसे उनको बेतहाशा बढ़ती ई-रिक्शा व ई-ऑटो की संख्या से कोई लेना देना नही है। वाराणसी, मथुरा-वृंदावन, आगरा, ऋषिकेश, देहरादून आदि शहरो में ई-रिक्शा के पंजीयन पर स्थानीय प्रशासन ने उक्त प्रावधानों के तहत अस्थाई रोक लगाई थी लेकिन संबंधित राज्य सरकारें की अनुमति लेकर नोटिफिकेशन जारी करने में असफल रहने के कारण मा.उच्च न्यायालय ने उक्त लगाई गई रोक को खारिज़ कर दिया था। दिनाँक 14/09/2024 को वाराणसी के जिलाधिकारी ने उक्त नियमो के तहत पुनः ई-रिक्शा व ई-ऑटो के पंजीयन पर अस्थाई रोक लगा दी है। ई-रिक्शा के अधांधुध पंजीकरण के कारण लखनऊ जनपद की ध्वस्त यातायात व्यवस्था को दृष्टिगत् रखते हुये अधिकारियों को निम्नलिखित कारणो से ई-रिक्शा के पंजीयन पर अविलम्ब रोक एवं ई-आटो की संख्या निर्धारित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है –
1- यह कि भारत सरकार की इलेक्ट्रिक वाहनों की नीति में ई-वाहनों को परमिट से पूरी तरह मुक्त रखा गया है इसी वजह प्रति माह हज़ारो ई-रिक्शा व सैकड़ो ई-आटो का पंजीकरण हो रहा है।
2- ई-रिक्शा/ई-आटो बहुत ही कम पैसे में फाइनेंस हो जाते है इसलिए भी ई-रिक्शा/ई-आटो की संख्या बेतहाशा बढ़ती जा रही है। उदाहरण के लिए वर्तमान में चोलामंडलम फाइनेंस मात्र रू 5000/- एवं बजाज फाइनेंस जैसी दिग्गज कंपनी रु 11000/- में आसानी से ई-रिक्शा/ई-ऑटो फाइनेंस कर रही है।
3- ई-रिक्शा अपनी धीमी गति के कारण यातायात को बुरी तरह बाधित करते हैं। धीमी गति से चलने की वजह से जो भी वाहन इसके पीछे होते हैं तो उसे भी 15 से 20 किलोमीटर की गति से ही चलना पड़ता है। जिसके वजह से यातायात जाम लगता है।
4- चार्जिंग हेतु ज्यादातर ई-रिक्शा संचालको द्वारा कटिया लगा कर चोरी से चार्जिंग की जाती है। लखनऊ जनपद में पंजीकृत 55000 ई-रिक्शा व 8500 ई-ऑटो में से एक भी ई-रिक्शा/ई-ऑटो संचालक ने बिजली का व्यवसायिक कनेक्शन नही लिया है, ये घरेलू बिजली से ही अपने वाहन को चार्ज कर रहेे है जिसकी वजह से बिजली विभाग को भी प्रति माह करोड़ो रुपयों की भारी क्षति उठानी पड़ रही है। बावजूद इसके बिजली विभाग के अधिकारी उदासीन बने हुए है। ई-रिक्शा/ ई-ऑटो के डीलरों द्वारा
भी अधिक से अधिक वाहनों को बेचने की होड़ में व्यावसायिक कनेक्शन लेने के लिए नही बताया जाता हैं इस कारण से भी ई-रिक्शा की संख्या बेतहाशा बढ़ती चली जा रही है।
5-पहली बार ई-रिक्शा/ई-ऑटो का पंजीकरण के समय फिटनेस, बीमा होता है परन्तु वैधता समाप्त होने के बाद कभी भी फिटनेस, बीमा नही कराया जाता है।
टैक्स से भी इनको छूट मिली हुई है, सरकार द्वारा वाहन खरीद के समय सब्सिडी भी दी जाती है, फिटनेस, बीमा व लाइसेंस की चेकिंग न होने के वजह से भी ये बेफिक्र है। जो कि संख्या बढ़ने का प्रमुख कारण है।
6- ई-रिक्शा की बॉडी की बनावट और सस्पेंशन तकनीकी में खराबी होने की वजह से ई-रिक्शा के पलटने की घटनाएं आये दिन होती रहती है और बहुत बड़ी संख्या में लोगो को जान गवानी पड़ रही है। आये दिन समाचार पत्रो में खबरे भी छपती रहती हैं। अक्सर जान गंवाने वाले यात्रियों/चालको के परिजनो को फिटनेस, बीमा, ड्राइविंग लाइसेंस के अभाव में न्यायालय से दुर्घटना का मुआवजा भी नही मिलता है।
7- ई-रिक्शा/ई-ऑटो सवारी वाहन में पंजीकृत होने के बावजूद माल-भाड़ा भी बेधड़क ढो रहे हैं। जिसके कारण राजस्व की हानि हो रही है।
8- एक तरफ़ प्रति माह हज़ारो ई-रिक्शा का पंजीकरण हो रहा दूसरी तरफ पर्याप्त कुशल चालको की अनुपलब्धता के चलते हज़ारो नाबालिग ई-रिक्शा चला रहे है
और दुर्घटनाओं का कारण बन रहे है।
9- ज्यादातर ई-रिक्शा शाम/रात्रि को बैटरी बचाने के उद्देश्य से हेड लाइट ऑफ रखते है जिसके कारण आये-दिन दुर्घटनाये होती है।
10- लखनऊ जनपद की 50 लाख की आबादी के सापेक्ष ई-रिक्शा की संख्या पहले ही बहुत ज्यादा है और प्रतिमाह हज़ारो ई-रिक्शा पंजीकृत होने के कारण बेतहाशा बढ़ती चली जा रही है।
11- लखनऊ जनपद की कुछ मुख्य सड़को को छोड़ दिया जाय तो ज्यादातर सड़के लखनऊ में मौजूदा वाहनों की संख्या के सापेक्ष कम चौड़ी और सकरी है जो कि एक साथ इतने ई-रिक्शा/ई-ऑटो का संचालन करा पाने में सक्षम नही है। 12- ई-वाहनों की नीति में ई-रिक्शा का संचालन मुख्य मार्गो पर न होकर लिंक मार्गो पर किया जाना था लेकिन अधिकतर ई-रिक्शा मुख्य मार्गो पर ही संचालित हो रहे है। इसी क्रम में अवगत कराना है कि लखनऊ महानगर में 11 मार्गो पर ई-रिक्शा का संचालन प्रतिबंधित किया गया था बावजूद इसके उक्त मार्गो पर जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते धड़ल्ले से संचालन जारी है।*
श्रीमान जिलाधिकारी व श्रीमान संभागीय परिवहन अधिकारी द्वारा ई-रिक्शा/ई-ऑटो की पालिसी में किए गए कानूनी प्रावधानों का अध्ययन करने के पश्चात विधि सम्मत कार्यवाही करने का आश्वासन दिया गया। अधिकारियों को संयुक्त मोर्चा द्वारा मौखिक चेतावनी दी गई कि जल्द ही निर्णय नही लिया गया तो मा. उच्च. न्यायालय की शरण मे जाने को बाध्य होंगे। आज अधिकारियों से की गई मुलाकात के दौरान संयुक्त मोर्चा के पंकज दीक्षित(अध्यक्ष), राजेश राज(महामंत्री), किशोर वर्मा पहलवान(उपाध्यक्ष), राघवेंद्र सिंह(संगठन मंत्री) आदि उपस्थित थे।

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