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विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस ने झोंकी पूरी ताकत: डीजीपी

लखनऊ(लाइवभारत24)। आठ पुलिसकर्मियों को शहीद करने वाले खूंखार अपराधी विकास दुबे की गिरफ्तारी के लिए यूपी पुलिस और एसटीएफ ने पूरी ताकत झोंक दी है। कानपुर घटना को लेकर शुक्रवार सुबह डीजीपी हितेश चन्द्र अवस्थी ने प्रेस कांफ्रेंस की। डीजीपी ने बताया कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के खिलाफ धारा 307 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसी मामले में उसकी गिरफ्तारी के लिए गुरुवार देर रात पुलिस टीम दबिश देने गयी थी। डीजीपी ने कहा बदमाशों ने अपने ठिकाने से कुछ दूर पहले रास्ते में एक जेसीबी खड़ी कर दी थी। जिससे पुलिस के वाहन वहां से आगे नहीं जा सके। पुलिस फोर्स जब वाहनों से नीचे उतरी, वैसे ही बदमाशों ने गोलियां चला दीं। पुलिसकर्मियों ने जवाब फॉयरिंग की। लेकिन बदमाश ऊंचाई पर थे। इसलिए हमारे 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। डीजीपी ने बताया कि हमले में 8 जवान घायल हैं। हमले के बाद अंधेरे का फायदा उठाकर अपराधी भागने में सफल रहे। लेकिन हम उनकी गिरफ्तारी के लिए ऑपरेशन चला रहे हैं। ऑपरेशन में एसटीएफ को भी लगाया गया है। पुलिस के तमाम बड़े अफसरों को ऑपरेशन की निगरानी के लिए मौके पर भेजा गया है। आईजी एसटीएफ भी मौके पर पहुंच रहे हैं। कानपुर की फॉरेंसिक टीम भी मौके पर है। लखनऊ से एक विशेषज्ञ टीम भी भेजी जा रही है। यूपी पुलिस बड़े स्तर पर अभियान चला रही है।

सपा व बसपा सरकारों में फला-फूला विकास उर्फ ‘शिवली का डॉन

कानपुर में सीओ और एसओ सहित 8 पुलिस जवानों को शहीद करने वाला विकास दुबे का आपराधिक इतिहास काफी लंबा है। लेकिन अपनी राजनीतिक पहुंच के चलते गंभीर वारदातों को अंजाम देने के बाद भी वह बच जाता था। सत्ता के साथ तालमेल बैठाने के चलते विकास दुबे अभी तक बचता आया है। पूर्ववर्ती सपा और बसपा सरकारों ने अपराधी विकास दुबे को डॉन बनने में भरपूर मदद की। सूत्रों के अनुसार वह वर्तमान समय में वर्तमान समय में समाजवादी पार्टी का नेता था। बचपन से ही अपराधी किस्म के विकास दुबे ने वर्ष 2000 के आस-पास राजनीतिक पकड़ मजबूत की। अपराध और राजनीतिक मजबूत गठजोड़ के चलते पिछले दो दशकों से कानपुर नगर और कानपुर देहात में विकास दुबे की तूती बोलती थी। कानपुर कांड के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्टर तेजी से वायरल हो रहा है। यह पोस्टर उस समय का है, जब विकास दुबे की पत्नी रिचा दुबे सपा के समर्थन पर जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था। वर्ष 2000 में विकास दुबे ने कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र में एक इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या दिनदहाड़े हत्या कर दी थी। इस हत्याकांड के बाद विकास दुबे शिवली का डॉन के नाम से मशहूर हो गया। इसी हत्याकांड में विकास दुबे को उम्रकैद की सजा हुई। लेकिन बाद में वह बरी हो गया। इस हत्याकांड के बाद जेल में बैठे विकास दुबे साथियों की मदद से हत्या, लूट और रंगदारी की घटनाओं को अंजाम देता रहा। वर्ष 2000 में ही विकास दुबे पर रामबाबू यादव की हत्या की साजिश रचने का आरोप लगा। यह साजिश उसने जेल में बैठकर रची थी। वर्ष 2004 में एक केवल कारोबारी दिनेश दुबे की हत्या में भी विकास दुबे का नाम आया था। वर्ष 2013 में भी विकास दुबे ने हत्या की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था। विकास दुबे के दबदबे का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2001 में विकास दुबे ने भाजपा सरकार में दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की थाने में घुसकर हत्या कर दी थी। तब यूपी में राजनाथ सिंह की सरकार थी। विकास दुबे के खौफ के चलते सबूतों व गवाहों की कमी के चलते उस पर आरोप सिद्ध नहीं हो सके और कुछ दिन बाद उसे जमानत मिल गयी।
अपराध दुनिया में नाम कमाने के बाद विकास दुबे ने राजनीति में सक्रियता बई। पंचायत व निकाय चुनावों में उसने कई राजनीतिक पार्टियों की मदद की। इसी दौरान सभी प्रमुख नेताओं से उसके संबंध हो गए। अपने राजनीतिक गठजोड़ से विकास दुबे ने राजनीति में भी एंट्री ली। बसपा के समर्थन पर उसने जेल में रहते हुए जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीता था। जिसमें वह जीता भी था। प्रदेश में सपा की सरकार बनने पर विकास दुबे सपा के साथ हो गया। सपा के समर्थन पर उसकी पत्नी पत्नी ने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ा था। सूत्रों के अनुसार बसपा सरकार में मंत्री रहे अनंत मिश्रा और विकास दुबे के बीच काफी घनिष्ठ संबंध थे। वर्ष 2002 में बसपा सरकार के समय विकास दुबे की काफी दबदबा था। अपराध और रानीतिक गठजोड़ के दम पर विकास दुबे ने करोड़ों की संपत्ति बनाई। बिठूर में ही उसके स्कूल और कॉलेज हैं। वह एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है। विकास दुबे पर जमीनों की अवैध खरीद-फरोख्त का भी आरोप है। बचपन से ही अपराधी किस्म के विकास दुबे करीब दो दशक पहले अपनी गैंग बनाई और हत्या, लूट, डकैती जैसी वारदातों को अंजाम देने लगा। पुलिस ने कई बार उसे गिरफ्तार किया, लेकिन हर बार वह छूट गया। अभी हाल ही में लखनऊ एसटीएफ ने उसे कृष्णा नगर से गिरफ्तार कर जेल भेजा था। लेकिन कुछ समय पहले छूट गया था। शुक्रवार को डीजीपी ने बताया कि विकास दुबे पर यूपी के विभिन्न जनपदों में करीब 60 मुकदमे दर्ज हैं। इनमें हत्या, लूट, जमीन कब्जाने, धमकाने जैसे मामले हैं। ‘शिवली का डॉननाम से मशहूर विकास दुबे ने युवाओं की फौज तैयार कर रखी थी। जिसके दम पर वह राजनीतिक सक्रियता के साथ लूट, डकैती और हत्या जैसे जघन्य अपराधों को अंजाम देता था।

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