अमेरिका से लौटे आशीष लोया न सिर्फ एक आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षक हैं, बल्कि वह एक प्रकृति व पक्षी प्रेमी भी हैं
लखनऊ (लाइवभारत24)। प्रेम, प्रकृति और अध्यात्म का अटूट संबंध है। आध्यात्मिक शिक्षा को प्रकृति के प्रति प्रेम से जोड़कर आने वाली पीढ़ी को पक्षियों की देखभाल करने व प्रकृतिवादी बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले आशीष लोया आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं।
अमेरिका से लौटे आशीष लोया न सिर्फ एक आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षक हैं, बल्कि वह एक प्रकृति प्रेमी व पक्षी उत्साही भी हैं। जो युवाओं को वन्य जीवन और पक्षियों की देखभाल के बारे में जानने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इसके अलावा वह प्रबंधन को मेरठ-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने गंगा बैराज के दूसरी ओर की जमीन को हैदरपुर आर्द्र भूमि घोषित करने और इसे रामसर स्थल घोषित करने के लिए आवेदन करने में लोया का योगदान बहुत सहायक सिद्ध हुआ। यह एक ऐतिहासिक निर्णय था, जिसमें आर्द्र भूमि संसाधनों के साथ – साथ वन्य जीवन, पेड़-पौधों और वन्य जीवों के संरक्षण को सुनिश्चित किया गया, जो वहां पर पनपते हैं।
लोया, उस स्थान के बच्चों और युवाओं को अपने समुदायों की सेवा में संलग्न करने के लिए बहुआयामी उद्देश्यों के साथ आर्ट ऑफ लिविंग के नवचेतना शिविर करा रहे हैं। वे उन्हें मन और शरीर के अभ्यास, जैसे – श्वसन अभ्यास,योग और ध्यान सिखा रहे हैं, ताकि उनकी ऊर्जा को एक सही दिशा मिले और वे पक्षियों की देखभाल करने के कार्यों और उनके संरक्षण के अभियान में संलग्न हो जाएं। वह हैदरपुर आर्द्र भूमि में शैक्षिक आयोजन भी करते हैं, जहां पर प्रत्येक वर्ष 180 से अधिक प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते हैं और जो अन्य 120 प्रजातियों के स्थानीय पक्षियों जिनमें बार हेडेड गूज, ब्लैक थ्रोटेड थ्रश, फेरुजेनस पोचर्ड्स, पाइड एवोसेट्स, कूट्स, व्हाइट टेल्ड ईगल, ग्रेलेग गूज़, पेंटेड स्टोर्कस, पर्पल मूरहेंस आदि शामिल हैं, का घर है। पक्षियों के अलावा यह स्थान56 से भी अधिक प्रजातियों की तितलियों, खतरे में पड़े सांप, हिरन, घड़ियाल, कछुओं और ऊदबिलावों का घर है।
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