लखनऊ (लाइव भारत 24)| आप सभी जानते है कि आज हर व्यक्ति एक वैश्विक महामारी की चपेट में है ।हम सभी जानते है कि इस से निपटने का एक मात्र उपाय है की हमें अपने प्रतिरक्षा तंत्र को अच्छा रखना होगा।प्राकृतिक चिकित्सा का योगदान प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत बनाने में अहम है ।यदि यह कहें कि प्राकृतिक चिकित्सा सिर्फ प्रतिरक्षा तंत्र पर ही काम करती है तो गलत नहीं होगा बीमारी तो स्वतः ठीक होने लग जाती है।
हमारा शरीर पांच तत्वों से बना है ।और इन पंच तत्वों से ही हम अपने शरीर की चिकित्सा कर सकते है ।धूप,हवा,मिट्टी,पानी, आकाश चिकित्सा से हम अपने शरीर में उपजी अनेक बीमारियों का इलाज कर सकते है । किन्तु ये सभी जिनका हम प्राकृतिक चिकत्सा में दवाओं की तरह इस्तेमाल करते है ,इन तत्वों का शुद्ध रूप में हमे प्राप्त होना बहुत आवश्यक है ,इसके लिए
हमें अपने पर्यावरण में इन सभी तत्वों की शुद्धता प र
खास ध्यान देना चाहिए ।
मिट्टी प्रदूषित न हो तभी मिट्टी चिकित्सा का प्रभाव मिलेगा । पेड़..पौधों का संरक्षण किया जाए ।अधिक संख्या में पेड़ लगाया जाए,जैविक खेती पर काम किया जाए जिस से जो भोजन हम करे वो भी स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक हो ।
इसी प्रकार वायु शुद्ध रहेगी तभी प्राण वायु अधिक से अधिक गृहण होगी ,तभी प्राणायाम करना सार्थक होगा।
देखना होगा कि वायु प्रदूषण तेज ध्वनि से भी फैल रहा है उसे भी नियंत्रित किया जाए।
जल चिकित्सा का खास महत्व है प्राकृतिक चिकित्सा में जल सर्व सुलभ है ,इसके लिए हम खास जिमेदारी उठानी होगी ।जल का संचयन आवश्यक है ,अन्यथा हम आने वाले समय में जल से वंचित हो जायेंगे और बोला जल के एक दिन की भी कल्पना नहीं की जा सकती चिकित्सा तो बहुत दूर की बात है।
सूर्य चिकित्सा ..आदि काल से प्रचलित है ,सूर्य उपासना,सूर्य किरणों से अवशोषित जल का प् योग
हमारे शरीर में विटामिन डी का निर्माण तो केरते है है साथ ही साथ एक अच्छा प्रतिरक्षा तंत्र का निर्माण करते है।अगर आप चाहे तो पानी को भी अपनी प्रकृति के अनुरूप उसी रंग का bottle या glass में भरकर चार्ज कर सकते है।
आकाश चिकित्सा का योगदान भी काम नही है ,इसके लिए हमें पर्यावरण को स्वास्थ्य रखना है ये हम सभी जानते है किन्तु हमारे विचारों का इस आकाशीय चिकित्सा में बड़ा योगदान है जैसे कहा भी गया है,जैसा आप सोचते है वैसा ही आपके व्यक्तित्व का निर्माण होता है ।और यही ऊर्जा संप्रेषित होकर दूसरों में पहुंचती है और दूसरों की आप के अंदर।आपके विचार ही आपके शब्द बन जाते है ,शब्द आपकी आदत ,आदत आपके वक्तित्वा का निर्माण करती है और यही आपके भविष्य की निर्माता भी है तो आप ध्यान दे आप space में आकाश में क्या भेज रहे है।सकारात्मक रहे और अच्छी सोच से अच्छे विचारों से अच्छी संवेदनाओं से इस आकाश तत्व को पल्लवित और पुष्पित करे।
मानव यदि पेड़ों का उपकार भूल जायेगा।
आने वाले समय में बहुत पछताएगा।।
Dr shikha Gupta
Director of Health Is Wealth Holistic clinic