लखनऊ(लाइवभारत24)। परशुराम जन कल्याण मंच विगत वर्षों से सनातन परंपरा को आगे करते हुए सामाजिक भेदभाव को कमतर करने की दिशा में अग्रसर है। हमारे राष्ट्रिय अध्यक्ष पंडित सुनील मिश्र के दिशा निर्देश में संस्था के लाखों संकल्पबद्ध कार्यकर्त्ता कोरोना काल में लोगों की मदद कर के राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहें है.
आज परशुराम जन कल्याण मंच ने महान समाजसेवी एवं परशुराम परिवार के बड़े चेहरे श्री विजय मिश्रा जी को अपना प्रदेश संरक्षक (उत्तर प्रदेश ) चुन कर गौरवांन्वित महसूस कर रहा है. कोरोना गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए आज प्रेस वार्ता रखीं गई है।
परशुराम कुल ने अनादि काल से समाज के सभी जीवों के कुशलता एवं कल्याण की कामना करता आया है | हमने अपने ईश्वर से सदैव प्रार्थना की है
“ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः
सर्वे सन्तु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद्दुःखभाग्भवेत।
हिन्दी भावार्थ: सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी का जीवन मंगलमय बनें और कोई भी दुःख का भागी न बने। हे भगवन हमें ऐसा वर दो |
परशुराम परिवार के लोगों ने सदैव से समाज को शिक्षा एवं संस्कार देने के लिए स्वयं के सुखों का परित्याग करते आये है, परन्तु आज कुछ राजनीतिक पार्टियाँ एवं समाज को अशांत करने वाले संगठन ब्राह्मण समाज को अपमानित करने पर उतारू है।
आज जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नज़दीक आ रहा है तो विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा हमे लुभाने के लिए परशुराम मंदिर एवं मूर्ति लगाने की बात करने के साथ कुछ अस्तित्व विहीन नेताओं को परशुराम परिवार का धोकरकसवा (बच्चों को चुराने वाला) बनाने हेतु दल-बदल कराया जा रहा है।
परशुराम परिवार के कुछ लोग जो राजनीतिक पार्टियों के साथ है वो भी कुल के लिए विभीषण की भूमिका में है और परशुराम परिवार के सामाजिक हनन और अपमान पर मौन साधे हुए है |
परशुराम जन कल्याण मंच उन सभी राजनीतिक दलों को चेताना एवं बताना चाहता है की “हम पुजारी है मगर भिखारी नहीं ” इसलिए भगवान परशुराम की मूर्ति ,मंदिर एवं दलबदलू नेताओं को आगे कर के हमारे स्वाभिमान की हत्या करने का प्रयास न किया जाये।
ब्राह्मण समाज सदैव से समाज में समरसता एवं आपसी भाईचार को बढ़ाने के लिए शांति का प्रतीक रहा है परन्तु आत्मसम्मान पर ठेस आने पर परशुराम को अपना आराध्य मानने में क्षण भर भी विलम्ब नहीं करता है।
वसीम बरेलवी ने सही ही लिखा है,
उसूलों पे जहाँ आँच आये टकराना ज़रूरी है
जो ज़िन्दा हों तो फिर ज़िन्दा नज़र आना ज़रूरी है
इसलिए संस्था के दो लाख से ज़्यादा सदस्यों ने अब ठाना है की अब बहकावे में नहीं आयेगें और चुनावी रेवड़ियां फेक कर ब्राम्हण समाज को अपमानित दलों को सबक सिखाएंगे।
परशुराम जन कल्याण मंच, राजनीतिक लाभ के लिए हमें अपमानित करनेवालों राजनीतिक पार्टियों एवं समाज में अशांति स्थापित करने वालें कुछ एक संस्थानों से पूछना चाहता है। ………
सदियों से समाज को शिक्षा और संस्कार देने वाले परशुराम कुल का अपमान क्यों?
चुनाव से पूर्व भगवान परशुराम एवं उनकी प्रतिमा लगाने के लिए राजनीतिक दलों में होड़ क्यों ?
परशुराम कुल को अपमानित कर के हिन्दू राष्ट्र की स्थापना कैसे?
भगवान विष्णु के छठे अवतार श्री परशुराम भगवान उत्तर प्रदेश में कोई बड़ा मंदिर एवं मठ क्यों नहीं?
अनेकों महापुरुषों के नाम पर गली-गली में चौक एवं प्रतिमाएं साथ ही साथ बड़े-बड़े पार्क परन्तु भगवान परशुराम के साथ अन्याय क्यों ?
मंदिर के पुजारी जो सदैव समाज के कल्याण हेतू पूजा अर्चना करते है उनके लिए कोई भत्ता क्यों नहीं?
गरीब परशुराम परिवार के युवाओं को समुचित शिक्षा हेतू मदद क्यों नहीं? निर्धन परशुराम कुल के युवा ,आरक्षण युग में रोजगार कैसे प्राप्त करें? सरकारों ने क्या किया?
परशुराम कुल के हज़ारों सालों के त्याग एवं बलिदान का प्रतिफल गाली एवं अपमान क्यों?
परशुराम परिवार के विभीषण तुल्य राजनीतिज्ञों से मंच का एक सवाल की जिस कुल की राजनीती आप करते है उनके कल्याण के लिए आपने आजतक क्या किया ?
उपरोक्त बिंदुंओ पर ध्यानकर्षण करते हुए परशुराम जन कल्याण मंच के राष्ट्रिय अध्यक्ष प.सुनील मिश्र ने कहा की ज़्यादा सीधापन कायरता कहलाता है , इसलिए अब हम सनातन परंपरा के रक्षकों के स्वाभिमान की रक्षा करेंगे।
कार्यक्रम में उपस्थित परशुराम जन कल्याण मंच के प्रदेश संरक्षक श्री विजय मिश्रा ने मंच के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया और कहा की हम सब का परम कर्तव्य है की सामाजिक भाईचारा को बढ़ाया जाये और परशुराम परिवार के लोगों को अपमानित करने वालों को सनातन परम्परा एवं हिन्दू जीवन शैली के बारे में शिक्षित करने की जरुरत है।
मंच के राष्ट्रिय उपाध्यक्ष पंडित विकास शर्मा ने कहा की इस बार हम और हमारा समाज बहुत सोच-समझ कर कदम उठाएगा और नेताओं के बहकावें में नहीं आएगा।
संस्था के मार्गदर्शक संत श्री बैद्यनाथ राम त्रिपाठी ने सभा का संचालन करते हुए वैदिक परंपरा और उसमे परशुराम परिवार के लोगों की सहभागिता पर प्रकाश डालते हुए कहा की हिन्दू धर्म एक जीवन शैली है और यदि सनातन परम्पराओं के साथ नियम-आयाम का लोगों ने सही से पालन किया होता तो आज भारतवर्ष के लोगों को कोरोना का डंस नहीं झेलना पड़ा होता।
कार्यक्रम में संस्था के जे.पी शुक्ल,प्रमोद शर्मा ,अंकित मिश्र ,रुचिर बाजपेयी , संजय मिश्र ,आनंद पांडेय,संतोष उपाध्याय बबलू त्रिवेदी,रामकृष्ण शुक्ल ,अमितकुमार द्रिवेदी, शिव बाल्यान शुक्ल ,मोहनलाल भारद्वाज,प्रमोद शर्मा,रत्नेश मिश्र ,मिंटू तिवारी, नन्हें पांडेय ,अनुराग त्रिपाठी ,अनूप त्रिपाठी आदि की उपस्थिति रहे।