• 4 सालों में राष्ट्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन और केंद्रीय एडवांस रूलिंग प्राधिकरण का गठन भी नहीं हो पाया 
  •  गुड एवं सिंपल टैक्स कहकर 1 जुलाई 2017 को लागू किए जाने वाली जीएसटी प्रणाली व्यापारियों को लिखा पढ़ी के मकड़जाल में फसाने वाली साबित हुई: संजय गुप्ता
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के प्रदेश चेयरमैन एवं उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता

लखनऊ (लाइवभारत24)। उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल एवं कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ़ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज जीएसटी के देश में चार वर्ष पूरे होने पर जीएसटी कर प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था पर बड़ा तंज कसते हुए कहा की चार वर्षों के बाद यह अब एक औपनिवेशिक कर प्रणाली बन गई है जो जीएसटी के मूल घोषित उद्देश्य “गुड एंड सिंपल टैक्स के ठीक विपरीत है और देश के व्यापारियों के लिए एक बड़ा सिर दर्द बन गई है !वर्तमान जीएसटी कर प्रणाली भारत में हो रहे व्यापार की जमीनी हकीकत और व्यापार करने के तौर तरीके के साथ तालमेल नहीं बैठा पाई है ! जीएसटी के तहत अभी हाल ही के महीनों में हुए विभिन्न संशोधनों और नए नियमों ने कर प्रणाली को बेहद जटिल बना दिया है और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के इज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस की मूल धारणा के बिलकुल खिलाफ है ! कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीथारमन से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय माँगा है !

कैट के उत्तर प्रदेश के चेयरमैन एवं उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल के प्रदेश अध्यक्ष संजय गुप्ता ने कहा की जीएसटी को विकृत करने में केंद्र सरकार की बजाय राज्य सरकारों की हदथधर्मिता ज्यादा जिम्मेदार हैं जिन्होंने कर प्रणाली में विसंगतियां और समान कर प्रणाली को अपने लाभ की खातिर दूषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है !

व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने g st के वर्तमान स्वरुप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की भारत में जीएसटी लागू होने के 4 साल बाद भी जीएसटी पोर्टल अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है और सही तरीके से काम नहीं कर रहा । नियमों में संशोधन किया गया है लेकिन पोर्टल उक्त संशोधनों के साथ समय पर अद्यतन करने में विफल है।अभी तक कोई भी राष्ट्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है। “वन नेशन-वन टैक्स” के मूल सिद्धांतों को विकृत करने के लिए राज्यों को अपने तरीके से कानून की व्याख्या करने के लिए राज्यों को खुला हाथ दिया गया है ! केंद्रीय एडवांस रूलिंग प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है। जीएसटी अधिकारी ई सिस्टम के द्वारा कर पालना तो कराना चाहते हैं किन्तु देश में व्यापारियों के बड़े हिस्से को अपने मौजूदा व्यवसाय में कम्प्यूटरीकरण को अपनाना बाकी है, इस पर उन्होंने कभी नहीं सोचा और व्यापारियों आदि को कंप्यूटर आदि से लैस करने के विषय में कोई एक कदम भी नहीं उठाया गया है !

व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने कहा कि कुछ ही महीने पहले जीएसटी में एक नियम लागू करके जीएसटी अधिकारियों को किसी भी व्यापारी के जीएसटी पंजीकरण को रद्द करने का मनमाना अधिकार दे दिया है जिसमें व्यापारियों को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा और सुनवाई का कोई अवसर भी नहीं दिया जाएगा ! यह न्याय के प्राकृतिक सिद्धांत के बिलकुल विरूद्ध है ! अधिकारियों को मनमाने बेलगाम अधिकार दिए जा रहे हैं जिससे निश्चित रूप से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा ! जीएसटी कानून को बेहद विकृत किया गया है, जो इस तथ्य से स्पष्ट है कि 31 मई , 2021 तक जीएसटी लागू होने की तारीख के बाद से एक हजार से ज्यादा संशोधन किये गए हैं जबकि ठीक इसके उलट व्यापारियों को अपनी रिटर्न को एक बार भी संशोधित करने का अधिकार नहीं दिया गया ! ऐसी स्थिति में हम व्यापारियों से कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि वे कराधान प्रणाली का समय पर अनुपालन करें।

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