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बैंक ऑफ बड़ौदा ने ट्रैक्टर के लिए फाइनेंस उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में सुधार के कदम उठाए

लखनऊ (लाइवभारत24)। देश में सार्वजनिक क्षेत्र के प्रमुख बैंक- बैंक ऑफ बड़ौदा ने कृषि यंत्रीकरण में क्रेडिट की स्थिति में और सुधार की दिशा में नई पहल की है और इसे आगे बढ़ाने के लिए, बैंक ने एक ही दिन में तीन पहल की। ये सभी नए कदम किसानों को बेहतर वित्तीय सेवाएं उपलब्ध कराने और उन्हें कृषि मशीनीकरण की दिशा में सशक्त बनाने के लिहाज से उठाए गए। एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर   विक्रमादित्य सिंह खिंची ने वर्चुअल प्लेटफाॅर्म के जरिये इस कार्यक्रम को लाॅन्च किया। वर्चुअल मोड के माध्यम से श्री रोहित पटेल, सीजीएम- ग्रामीण और कृषि बैंकिंग,  एम वी मुरली कृष्ण, जीएम और हैड- ग्रामीण और कृषि बैंकिंग, सभी जोनल प्रमुख, क्षेत्रीय प्रमुख और जोन और रीजन के प्रायोरिटी सैक्टर इंचार्ज और मेगा संवितरण में भाग लेने वाली शाखाओं के अधिकारी भी इस कार्यक्रम से जुड़े। इस अवसर पर   खिंची ने कहा, ‘‘वर्तमान दौर में कृषि क्षेत्र एकमात्र ऐसा सैक्टर है, जो कोविड-19 महामारी से बहुत कम प्रभावित हुआ है। सामान्य से अधिक मानसून के साथ यह उम्मीद की जा सकती है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था कृषि क्षेत्र से योगदान के माध्यम से पुनर्जीवित हो सकती है। इसी क्रम में कृषि खंड में ऋण प्रवाह को बढ़ावा देने के लिए, भारत सरकार ने 3 योजनाएं शुरू की हैं- एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, पशुपालन के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड और प्रधान मंत्री फाॅर्मलाइजेशन आॅफ माइक्रो फूड एंटरप्राइजेज (प्रधान मंत्री एफएमई)। निश्चित तौर पर यह योजनाएं भी सहायक साबित होंगी। बैंक ऑफ बड़ौदा में हम अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी बनाने और ग्राहकों को केंद्र में रखते हुए अपनी प्रक्रियाओं में सुधार करने का प्रयास करते हैं। नया क्लस्टर मॉडल ग्राहकों के लिए टीएटी को बनाए रखने और क्रेडिट गुणवत्ता को सुधारने में मदद करेगा।‘‘

बैंक ने लखनऊ जोन में वर्तमान में लागू ‘ट्रैक्टर फाइनेंसिंग के लिए क्लस्टर मॉडल‘ को अन्य जोन में भी दोहराया है। ये जोन हैं- अहमदाबाद, बड़ौदा, राजकोट, जयपुर, भोपाल, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु, मंगलुरु, मेरठ और चंडीगढ़। ’ट्रैक्टर फाइनेंसिंग के लिए क्लस्टर मॉडल’ सभी स्तरों पर एक केंद्रित दृष्टिकोण सुनिश्चित करेगा और इसके लिए डेडिकेटेड अधिकारियों को विशिष्ट भूमिकाएं सौंपी जाएंगी, ताकि फाइनेंसिंग की प्रक्रिया में लगने वाले समय को कम करने के साथ-साथ इस सेगमेंट की गुणात्मक और अनुपालन उन्मुख वृद्धि सुनिश्चित की जा सके

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