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कृषि कानूनों पर कल छठवें राउंड की बातचीत से पहले कैबिनेट मीटिंग

नई दिल्ली (लाइवभारत24)।  गाजीपुर, टिकरी, सिंधु और कई बॉर्डर प्वाइंट पर हजारों की तादाद में किसान आंदोलन कर रहे हैं। ऐसे में गाजीपुर की ये फोटो दिलचस्प है, जहां दिल्ली-मेरठ हाईवे पर कृषि कानूनों के विरोध में एक किसान अकेला लेटा है। कृषि कानूनों पर फैसले के आसार नजर आ रहे हैं, क्योंकि 12 दिन से आंदोलन कर रहे किसान नेताओं से पहली बार गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को मुलाकात की। ICAR भवन में चल रही इस मीटिंग में 13 किसान नेता पहुंचे हैं। कल यानी बुधवार को किसानों और सरकार के बीच छठवें राउंड की बातचीत होनी है और इससे पहले ही कैबिनेट की मीटिंग भी बुलाई गई है। माना जा रहा है कि किसान आंदोलन को लेकर कोई फैसला भी हो सकता है। हालांकि, किसानों का कहना है कि कोई बीच का रास्ता नहीं है। हमें गृह मंत्री से हां या ना में जवाब चाहिए। टिकरी बॉर्डर पर किसानों ने कहा था कि कानून वापसी से कम कुछ मंजूर ही नहीं है।भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के नेता राकेश टिकैत ने कल सिंघू बॉर्डर पर पंजाब की किसान यूनियनों के नेताओं से मुलाकात की थी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह आज शाम 13 किसान नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं, जिनमें टिकैत भी शामिल हैं।
सूत्रों के मुताबिक राकेश टिकैत बैक चैनल से सरकार से वार्ता कर रहे थे। हालांकि, सार्वजनिक बयानों में वो यही कहते रहे थे कि किसान संगठन जो फैसला लेंगे, उसमें वो साथ हैं और जब तक कानून वापस नहीं होंगे तब तक वो गाजीपुर बॉर्डर पर टिके रहेंगे। हालांकि, पर्दे के पीछे से कोई बीच का रास्ता निकालने की कोशिशें जारी थीं। इस मुलाकात को इन्हीं कोशिशों के नतीजे में देखा जा रहा है। पंजाब की किसान यूनियनों से जुड़े एक सूत्र के मुताबिक, कल यानी बुधवार को होने वाली वार्ता से पहले केंद्रीय गृह मंत्री के साथ बैठक के प्रस्ताव का पांच किसान यूनियनों ने विरोध किया था, लेकिन फिर सभी यूनियन इस बात पर सहमत हो गईं कि किसानों को सरकार का प्रस्ताव कम से कम सुनना तो चाहिए ही।गृहमंत्री से मुलाकात करने गए किसान नेता मुलाकात के बाद आज रात दस बजे फिर सिंघू बॉर्डर पहुंचेंगे और किसान नेताओं की अहम बैठक होगी। इसमें गृहमंत्री का प्रस्ताव सुनाया जाएगा और चर्चा की जाएगी।
टीकरी बॉर्डर पर मौजूद कई लोगों से हमने बात की। उनका कहना था कि वो तीनों कानूनों को रद्द करने से कम किसी भी बात पर मानने वाले नहीं हैं।हरियाणा के एक किसान संगठन से जुड़े एक कार्यकर्ता का कहना था, “जो यूनियन नेता सरकार से समझौता करेगा जनता उसे बख्शेगी नहीं।’एक नेता ने कहा, “यूनियन के नेता जनता के गुस्से को समझ रहे हैं और जानते हैं कि जो नेता सरकार से समझौता करेगा उसे हटा दिया जाएगा।’केंद्र सरकार की ओर से किसानों की मांगों को मानने का कोई संकेत नहीं दिया गया है।टिकरी बॉर्डर पर किसानों के मंच के पास भारी भीड़ है। दिल्ली को रोहतक से जोड़ने वाले इस हाईवे पर कई किलोमीटर तक ट्रैक्टर ट्रॉलियां खड़े हैं। सड़क के दोनों ओर किसान अपनी यूनियन के झंडे लिए नारेबाजी करते हुए चल रहे हैं। सभी किसानों का यही कहना है कि तीनों कानून रद्द करने से कम वो किसी बात पर नहीं मानेंगे। सरकार से चर्चा से पहले हरियाणा के किसान दो गुटों में बंट गए हैं। 1.20 लाख किसानों ने सरकार को चिट्ठी लिखकर कृषि कानूनों का समर्थन किया है। उन्होंने कहा है कि नए कानूनों को वापस नहीं लेना चाहिए। हरियाणा के फार्मर्स प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशंस (FPOs) से जुड़े किसानों ने यह बात कही है। हालांकि, उन्होंने किसानों के सुझावों के मुताबिक कानूनों में संशोधन करने की सिफारिश की है। 13 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसानों से दिल्ली चौतरफा घिर चुकी है। हरियाणा से लगते दिल्ली के 4 बॉर्डर- टिकरी, सिंघु, झारोदा और धनसा पूरी तरह बंद हैं।

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