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निठारी कांड के दोषी को सजा-ए-मौत ,19 साल पुराने मामले में आया फैसला

लखनऊ(लाइवभारत24)। नोएडा के फेमस निठारी कांड के आखिरी मामले में सीबीआई कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए मुख्य अभियुक्त सुरेंद्र कोली को मौत की सजा सुनाई है। इस मामले के आरोपी मोनिंदर सिंह पंधेर को देह व्यापार के धंधे में दोषी पाए जाने पर 7 साल की सजा सुनाई गई है। दोनों ही आरोपी डासना जेल में कई मामलो में पहले से ही सजा काट रहे हैं। निठारी कांड के मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली को 13 मामलों में मौत की सजा और 3 मामलों में साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया गया था। अब तक सिर्फ 1 ही मामले में उसे राष्ट्रपति द्वारा याचिका खारिज होने के बाद मेरठ में फांसी दी जानी थी, लेकिन फिर इस फांसी को भी सुप्रीम कोर्ट ने देरी होने की वजह से निरस्त कर दिया था। एक और मामले में हाई कोर्ट की ओर से फांसी में देरी मानते हुए उसकी सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। सीबीआई कोर्ट से फांसी की सजा होने के बाद इस समय अधिकांश मामले हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग हैं। 2006 में निठारी गांव की कोठी नंबर डी-5 से 19 बच्चों और महिलाओं के मानव कंकाल मिले थे। कोठी के पास नाले से बच्चों के अवशेष भी मिले थे। इस निठारी कांड का खुलासा लापता लड़की पायल की वजह से हुआ था। उस समय यह मामला काफी सुर्खियों में रहा था।कहा गया था कि यहां से मानव शरीर के हिस्सों के पैकेट मिले थे, नरकंकालों को नाले में फेंका गया था। उत्तराखंड का रहने वाला सुरेंद्र कोली डी-5 कोठी में मोनिंदर सिंह पंढेर का नौकर था। परिवार के पंजाब चले जाने के बाद दोनों कोठी में रह रहे थे। इससे पहले भी एक बार सुरेंद्र कोली को फांसी दिए जाने की तैयारियां पूरी कर ली गई थीं,लेकिन 9 सितंबर 2014 को जब मेरठ जेल में फांसी दी जानी थी तभी सुरेंद्र कोली की फांसी पर रोक से संबंधित सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर जेल प्रशासन को तड़के तकरीबन 4 बजे मेरठ के डीएम के जरिए मिला। उस समय भी कोली को मेरठ जेल की एक हाई सिक्यॉरिटी बैरक में रखा गया था। तब भी उसकी फांसी की तमाम तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी थीं। 19 मामलों में से 3 मामलों में साक्ष्य न मिलने की वजह से क्लोज कर दिया गया और अब तक 16 मामलों में फैसला आया। 13 मामलों में सुरेंद्र कोली को सजा-ए-मौत दी गई और 3 मामलों में बरी किया जा चुका है। इसके अलावा दूसरे अपराधी मोनिंदर पंढेर को दो मामलों में फांसी, 4 में बरी और 1 में सात साल कारावास की सजा हुई।

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